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सावन 2023: जापान की राजधानी टोक्यो में निकली कांवड़ यात्रा, कांवरिये साइतामा शिव मंदिर में करेंगे जलाभिषेक

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भारत से बाहर पहली बार सावन में भगवान भोले नाथ को जल चढ़ाने के लिये जापान में भी कांवड़ यात्रा निकली है. बिहार-झारखंड एसोसिएशन ऑफ जापान द्वारा किए जा रहे इस आयोजन में कई देश के हिन्दू शिरकत कर रहे हैं. इस यात्रा की शुरुआत मुख्य अतिथि जापान में भारत के राजदूत सीबी जॉर्ज ने की.

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कैलाशपति मिश्र, पटना. मलमास महीना शुरू होने से पहले सावन की दूसरी सोमवारी 17 जुलाई को है. इसके साथ ही मंगलवार से मलमास शुरू हो जायेगा. वहीं, भारत से बाहर पहली बार सात समंदर पार सावन में भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए जापान की राजधानी टोक्यो में कांवड़ यात्रा निकली है. इसका आयोजन बिहार-झारखंड एसोसिएशन ऑफ जापान द्वारा किया जा रहा है. इसमें भारत, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और श्रीलंका के हिंदू शिरकत कर रहे हैं. उगते सूरज की भूमि पर आस्था और भक्ति का एक जीवंत उत्सव स्थानीय लोगों को देखने को मिल रहा है. जापान में बिहार-झारखंड एसोसिएशन और बिहार फाउंडेशन के प्रमुख आनंद विजय सिंह सहित कांवड़ यात्रा की शुरुआत बतौर मुख्य अतिथि जापान में भारत के राजदूत सीबी जॉर्ज ने किया.

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कांवड़ यात्रा के लिए गंगा जल बिहार के सुल्तानगंज से मंगवाया गया

आनंद विजय सिंह ने बताया कि कांवड़ यात्रा के लिए गंगा जल बिहार के सुल्तानगंज से मंगवाया गया है. यात्रा की शुरुआत श्री राधा कृष्णा टेम्पल, फ़ुनाबोरी टोक्यो से विधिवत पूजा करके साइतामा स्थित शिव मंदिर के लिए निकली, जहां विधिवत जलाभिषेक महादेव का किया जायेगा. उन्होंने बताया फुनाबोरी टोक्यो से शिव मंदिर की दूरी तकरीबन 82 किलोमीटर है. इसमें कांवड़िए कुछ दूरी वाहन द्वारा और कुछ दूरी पैदल तय करेंगे. समय की पाबंदी और स्थानीय प्रशासन के निर्देशानुसार यात्रा का रूट तय किया गया है. इसमें बिहार-झारखंड एसोसिएशन के साथ-साथ जापान के लगभग सभी मुख्य संगठन सहयोग कर रहे हैं.

500 श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना

बिहार-झारखंड एसोसिएशन और बिहार फाउंडेशन के प्रमुख आनंद विजय सिंह ने बताया कि जलाभिषेक और हवन के बाद सभी श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद की व्यवस्था शिव मंदिर साइतामा में किया गया है, इसमें पांच सौ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है. वहीं एसोसिएशन के सचिव विकास रंजन ने कहा कि यात्रा की सुरक्षा और सुचारू संचालन करने में जापान के अधिकारियों का सहयोग मिल रहा है.

जापान में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये काम कर रहा है बिहार-झारखंड एसोसिएशन ऑफ जापान

बिहार-झारखंड एसोसिएशन ऑफ जापान का उद्देश्य जापान में रहने वाले बिहार और झारखंड समुदाय के सांस्कृतिक, सामाजिक और शैक्षिक हितों को बढ़ावा देना है. यह सामुदायिक संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्र की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है.

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सावन की दूसरी सोमवारी पर देवघर पहुंचा कांवरियों का जनसैलाब

इधर सावन की दूसरी सोमवारी को जलार्पण करने के लिए सुल्तानगंज से कांवरियों का जनसैलाब रविवार शाम से ही देवघर में उमड़ने लगा है. शाम से ही कांवरिया पथ से लेकर शिवगंगा तक कांवरियों की भीड़ बढ़ गयी तथा कांवरियों की कतार धीरे-धीरे रूटलाइन में बढ़ती गयी. रविवार देर रात तक एक लाख तक कांवरिये देवघर पहुंच चुके हैं. रविवार को भी रात तक बाबा मंदिर में जलार्पण किया गया. जिला प्रशासन ने दूसरी सोमवारी के लिए बाबा मंदिर से लेकर कांवरिया रूटलाइन में आठ किलोमीटर तक सुविधा व सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं. बाबा मंदिर सहित पार्वती मंदिर में भी सीआरपीएफ की तैनाती की गयी है. मंदिर से लेकर कतार के अंतिम छोर तक पुलिस-प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है.

