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प्रसिद्ध रामनवमी पशु मेला के अस्तित्व पर छाया संकट

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जिले की पहचान विवाह पंचमी एवं रामनवमी के अवसर पर करीब एक महीने तक लगने वाले पशु मेला से रही है.

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सीतामढ़ी. जिले की पहचान विवाह पंचमी एवं रामनवमी के अवसर पर करीब एक महीने तक लगने वाले पशु मेला से रही है. राम-जानकी विवाह की खुशी में विवाह पंचमी के अवसर पर शहर के जानकी मंदिर की करीब 60 से 70 एकड़ जमीन पर प्राचीन काल से ही सोनपुर के बाद सूबे का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला लगता है. शहरवासी दिनेश चंद्र द्विवेदी व रामबाबू सिंह समेत अन्य ने बताया कि 90 के दशक तक यह मेला करीब एक महीने तक लगता था, लेकिन आधुनिकीकरण ने मेले के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है. जैसे-जैसे खेती के लिये ट्रैक्टरों का उपयोग बढ़ा और बैलों की संख्या घटने लगी, पशु मेले का चकाचौंध भी फीका पड़ने लगा. आज हालत यह है कि पशु मेला की महज औपचारिता पूरी की जाती है, वह भी आने वाले वर्षों में शायद समाप्त हो जाएगी. बताया गया कि इस प्राचीन पशु मेले में बिहार-झारखंड एवं पड़ोसी देश नेपाल के सैकड़ों किसान बैल, गाय, हाथी, घोड़ा व अन्य मवेशियों की खरीद-बिक्री करने के लिये आते थे. जिले की सड़कों पर रात-रात भर बैलों के घंटियों की आवाज गूंजती थी. एक महीने तक दिन-रात किसानों का बैलों व अन्य मवेशियों के साथ मेला में आने-जाने का सिलसिला चलता था. अब मेले में न बैलों की संख्या होती है और न ही अन्य मवेशियों की. इस अवसर पर हर वर्ष थियेटर आया करता था, जिसे देखने के लिये जिले भर के लोग आते थे, लेकिन पिछले करीब डेढ-दो दशक से थियेटर आना भी बंद हो गया है. हालांकि, जानकी मंदिर के समीप मीना बाजार अब भी लगता है, जहां विवाह पंचमी का उत्सव देखने आने वाले जिले की महिलायें आज भी जमकर खरीदारी करतीं हैं. शहर के व्यवसायी आलोक कुमार का मानना है कि विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर माता जानकी की जन्मस्थली में कोई धूमधाम नहीं है. यह पर्यटन व्यवसाय के लिए बहुत बड़ा नुकसान है. कुछ वर्ष पहले तक हर वर्ष सभी को विवाह पंचमी मेले का इंतजार रहता था. यही स्थिति रही तो यह प्रसिद्ध और प्राचीन पशु मेला इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जायेगा. इसका सबसे बुरा प्रभाव व्यवसाय पर पड़ा है. वहीं, सीता जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारी राजेश कुमार सुंदरका ने बताया कि रामनवमी मेला से सीतामढ़ी की पहचान रही है. इसके मृतप्राय होने से पर्यटन विकास और व्यापार को काफी नुकसान हुआ है. शहर में एक महीने तक खूब व्यापार चलता था. मेले पर संकट आने से जिले की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंच रहा है.

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