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अभी तक 28.44 फीसदी बच्चों का ही जेनरेट हुआ अपार कार्ड

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जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की अपार आइडी बनाने की प्रक्रिया काफी धीमी है. दिसंबर के शुरुआत से ही बच्चों की अपार आइडी बनाने को लेकर अभियान जारी है.तमाम प्रयास के बावजूद अब तक जिले में महज 28.44 फीसदी बच्चों का ही अपार नंबर जेनरेट हो सका है.

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संवाददाता,सीवान. जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की अपार आइडी बनाने की प्रक्रिया काफी धीमी है. दिसंबर के शुरुआत से ही बच्चों की अपार आइडी बनाने को लेकर अभियान जारी है.तमाम प्रयास के बावजूद अब तक जिले में महज 28.44 फीसदी बच्चों का ही अपार नंबर जेनरेट हो सका है. रिपोर्ट के अनुसार, जिले में पहली से 12वीं तक कुल 5 लाख 51 हजार 713 बच्चों का एडमिशन है. 31 दिसंबर तक इस लक्ष्य को पूरा करना है. अब तक इसमें एक लाख 24 हजार 37 बच्चों का ही अपार कार्ड बन पाया है. जिले के आंदर में 21.88, बड़हरिया में 27.69,बसन्तपुर में 26.64,भगवानपुर हाट में 36.75,दरौली में22.40,दरौंदा में 31.90,गोरेयाकोठी में 39.70,गुठनी में 26.65,हसनपुरा में 27.38,हुसैनगंज में 31.41,लकड़ी नबीगंज में 21.50,महराजगंज में24.88,मैरवा में 30.81,नौतन में 38.26,पचरुखी में 24.12,रघुनाथपुर में 26.43,सिसवन में 29.25,सीवान में 26.50 तथा जीरादेई प्रखंड में 24.61फीसदी बच्चों की ही अपार आइडी बना है. क्या है अपार कार्ड अपार आइडी कार्ड छात्रों के लिए बेहद अहम हैं. इस कार्ड में छात्रों की सारी एकेडमिक जानकारी होगी. साल दर साल आगे की शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही इसमें सारी जानकारी दर्ज हो जायगी. इससे कहीं भी दूसरी जगह एडमिशन कराने में आसानी होगी और सारी शैक्षणिक डिग्री की जानकारी उन्हें पलभर में मिल जायगी. यह आइडी सभी शैक्षणिक रिकार्ड में डिग्रियों, छात्रवृत्ति, पुरस्कार आदि उपलाब्धियां डिजिटल रूप से संग्रहित करेगा. वन नेशन वन स्टूडेंट आइडी अपार कार्ड छात्रों के लिए शिक्षा को और ज्यादा व्यवस्थित और सुलभ बनाने की दिशा में एक कदम है. बच्चों के डेटा में भिन्नता के चलते नही बन रहा अपार कार्ड विद्यालयों में अपार कार्ड का फरमान शिक्षकों व अभिभावकों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है.डेटा में भिन्नता होने के चलते छात्रों का कार्ड जेनरेट नही हो रहा है.जबकि विभाग के वरीय अधिकारियों द्वारा शिक्षकों को दंडित किया जा रहा है.वही छात्रों के परिजन इस मामले में अनभिज्ञ है.विभाग का कहना है कि एक राष्ट्र एक पहचान दिलाने के लिए यह योजना चलाई जा रही है. वास्तव में यह प्रक्रिया जटिल नहीं है. फिर भी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए यह कार्ड हीन भावना से ग्रसित कर रही है.साथ ही इस कार्यक्रम में उन्हें शामिल होने में भारी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षकों का कहना है कि यूडायस पोर्टल पर जो डेटा है ,उसका मेल छात्रों के आधार कार्ड से नही खाता है.मसलन जन्म तिथि व नाम मे भिन्नता है.अधिकांश छात्र ऐसे है जिनके पास आधार कार्ड नही है. 30 फीसदी ऐसे छात्र है, जिनका जन्म प्रमाण पत्र नही बना है.जिससे उनका आधार कार्ड नहीं बन पा रहा है.वही कुछ छात्र ऐसे है,जिनका डेटा यूडायस पोर्टल पर नही है.इन परेशानियों के चलते अपार कार्ड जेनरेट नही हो रहा है.शिक्षक अधिकारियों के कोप का शिकार हो रहे है.छात्रों व अभिभावकों को यह जानकारी नही है कि इस कार्ड को बनाने का उद्देश्य व फायदे क्या है.अपार कार्ड जेनरेट करने में आ रही तकनीकी खामियों से शिक्षक व अभिभावक परेशान हो रहे है. माता-पिता की सहमति लेना जरूरी अपार कार्ड बनाने के लिए माता पिता की सहमति जरूरी है.विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इसको बनाने का उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक डेटा को सुरक्षित रखना है. छात्रों के लिए अपार आईडी कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं किया गया है.इसे बनवाने का निर्णय पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा.जिससे छात्र और अभिभावक इस कार्ड के फायदों को समझकर इसे स्वीकार कर सकते है. इस आईडी कार्ड को जारी करने से पहले, स्कूलों और कॉलेजों को छात्रों के माता-पिता की सहमति लेना आवश्यक होगा. एक निर्धारित फॉर्म के जरिए यह सहमति लेनी है. जिसमें माता-पिता अपनी मंजूरी या असहमति जाहिर कर सकते है.शिक्षकों का कहना है कि अभिभावक सहमति नही दे रहे है.वही विभाग द्वारा वेतन कटौती की जा रही है. क्या कहते है जिम्मेवार अपार आईडी कार्ड से छात्रों को अपने शैक्षणिक रिकॉर्ड को ट्रैक करने और डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने की सुविधा मिलेगी.यह कार्ड छात्रों के लिए आजीवन एक पहचान संख्या के रूप में कार्य करेगा. जिससे उनका शैक्षणिक डेटा हमेशा संगठित रहेगा.शिक्षक छात्रों व अभिभावकों अपार कार्ड के फायदे के बारे में बतायें.जिससे उनके संशय को दूर किया जा सके. राघवेंद्र प्रसाद सिंह, डीइओ

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