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लघु उद्योग स्थापित कर 15 परिवारों को दिया सहारा

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नौकरी ही जीवन में सब कुछ नहीं होता. बेहतर जीवन जीने के लिए कई विकल्प व राहें हैं. इन विकल्प व राहों में एक है उद्यमी बनना. छोटा हो या बड़ा, उद्यमी बन कर आप कई लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकते हैं.

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मंतोष कुमार पटेल, सासाराम सदर. नौकरी ही जीवन में सब कुछ नहीं होता. बेहतर जीवन जीने के लिए कई विकल्प व राहें हैं. इन विकल्प व राहों में एक है उद्यमी बनना. छोटा हो या बड़ा, उद्यमी बन कर आप कई लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकते हैं. इसका उदाहरण हैं अंजू कुमारी, जो खुद सहित कुल 15 लोगों को रोजगार देकर जिंदगी सवार रही हैं. इसमें मुख्य भूमिका उद्यमी योजना की है. यह योजना पांच-छह साल से उद्यमी बनने का सपना संजोये अंजू के लिए वरदान साबित हुई है. इस योजना ने अंजू का सपना साकार किया है.

डेहरी के शंकरपुर की रहने वाली अंजू कुमारी ने अपने गांव शंकरपुर में फ्लोरा बेकरी नाम से एक छोटा से लघु उद्योग शुरू किया है. इससे वे अपने साथ 15 लोगों को भी रोजगार देकर इस कंपनी से अच्छी खासी कमाई व 15 परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं. अंजू बताती हैं कि पहले पढ़ाई के दौरान नौकरी करने की इच्छा थी. लेकिन, पढ़ाई के खर्च का बोझ, फिर कंपीटीशन की भरमार को देखते हुए करीब पांच-छह साल पहले मेरी सोच बदल गयी और मेरा सपना उद्यमी बनने का हो गया. इसके लिए कई दफे प्रयास किये, पर आर्थिक अड़चनों के कारण सफल नहीं हो पायी. इससे सपना बार बार अधूरा का अधूरा रह जाता. फिर, एक दिन उद्यमी योजना का नाम सुना. शुरुआत में तो लगा कि यह फर्जी है. लेकिन, परिवार वाले व अन्य कुछ लोगों के कहने पर इस योजना के बारे में सोचने लगी. पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि इस योजना का लाभ मिलेगा कि नहीं. उस समय यूपी के गोरखपुर में पढ़ाई कर रही थी. सोच-विचारने के बाद उद्यमी योजना के लिए फॉर्म अप्लाइ की और चयनित भी हो गयी. इतना होने के बाद भी मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि योजना का लाभ मिलेगा. जब योजना का पहला इंस्टॉलमेंट मिला, तो तब चेहरे पर मुस्कान आ गयी और लगा कि उद्यमी बनने का सपना मेरा साकार होने वाला है. और हुआ भी. पांच छह साल से बुने गये सपनों को उद्यमी योजना ने साकार किया है. अब स्वरोजगार कर अपनी अच्छी जिंदगी सवार रही हूं. गौरतलब है कि अंजू कुमारी फ्लोरा बेकरी कंपनी की प्रोपराइटर हैं. कंपनी डेहरी के शंकरपुर में स्थित है. उन्होंने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत बेकरी उत्पादन की शुरुआत की है. उनका कहना है कि मेरे जीवन में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना वरदान साबित हुई है. इससे मेरे व मेरे परिवार का अच्छा खासा निर्वहन हो रहा है.

लघु उद्योग यानी फ्लोरा बेकरी की शुरुआत कर अंजू ने अपने सहित 15 परिवारों को सहारा दिया. इसके साथ ही बेरोजगारों के लिए प्रेरणास्रोत बन गयी हैं. उनका कहना है कि बस सोच बदलने की जरूरत है. शुरुआत में इस उद्योग के लिए स्वयं व परिवारवालों के साथ हाथ बढ़ाया. फिर, धीरे-धीरे उद्योग का दायरा बढ़ने लगा. इसके बाद मुझे इंप्लाइ की जरूरत होने लगी है. प्रारंभिक दौर में एक-दो इंप्लाइ रखना शुरू किया. फिर कंपनी का माल बिकने के साथ उत्पादन बढ़ता गया. इस दौरान इंप्लाइ की संख्या बढ़ती गयी और आज मेरी कंपनी में कुल 15 इंप्लाइ हैं.

