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बिहार में शराबबंदी पर सात घंटे की मैराथन बैठक, चौकीदार से डीजीपी तक की जिम्मेदारी तय, अब होगी ये कार्रवाई

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून को पूरी सख्ती से बहाल करने और इसमें मौजूद सभी तरह के लूपहोल को पूरी तरह से दूर करने के लिए गहन समीक्षा बैठक की. मंगलवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में सुबह 11 बजे से शुरू हुई यह बैठक शाम छह बजे तक चली.

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पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून को पूरी सख्ती से बहाल करने और इसमें मौजूद सभी तरह के लूपहोल को पूरी तरह से दूर करने के लिए गहन समीक्षा बैठक की. मंगलवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में सुबह 11 बजे से शुरू हुई यह बैठक शाम छह बजे तक चली.

इसमें तकरीबन सभी मंत्री भी मौजूद थे. सभी आयुक्त, रेंज आइजी, डीआइजी, तमाम जिलों के डीएम, एसपी समेत अन्य सभी अधिकारी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे. इस मैराथन बैठक में सीएम ने शराबबंदी कानून का पूरी सख्ती से पालन करने और इसमें शामिल सभी धंधेबाजों पर तुरंत नकेल कसने के सख्त आदेश दिये.

इस कानून के पालन में लापरवाही बरतने वाले किसी स्तर के अधिकारी एवं कर्मी पर भी सख्त कार्रवाई करने का निर्देश आला अधिकारियों को दिया. सभी थाना क्षेत्र में पुलिस की चौकसी चाक-चौबंद करने और बॉर्डर इलाकों में सतर्कता बढ़ाने के लिए भी कहा. उन्होंने सभी जिलों को निर्देश दिये कि प्रत्येक 15 दिन पर डीएम एवं एसपी चौकीदार से लेकर थानेदार, उत्पाद विभाग के अधिकारी समेत अन्य सभी पदाधिकारियों के साथ गहन समीक्षा बैठक करें और दोषियों पर तुरंत सख्त कार्रवाई करें.

कार्रवाई करने में किसी स्तर पर ढिलाई बरती गयी, तो संबंधित अधिकारी इसके लिए दोषी माने जायेंगे. सीएम ने पटना जिला में खासतौर से शराबबंदी को लेकर चौकसी बरतने का आदेश दिया. क्योंकि पटना की छवि को खासतौर से देखी जाती है.

मुख्यमंत्री के साथ हुई इस गहन समीक्षा बैठक के बाद गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद एवं डीजीपी एसके सिंघल ने सरकार के स्तर पर लिये गये निर्णयों के बारे में पत्रकारों को विस्तार से जानकारी दी. डीजीपी ने कहा कि जिस इलाके में शराब की खेप बरामद होगी, वहां के चौकीदार से लेकर थानेदार तक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जायेगा.

अगर किसी स्थान पर सेंट्रल टीम भेजकर कार्रवाई की जाती है, तो संबंधित थाने के थानेदार पर भी तुरंत कार्रवाई की जायेगी. गांव की सूचना एकत्र कर देने की जिम्मेदारी चौकीदार की ही होती है. इसके अलावा शराब को लेकर इंटेलिजेंस तंत्र को भी काफी सशक्त किया जायेगा, ताकि इस धंधे में लिप्त अधिक से अधिक संख्या में लोगों पर कार्रवाई की जा सके.

इस बार फिर से दिलायी जायेगी सभी को शपथ

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि इस बार 26 नवंबर को नशामुक्ति दिवस के दिन फिर से सभी स्तर के अधिकारियों एवं कर्मियों से लेकर जिलों में डीएम, एसपी से लेकर सभी कर्मियों को फिर से नशामुक्ति को लेकर शपथ दिलायी जायेगी. उन्होंने कहा कि यह समीक्षा बैठक पूरे सरकारी तंत्र को शराबबंदी कानून पर फिर से रीवाइव करने का माध्यम था.

इस दौरान सभी जिलों को फिर से इस कानून का पूरी सख्ती से पालन करने का आदेश दिया गया है. इसमें लापरवाही बरतने वालों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी, चाहे वे किसी रैंक के अधिकारी या कर्मी हो. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून में इंटेलिजेंस पर खासतौर से फोकस किया जायेगा. साथ ही कंट्रोल रूम में सूचना देने वालों का नाम-पता भी पूरी तरह से गुप्त रखा जायेगा.

पिछले वर्ष से बढ़ी शराब की बरामदगी दर

डीजीपी ने बताया कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार शराब की रिकवरी दर काफी बढ़ गयी है. पिछले वर्षों की तुलना में 85 फीसदी देसी और 45 फीसदी विदेशी शराब की रिकवरी बढ़ी है. उन्होंने कहा कि शराब की होम डिलेवरी पर खासतौर नजर रखी जा रही है. पटना में विशेष चौकसी है. बुद्धा कॉलोनी, दीघा, शास्त्री नगर समेत अन्य कई स्थानों पर सख्त कार्रवाई की गयी है, जिसमें बड़े स्तर पर बरामदगी और गिरफ्तारी हुई है.

जेल से वापस आकर फिर करते यही धंधा

डीजीपी ने कहा कि शराब तस्करी या अवैध धंधे में शामिल जो लोग पकड़े जाते हैं, वे जेल से बेल पर बाहर आकर फिर इसी धंधे में लग जाते हैं. यह सबसे बड़ी चुनौती पुलिस के सामने है, जिससे निपटने की जद्दोजहद निरंतर चल रही है. गोपालगंज वाले मामले में भी गिरफ्तार एक व्यक्ति कुछ दिनों पहले ही जेल से छूट कर आया था और फिर से इस अवैध धंधे में जुट गया था. इसी तरह से कैमूर जिले में घटी घटना में भी जो व्यक्ति गिरफ्तार हुआ था, वह भी कुछ दिनों पहले ही जेल से छूट कर आया था. ऐसे लोगों पर खासतौर से नजर रखने के लिए सभी थानों को कहा गया है.

अब तक सभी विभागों के 808 कर्मियों पर कार्रवाई हुई

शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में अब तक सभी विभागों में सभी रैंक के 808 अधिकारियों एवं कर्मियों पर कार्रवाई हो चुकी है. सरकारी कर्मियों के खिलाफ अब तक 400 एफआइआर हो चुकी है. 259 को सेवा से बर्खास्तगी, जेल जैसे वृहद दंड दिये जा चुके हैं. अब तक 60 थानेदारों को डिबार कर दिया गया है और उनकी 10 सालों तक किसी थाने में पोस्टिंग नहीं होगी.

206 पुलिस कर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है, जिसमें दो इंस्पेक्टर, 30 दारोगा, 37 जमादार, 128 सिपाही और नौ चौकीदार शामिल हैं. 245 को वृहद दंड दिया जा चुका है, जिसमें चार इंस्पेक्टर, 64 दारोगा, 60 चौकीदार समेत अन्य स्तर के कर्मी शामिल हैं. अब तक 324 के खिलाफ एफआइआर और 257 पुलिस वालों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित किये जा चुके हैं. डीजीपी ने कहा कि लापरवाह पुलिस वालों पर लगातार सख्त कार्रवाई करने का सिलसिला जारी है.

Posted by Ashish Jha

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