सुरक्षा का पुख्ता प्रबंधन, सभी कर पायेंगे जलार्पण : डीसी

दूसरी सोमवारी को लेकर देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने पूरी टीम के साथ बाबा मंदिर, कांवरिया पथ, नेहरु पार्क, कांवरिया रूटलाइन सहित पूरे मेला क्षेत्र की तैयारियों से अवगत हुए. डीसी ने रविवार रात से ही ड्यूटी पर तैनात दंडाधिकारी व पुलिस अधिकारी को पूरी तरह से मुस्तैद रहने का निर्देश दिया है. इस दौरान एनडीआरएफ, मेडिकल टीम सहित सभी तरह की सुरक्षा एजेंसियों को भी अलर्ट रहने को कहा गया है. डीसी ने कहा कि दूसरी सोमवारी को लेकर जिला प्रशासन ने बेहतर प्रबंधन किया है. कतार में लगने वाले सभी श्रद्धालुओं को जलार्पण का अवसर मिलेगा. श्रद्धालुओं को संयम रखें, उन्हें सुगमता के साथ जलार्पण कराना जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है. सभी पदाधिकारी व पुलिस कर्मियों को श्रद्धालुओं के साथ सेवा भावना के साथ व्यवहार करने को कहा गया है, सबके सहयोग से श्रावणी मेला सफल होगा.

कल से शुरू होगा मासव्यापी पुरुषोत्तम मास

सावन के पहले पक्ष का समापन दूसरी सोमवारी को हो जायेगा. सोमवार की रात को राजगीर में झंडा गाड़ने के बाद मंगलवार से पुरुषोत्तम मास (मलमास) प्रारंभ हो जायेगा, जो कि 16 अगस्त तक जारी रहेगा. साथ हीसोमवार को संक्रांति तिथि के अवसर पर बाबा मंदिर में बेलपत्र प्रदर्शनी लगेगी तथा बांग्ला सावन भी शुरू हो जायेगी. इससे पहले रविवार को बाबाधाम में कांवरियों की भारी भीड़ उमड़ी. झमाझम बारिश के बीच बोल बम का जयघोष करते हुए कांवरिये तेजी से बाबाधाम पहुंचते रहे. कांवरियों की कतार सुबह से पट बंद होने तक जलसार चिल्ड्रेन पार्क के पास से संचालित होती दिखी. वहीं दूसरी अंतिम सोमवारी पर अप्रत्याशित भीड़ होने की संभावना है.

तेरस पर उमड़ेंगे भक्त

पुरुषोत्तम मास शुरू होने पर खासकर यूपी, एमपी, राजस्थान व छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं का आगमन होगा. पुरुषोत्तम मास में तेरस तिथि का खास महत्व माना गया है. पुरुषोत्तम मास में दो तेरस होगा, जिसमें पहला 30 जुलाई को व दूसरा 13 अगस्त को है. इन दोनों दिनों में बाबा नगरी में लाखों की संख्या में भक्त आयेंगे.

पुरुषोत्तम मास की क्या है मान्यता

शास्त्रों के अनुसार, पुरुषोत्तम में बाबा बैद्यनाथ को छोड़ कर देवलोक के सभी 33 करोड़ देवी-देवता राजगीर में निवास करते हैं. इस महीने में राजगीर का खास महत्व माना गया है, लेकिन बाबा बैद्यनाथ वचनबद्ध होने के कारण बाबाधाम को छोड़कर कहीं नहीं जाते हैं. कहा गया है कि जब रावण बाबा भोलेनाथ को अपने साथ लंका ले जा रहा था, तब बाबा ने रावण को वचन दिया था कि लंका के सिवाय कहीं भी मुझे जीमन पर रख दोगे, तो मैं उस जगह को छोड़कर दोबारा कहीं नहीं जाऊंगा. रावण के द्वारा बाबा को जब देवघर में रख दिया गया, तब से बाबा रावण को दिये गये वचन के अनुसार कहीं नहीं जाते हैं. मान्यता के अनुसार, राजगीर से पूजा करने के बाद पुरुषोत्तम मास के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु बाबाधाम आकर पूजा-अर्चना करते हैं.

कल से बंग्ला श्रावण भी हो जायेगा शुरू

सोमवार को संक्रांति तिथि के अवसर पर बाबा नगरी में चली आ रही परंपरा के अनुसार अलग-अलग बेलपत्र समितियों के द्वारा अलग-अलग मंदिरों में बेलपत्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा. इसके साथ ही मंगलवार से बांग्ला श्रावण प्रारंभ हो जायेगा, जो कि 16 अगस्त तक चलेगा. वहीं बांग्ला श्रावण की प्रत्येक सोमवारी को बेलपत्र प्रदर्शनी लगायी जायेगी. बांग्ला श्रावण में कुल पांच सोमवारी होगी. इसमें पहली 17 जुलाई, दूसरी 24 जुलाई, तीसरी 31 जुलाई, चौथी सात अगस्त तथा पांचवां व अंतिम सोमवारी 14 अगस्त को होगी. वहीं दूसरे पक्ष में पड़ने वाले श्रावण में दो सोमवारी होगी, जिसमें पहली 21 व दूसरी 28 अगस्त को होगी. इसके बाद 31 अगस्त को रक्षा बंधन के साथ मेला का समापन हो जायेगा.

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