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सर, मैं कैमूर से आया नीतीश कुमार हूं… यह सुनते ही जनता दरबार में हंस पड़े मुख्यमंत्री

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जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के दौरान कैमूर से आये एक युवक ने सीएम के सामने बैठते हुए कहा कि सर, मैं कैमूर से आया नीतीश कुमार हूं. इस पर सीएम ने हंसते हुए कहा कि आजकल कई लोगों के नाम नीतीश कुमार सुनने को मिल रहे हैं. फिर हंसते हुए उससे समस्या पूछी.

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पटना. जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के दौरान कैमूर से आये एक युवक ने सीएम के सामने बैठते हुए कहा कि सर, मैं कैमूर से आया नीतीश कुमार हूं. इस पर सीएम ने हंसते हुए कहा कि आजकल कई लोगों के नाम नीतीश कुमार सुनने को मिल रहे हैं. फिर हंसते हुए उससे समस्या पूछी. युवक ने बताया कि जिला अस्पताल में वे डाटा इंट्री ऑपरेटर हैं, लेकिन नियुक्ति पत्र पर जितनी सैलरी दर्ज की गयी है, उससे काफी कम सैलरी उन्हें दी जाती है. इस पर सीएम ने विभाग को उचित कार्रवाई करने को कहा.

आज जनता के दरबार में जब मुख्यमंत्री आये तो उन्हें कई बार ऐसी समस्याओं से अवगत कराया गया जिसको सुनकर कभी चौंक तो कभी गुस्से में नजर आये. शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, कला-संस्कृति, आपदा प्रबंधन, सामान्य प्रशासन विभाग समेत अन्य विभागों से जुड़ी समस्याएं सुनने के दौरान मुख्यमंत्री को नौकरशाही की लापरवाही से रू ब रू होना पड़ा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुल 147 लोगों की शिकायतें सुनी.

इस दौरान सबसे ज्यादा शिकायतें छात्रवृत्ति-मेधावृत्ति से लेकर कोरोना से मौत में मुआवजा नहीं मिलने तक की आयी. मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि कोरोना से मुआवजा मिलने में लोगों को जो भी दिक्कतें आ रही हैं. उसकी सही तरीके से जांच करें और सभी पीड़ितों को इसका लाभ दिलायें. उन कारणों को देखें कि आखिर मुआवजा क्यों नहीं मिल रहा है. खासकर निजी अस्पतालों के स्तर पर आरटीपीसीआर की रिपोर्ट नहीं देने जैसी जो भी समस्याएं हो रही हैं, उनकी ठीक से जांच करें.

पटना से ही आये एक व्यक्ति ने बताया कि पाटलिपुत्र कॉलोनी स्थित एशियन हॉस्पिटल में कोरोना पीड़ित अपनी मां को भर्ती कराया था, जहां उनकी मौत हो गयी. परंतु हॉस्पिटल की तरफ से आरटीपीसीआर रिपोर्ट नहीं देने के कारण उन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिला. मुंगेर से आयी एक महिला की भी शिकायत थी कि कोरोना से पति की मौत होने पर भी मुआवजा नहीं मिला है. सीएम ने इन शिकायतों पर स्वास्थ्य विभाग से कहा कि इस तरह की छह-सात मामले आ गये हैं. इन पर तुरंत संज्ञान लेते हुए इनकी जांच करें.

नवादा के युवक ने कहा कि वे नवादा के पूर्व विधायक सुरेंद्र यादव के दामाद के कॉलेज में कार्यरत थे, लेकिन उन्हें कई महीने से वेतन नहीं दिया गया है. उसने इस कॉलेज में भ्रष्टाचार से जुड़ी कई शिकायतें की. इस पर सीएम ने तुरंत विभाग को जांच का आदेश दिया. समस्तीपुर से आये एक छात्र ने बताया कि 2017 में ही मैट्रिक की परीक्षा पास किये थे, लेकिन 10 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है. कार्यालय जाने पर कर्मचारी भगा देते हैं.

इसी तरह अति-पिछड़ा वर्ग के एक युवक ने बताया कि उसे भी छात्रवृत्ति नहीं मिली है. इस पर सीएम ने तुरंत पिछड़ा-अतिपिछड़ा कल्याण विभाग के सचिव को तलब किया और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार को फोन लगाकर कहा कि आप दोनों इन मामलों को देखिये और इसका तुरंत निपटारा कीजिए. आखिर छात्रवृत्ति और मेधावृत्ति मिलने में देरी क्यों हो रही है. गया स्थित स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यालय से रिटायर्ड एक बुजुर्ग ने कहा कि सेवानिवृत्त हुए तीन साल हो गये, लेकिन अभी तक सेवानिवृत्ति समेत अन्य लाभ नहीं मिले हैं.

शिवहर के एक छात्र ने कहा कि 2016 में मैट्रिक की परीक्षा पास किये थे, लेकिन उसके सर्टिफिकेट पर किसी लड़की की तस्वीर लगा दी गयी थी, जिसे तमाम कोशिशों के बाद भी आज तक बिहार बोर्ड ने नहीं सुधारा है. इस पर मुख्यमंत्री ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा कि यह अजीब मामला है, यह कैसे हो गया.

उन्होंने संबंधित विभाग को इसे तुरंत सुधारने का सख्त आदेश दिया. बिहारशरीफ के युवक की शिकायत थी कि दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विषय में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है. मनेर के एक युवक ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम के तहत किसी मृतक को मिलने वाला मुआवजा नहीं मिल रहा है.

Posted by Ashish Jha

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