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जांच अभियान के बीच में खत्म हुई टीबी की दवा

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जिले में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सौ दिन का सघन टीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. लगभग 50 से अधिक पंचायतों को टीबी से मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है. इसी बीच टीबी मरीजों की पहचान होने के बाद दी जाने वाली फर्स्ट लाइन की दवा 4 एफडीसी एवं 3 एफडीसी जिला यक्ष्मा केंद्र एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होने से टीबी मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है.

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संवाददाता, सीवान. जिले में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सौ दिन का सघन टीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. लगभग 50 से अधिक पंचायतों को टीबी से मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है. इसी बीच टीबी मरीजों की पहचान होने के बाद दी जाने वाली फर्स्ट लाइन की दवा 4 एफडीसी एवं 3 एफडीसी जिला यक्ष्मा केंद्र एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होने से टीबी मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है.

जिला यक्ष्मा केंद्र एवं अन्य कई सरकारी अस्पतालों में 3 एवं 4 एफडीसी दवा का स्टॉक ही नहीं है. विभाग की गाइड लाइन के अनुसार टीबी मरीजों को एक बार एक माह की दवा देनी है. लेकिन दवा के अभाव में मरीजों को एक हफ्ते की भी दवा नहीं मिल पा रही है. प्राइवेट डॉक्टरों द्वारा नोटिफाइड मरीजों के साथ जिला यक्ष्मा केंद्र द्वारा भेदभाव किया जाता है. स्वास्थ्यकर्मी दवा उपलब्ध होने की स्थिति में पहले एवं पूरे कोर्स की दवा सरकारी अस्पतालों द्वारा नोटिफाइड मरीजों को ही देते हैं.

टीबी मरीज को उपचार में इंटेंसिव फेज में दो महीने के लिए 4 एफडीसी तथा इसके बाद कंटिन्युएशन फेज में चार महीने 3 एफडीसी दवा दी जाती है. 4 एफडीसी में आइसोनियाज़िड, रिफैम्पिसिन, एथमब्यूटोल और पाइराज़िनामाइड तथा 3 एफडीसी आइसोनियाज़िड, रिफैम्पिसिन और एथमब्यूटोल दवा शामिल रहती है. स्वास्थ्य विभाग को टीबी की दवा का स्टॉक खत्म होने के पहले दवा की व्यवस्था पहले कर लेनी चाहिए थी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

45 दिनों से खराब है जिला यक्ष्मा केंद्र का सीबीनेट मशीन

जिला यक्ष्मा केंद्र का तीनों सीबीनेट मशीन लगभग 14 नवंबर से ही खराब पड़ा है.बताया जाता है कि बैट्री के कारण कुछ तकनीकी खराबी आ गई है. वैसे ट्रूनेट मशीन से स्पूटम की जांच की जा रही.ट्रूनेट मशीन की अपेक्षा सीबीनेट मशीन कम समय में जांच में होती है तथा अधिक प्रामाणिक मानी जाती है.सीबीनेट मशीन के खराब होने के कारण जांच के लिए आने वाले स्पूटम की जांच का बैकलॉग तीन से चार दिन पीछे चल रहा है.प्रतिदिन सभी सैंपलों की जांच नहीं हो पा रही है.बताया जाता है कि सीबीनेट मशीन की बैट्री विभाग द्वारा भेज दी गई है.एक-दो दिनों पटना से टेक्नीशियन के आने के बाद ठीक किया जाएगा.

दवा को मंगाने के लिए विभाग के पास राशि नहीं

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य यक्ष्मा दवा भंडार में भारत सरकार द्वारा टीबी की दवा उपलब्ध कराई जाती है, दवा भी उपलब्ध है.लेकिन जिला यक्ष्मा केंद्र के पास दवा मंगाने के लिए भाड़े देने के लिए किसी भी मद में विभाग द्वारा व्यवस्था नहीं की गई है.जिला यक्ष्मा विभाग द्वारा टीबी की दवा खत्म होने के बाद 21 दिसंबर को इंडेंट किया गया है. बताया जाता है कि पटना दवा भंडार में पूरे राज्य में दवा वितरण के लिए एक ही वाहन उपलब्ध है.दवा के संबंध में यह भी बताया जा रहा कि भारत सरकार द्वारा ही टीबी की दवा जरूरत के मुताबिक आपूर्ति नहीं की जा रही है.वैसे जिला यक्ष्मा केंद्र में दवा खरीद के मद में राशि उपलब्ध है तथा क्रय समिति का गठन भी हुआ है.लेकिन नये सीडीओ को अभी वित्तीय पावर नहीं मिला है.वित्तीय पावर मिलने में 15 दिनों का समय लग सकता है.

बोले जिला यक्ष्मा पदाधिकारी

दो दिन पहले मैंने ज्वाइन मुझे जानकारी नहीं है कि टीबी फर्स्ट लाइन दवा नहीं है. मरीजों को दवा मिले, इसके लिए प्रयास कर रहा हूं.

डॉक्टर अशोक कुमार,जिला यक्ष्मा पदाधिकारी,सीवान

क्या कहते हैं जिम्मेदार

राज्य स्तर से दवा की आपूर्ति होनी है. हम यहां से वाहन भेजकर दवा मंगाने में असमर्थ हैं. भाड़ा देने के लिए कोई मद नहीं है. राज्य टीबी पदाधिकारी से बात कर दवा उपलब्ध कराने की बात कहूंगा.

डॉ श्रीनिवास प्रसाद, सिविल सर्जन,सीवान

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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