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प्रेमिका के पति की हत्या की साजिश रचने वाला आशीष खुद बन गया मौत का शिकार

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जिले के पुपरी थाना क्षेत्र के हरदिया गांव के आशीष कुमार झा की हत्या की गुत्थी पुलिस द्वारा सुलझा ली गई है.

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सीतामढ़ी. जिले के पुपरी थाना क्षेत्र के हरदिया गांव के आशीष कुमार झा की हत्या की गुत्थी पुलिस द्वारा सुलझा ली गई है. इसमें पुपरी थाना पुलिस की बड़ी भूमिका रही है. इस प्रकरण में कई बातें सामने आई है. आशीष शातिर दिमाग का था. भले ही प्राथमिकी में उसकी मां ने उसे निर्दोष बताने की कोशिश की थी, पर जो बातें सामने आ रही है, वह आशीष के खुरफात दिमाग की पुष्टि के लिए काफी है. एक गलती के बाद लोग उससे सबक लेकर दूसरी गलती करने की कभी कोशिश नही करता है. आशीष कुमार झा ने ऐसा नही किया. वह एक गलती के बाद दूसरी गलती की साजिश में जुट गया था, पर उसे क्या मालूम था कि वह खुद उक्त साजिश में फंस कर जान गंवा लेगा. वह प्रेमिका को हर हाल में पाने के लिए उसके पति राजीव मिश्रा की हत्या की साजिश रचने लगा था. वह खुद फंस गया और हत्या का शिकार बन गया है. खास बात यह कि वह जिस युवक की मिलीभगत से राजीव की हत्या करना चाहता था, नौबत आई कि वही युवक आशीष का हत्यारा बन गया. गौरतलब है कि पुपरी थाना क्षेत्र के हरदिया गांव का 25 अप्रैल 22 को उसका पुत्र आशीष दिल्ली से घर के लिए चला था. 26 को दरभंगा स्टेशन पर पहुंचा था. तबतक मोबाइल पर मां से उसकी बातचीत होती रही थी. 27 अप्रैल को उसका अपनी मां से संपर्क भंग हो गया था. तब उसकी मां पुपरी थाना पुलिस से आशीष के गायब होने की शिकायत की थी. हालांकि तत्कालीन थानाध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता ने लड्डू देवी के आवेदन को फाईल में बंद कर रख दिया था. यानी कोई संज्ञान नही लिया था. गुप्ता ने न तो प्राथमिकी दर्ज की थी और न ही वरीय पदाधिकारी को इसकी जानकारी दी थी. आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया, की भूमिका की जांच एसपी द्वारा कराई जा रही है. इस बीच, लड्डू देवी लगातार थाना का चक्कर लगाती रही, पर तत्कालीन थानाध्यक्ष गुप्ता उसकी एक नही सुने थे. फरवरी 24 में लड्डू देवी बड़ी आशा से पुपरी डीएसपी के पास पहुंची और पूरी बातों की जानकारी दी. उन्होंने थानाध्यक्ष अशोक पासवान को प्राथमिकी दर्ज जांच का आदेश दिया. पासवान ने 18 फरवरी 24 को प्राथमिकी दर्ज कर इस जटिल और पुराने केस को सुलझाने का चैलेंज स्वीकार किया. उन्होंने लड्डू देवी के आवेदन पर दर्ज मोबाइल नंबर का सीडीआर निकाला, तो उसके उपयोगकर्ता के रूप में अरविंद कुमार और बुची देवी का नाम आया. फिर पुलिस ने लोकेशन ट्रेस कर अरविंद को हिरासत में की. उसने पूरे प्रकरण का महज कुछ हीं महिनों में मामले का खुलासा कर आरोपी को जेल के सलाखों के भीतर पहुंचा दिया है.

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