नौकरी में लिमिटेड, तो उद्यमी बनने में अनलिमिटेड कमाई

अंजू बताती हैं कि नौकरी में सैलरी लिमिटेड है. लेकिन, बिजनेस में कमाई अनलिमिटेड है. इसलिए हर आदमी को बिजनेस व उद्यमी बनना ज्यादा पसंद करना चाहिए. हालांकि, व्यापार करने के लिए पूंजी और अनुभव दोनों की जरूरत होती है. लेकिन, कुछ बिजनेस ऐसे हैं, जिनके लिए ज्यादा पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है. वहीं, सरकार की ओर से भी बेहतर उद्यमी बनने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है. ऐसे में बेहतर कमाई करने के लिए उद्योग शुरू करने की दिशा में जाना चाहिए. अंजू बताती हैं कि अपने बेकरी कंपनी से सारे खर्च व इंप्लाइ को पेमेंट देने के बाद करीब-करीब प्रतिमाह 40-50 हजार रुपये तक मुनाफा कमा लेती हैं.

उद्यमी बन ये भी सवार रहे अपनी जिंदगी

नौकरी की उपेक्षा छोड़ जिले के कई लोगों ने उद्यमी बनकर अपनी जिंदगी संवारी है. इनमें से एक हैं जिले के रोहतास प्रखंड के अमन कुमार, जो आर्थिक तंगी के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और अब उद्यमी बनकर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. इनका भी सहारा सीएम उद्यमी योजना बनी, जिसके तहत इन्हें 10 लाख रुपये मिले. इसकी मदद से ये अपना रेडीमेड वस्त्र निर्माण कंपनी खोला. अब तक उनकी कंपनी में 25 से अधिक इंप्लाइ है. इसी तरह करगहर के मनीष विश्वास ने सीएम उद्यमी योजना के तहत सेनेटरी पैड निर्माण कंपनी खोली. इसमें अब तक पांच इंप्लाइ कार्यरत हैं. वहीं, सासाराम की स्वाति कौर ने उद्यमी योजना के तहत थैला निर्माण कंपनी खोली. इनके कंपनी में भी पांच से अधिक इंप्लाइ कार्यरत हैं. डेहरी के चंदन कुमार ने उद्यमी योजना के तहत आइसक्रीम बनाने की कंपनी खोली. इसके बाद इनके कंपनी में अब तक आठ से अधिक इंप्लाइ काम कर रहे हैं.

कोरोना के कारण उद्यमियों की टूटी थी कमर

कोरोना के प्रकोप को कौन भला भुला सकता है. कोरोना के कारण कई की नौकरी चली गयी है, तो किसी की तनख्वाह कम हो गयी थी. वहीं, किसी का काम-धंधा चौपट हो गया. इस कड़ी में जिले के कई उद्यमी भी कोरोना की चपेट में आ गये थे. इसके कारण उनका धंधा चौपट होकर खत्म हो गया था. उद्योग विभाग के अनुसार, वित्तीय वर्ष साल 2018-20 तक जिले के एससी, एसटी व अत्यंत पिछड़ी जाति के करीब तीन से अधिक लोगों को सीएम उद्यमी योजना के लाभ से लाभान्वित किया गया था. किसी ने आइसक्रीम बनाने की कंपनी खोली, तो कई रेडीमेड कपड़े, पेंटिंग व बेकरी का धंधा स्टार्ट किया था. पहले साल तक सब कुछ ठीक-ठाक रहा. लेकिन, जैसे ही कोरोना की लहर 2019-2020 में दौड़ी, वैसे ही इन उद्यमियों का व्यवसाय काफी प्रभावित हो गया. इसके कारण करीब सौ अधिक उद्यमियों का कारोबार काफी प्रभावित हुआ. विभाग के अनुसार, 2018-19 में एससी/एसटी के 335 लोगों को उद्यमी योजना का लाभ मिला था. वहीं, 2019-20 में इबीसी के 53 लोगों को उक्त योजना का लाभ मिला था. लेकिन, इन उद्यमियों के कारोबार पर कोरोना का संकट मंडराया, तो करीब-करीब सौ से अधिक उद्यमियों का कारोबार डूब गया.

इन वित्तीय वर्ष में इतने को मिला लाभ

वित्तीय वर्ष 2018-19 में एससी/एसटी के 335 लोगों को मिला लाभ2019-20 में इबीसी अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 53 लाभुक

2021-22 में एससी/एसटी, इबीसी, महिला, युवा वर्ग के 460 लाभुक

2022-23 में एससी/एसटी, इबीसी, महिला, युवा वर्ग के 149 लाभुक

2023-24 में एससी/एसटी, इबीसी, महिला, युवा, एमआइ (अल्पसंख्यक) को 2032024-25 के लिए आवेदन एक जुलाई से शुरू है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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