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काव नदी उफान पर, हजारों एकड़ फसल जलमग्न

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प्रखंड सहित पूरे जिले में एक अगस्त से हो रही रुक-रुक कर हो रही मध्य व भारी बारिश के कारण प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली काव नदी उफान पर आ गयी है.

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संझौली. प्रखंड सहित पूरे जिले में एक अगस्त से हो रही रुक-रुक कर हो रही मध्य व भारी बारिश के कारण प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली काव नदी उफान पर आ गयी है. काव नदी संझौली, काराकाट, राजपुर, अकोढ़ीगोला, बिक्रमगंज प्रखंड क्षेत्र से गुजरती है. काव नदी उफान पर आने के कारण इन सभी प्रखंड क्षेत्र के हजारों एकड़ खेत में लगी धान व सब्जी की फसल जलमग्न हो गयी है. गौरतलब है कि काव नदी कैमूर पहाड़ी से निकल कर जंगली क्षेत्रों से गुजरती है. स्थानीय किसान रवींद्र सिंह, राम बालक सिंह, मुरलीधर सिंह, राम बली सिंह, मुनिराज सिंह सहित कई किसानों ने बताया कि काव नदी को जून से लेकर अक्तूबर माह तक अभिशाप माना जाता है, जबकि नवंबर माह से लेकर मई माह तक काव नदी को वरदान माना जाता है. किसानों की मानें, तो संझौली, काराकाट, राजपुर, बिक्रमगंज प्रखंड क्षेत्र के दर्जनभर से अधिक गांवों के किसान फसल जलमग्न हो जाने के कारण अपने किस्मत को कोस रहे हैं. किसानों की सुनें, तो बालेश्वर सिंह कहते हैं कि एक एकड़ धान की फसल लगाने में लगभग 18 हजार रुपये खर्च आ जाता है. अगर उपज अच्छी हुई तो लागत खर्च काट कर किसानों को प्रति एकड़ 15 से 18 हजार रुपये की बचत हो जाती है. लगभग प्रति वर्ष नदी को उफान पर आने से हजारों एकड़ खेत में लगी फसल जलमग्न हो जाने से बर्बाद हो जाती है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लागत खर्च व उपज सहित करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद हो जाती है. किसानों से मिली फसल बर्बादी की शिकायत पर स्थानीय विधायक अरुण सिंह ने कहा कि सरकार को काव नदी में आये उफान से फसल की हुई बर्बादी की जांच कराकर किसानों को उचित मुआवजा देना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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