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शहर की महादलित बस्ती के पांच बच्चे अब तक नहीं देख सके हैं स्कूल का मुंह

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शहर के बीचो-बीच स्थित है भारतीगंज महादलित बस्ती.

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अनुराग शरण, सासाराम कार्यालय

शहर के बीचो-बीच स्थित है भारतीगंज महादलित बस्ती. इस बस्ती की 13 वर्ष की हिना, आठ वर्ष का आदित्य, सात वर्ष की शिवानी, काजल और रागिनी ने अब तक किसी स्कूल का मुंह नहीं देखे हैं. वहीं, गीता, गुंजन, ओम, प्रभाष, नंदनी, अंजली, संजना आदि दो-तीन वर्ग में पढ़ाई कर विभिन्न कारणों से स्कूल छोड़ चुकी हैं. यानी इस बस्ती के करीब 14 बच्चे कहीं पढ़ाई नहीं करते हैं. सबसे बड़ी बात है कि इन स्कूल से बाहर बच्चों की जानकारी इनके पोषक क्षेत्र के स्कूल को नहीं है. यह खुलासा तब हुआ, जब एक समाजसेवी पूर्विका ने इन बच्चों को पोषक क्षेत्र के रूंगटा मध्य विद्यालय में नामांकन के लिए शुक्रवार को लेकर पहुंची. पूर्विका ने बताया कि पहले तो स्कूल के हेडमास्टर नहीं मिले. जिन्हें जिम्मेवारी दी गयी थी, शायद उनका नाम ममता है. (हालांकि स्कूल की छुट्टी होने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका.) पूर्विका ने बताया कि शिक्षिका ने पहले यह कहा कि यह महादलित बस्ती मेरे स्कूल के पोषक क्षेत्र में नहीं आता है. जब नक्शा देखा गया, तो बस्ती इसी स्कूल के पोषक क्षेत्र में निकला. फिर, बात होने लगी, तो शिक्षिका, बच्चों का इंटरव्यू कुछ इस तरह लेने लगी कि मानों वे किसी कान्वेंट स्कूल से पढ़कर आए हों. किसी तरह छोटे बच्चों के नामांकन के लिए स्कूल तैयार हुआ, लेकिन बड़े उम्र के लड़के व लड़कियों को दाखिला देने से इंकार कर दिया. आलम यह रहा कि शुक्रवार को किसी भी बच्चे का नामांकन नहीं हो सका.

स्कूल से बाहर हैं बच्चे:

यह बड़ा सवाल इसलिए है कि जिस शहर के महादलित बस्ती में बच्चे रह रहे हैं, उसी शहर में जिलाधिकारी व जिला शिक्षा पदाधिकारी दोनों का निवास व कार्यालय है. दोनों के कार्यालय से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर बस्ती और स्कूल दोनों स्थित हैं. टोला सेवक व शिक्षामित्र के साथ स्कूल के दर्जन भर शिक्षक भी हैं. कई तरह की योजनाएं चल रही हैं. बावजूद इसके बस्ती के बच्चे स्कूल से बाहर हैं.

कहते हैं अधिकारी:

जिला शिक्षा पदाधिकारी मदन राय ने कहा कि बीइओ से इसकी जानकारी लेने के बाद कुछ कह सकता हूं. मामला को देखने के लिए बीईओ को बोल रहा हूं. इसके बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी प्रियंका कुमारी ने कहा कि बच्चों के नामांकन के लिए उचित कारण के साथ पहले मुझे आवेदन देना चाहिए था. मेरे अनुमति के बाद ही स्कूल बच्चों का नामांकन लेगा. मामला पोषक क्षेत्र और टीसी का है. विभागीय पत्र के आलोक में कार्रवाई की जानी है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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