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बिहार में जाति समीकरण होगा सीट शेयरिंग का मुख्य आधार, ये तीन दिग्गज चेहरे बनाएंगे लोकसभा चुनाव को दिलचस्प..

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बिहार में जाति समीकरण ही सीट शेयरिंग का मुख्य आधार होगा. इस बार चुनाव को जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी बेहद दिलचस्प बनाएंगे. वहीं पशुपति पारस और चिराग पासवान दोनों अपनी जिद पर अड़े हैं और इसे सुलझाना बेहद जरूरी होगा.

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आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी सभी दलों ने जोर-शोर से शुरू कर दी है. इस बार के लोकसभा चुनाव में एक ओर भाजपा व एनडीए के खिलाफ इंडिया गठबंधन एकजुट होकर मैदान में उतरेगा. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की रालोजद और मुकेश सहनी की वीआइपी चुनावी दंगल को दिलचस्प बनायेगी. सूत्रोें की मानें तो जिस भी गठबंधन के साथ इन दलों का तालमेल होगा,उन्हें सीट के साथ कुछ उम्मीदवार भी दिये जायेंगे. पिछली बार मुकेश सहनी,जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा राजद गठबंधन के साथ थे. महागठबंधन में राजद सबसे बड़ी पार्टी थी. कुशवाहा की पार्टी को पांच सीटें दी गयी थीं. हम को तीन और मुकेश सहनी को तीन सीटें मिली थीं. इस बार इनकी पार्टियां एनडीए के साथ खड़ी है.

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सहनी खोलेंगे अपना पत्ता, पारस-चिराग भी अपनी जिद पर अडे

कोई भी दल अपने लिए पांच से कम सीटें नहीं मांग रहा है. ऐसे में इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों ही के लिए इतनी सीटें निकाल पाना असंभव- सा दिख रहा. मुकेश सहनी ने अपना पत्ता नहीं खोला है, लेकिन कसीदे लालू राज के गढ़ रहे हैं. वहीं , पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि भी चुनावी जंग में कूदने की तैयारी में हैं. हाजीपुर सीट को लेकर लोजपा के दोनों धड़ों के बीच का विवाद भी गहराता जा रहा है. चाचा पारस और भतीजा चिराग दोनों ही हाजीपुर सीट को लेकर अपनी जिद पर अडे हैं. जानकार बताते हैं कि पारस गुट को यदि हाजीपुर की सीट एनडीए में नहीं मिली, तो उनके बिदकने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. सवाल यह है कि पारस के सामने दूसरा विकल्प अपनाने की मजबूरी बनी , तो उनके साथ अपने दल के कितने सांसद खड़ेदिखेंगे. दूसरी बात, यह कि पारस के साथ जो सासंद खड़े होंगे उनके टिकट की भी गुंजाइश उन्हें निकालनी होगी. हालांकि, चाचा और भतीजा दोनों ने ही एनडीए के साथ ही रहने का दावा किया है. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि आखिरी घड़ी में दोनों में किसी एक को कड़े फैसले लेने ही होंगे.

जाति समीकरण होगा सीट का आधार

सीटों के बटवारे में इस बार भी जाति समीकरण मुख्य आधार होगा. इंडिया गठबंधन के साथ यदि मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी रही, तो निषाद मतदाताओं के मतों को इंडिया गठबंधन की झोली में ट्रांसफर कराने की जिम्मेदारी उठानी होगी. एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोजद को उनके बेस वोट ट्रांसफर करा पाने की स्थिति में ही जहां भाजपा सीटों पर आखिरी मुहर लगायेगी. वहीं, चिराग,पारस और मांझी के ऊपर दलित वोटरों को एनडीए की ओर लुभाने का टास्क होगा.

40 सीटों पर मुख्य भूमिका में जदयू, राजद और भाजपा ही होगी

राज्य की 40 सीटों पर होने वाली चुनावी जंग में मुख्य भूमिका में दोनों ही गठबंधनों में भाजपा,राजद और जदयू का ही होगा.एनडीए में जहां भाजपा कम- से- कम 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी कर रही है. वहीं, इंडिया गठबंधन में मुख्य भूमिका में जदयू और राजद ही रहेगा. माना जा रहा है कि दोनों ही दल बराबरी की हैसियत में चुनाव मैदान में उतरेंगे. गौरतलब है कि जदयू के पास 16 सांसद है.

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