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शौचालय को गोइठा से भरा, स्वच्छता का मायने बदल दिया

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प्रखंड को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए विगत चार-पांच वर्ष पूर्व जिस तरह अभियान छिड़ा था, उससे लगा कि जल्द ही अपना चेनारी प्रखंड क्षेत्र स्वच्छता के क्षेत्र में सूबे का अग्रणी प्रखंड बन जायेगा. लेकिन, नतीजे उसके ठीक उलट आये.

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चेनारी. प्रशासन द्वारा स्वच्छता को लेकर छेड़ा गया जंग अपने मिशन से भटकता नजर आ रहा है. प्रखंड को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए विगत चार-पांच वर्ष पूर्व जिस तरह अभियान छिड़ा था, उससे लगा कि जल्द ही अपना चेनारी प्रखंड क्षेत्र स्वच्छता के क्षेत्र में सूबे का अग्रणी प्रखंड बन जायेगा. लेकिन, नतीजे उसके ठीक उलट आये. जिले के वरीय अधिकारियों की तत्परता के बावजूद स्वच्छता के क्षेत्र में संतोषजनक प्रगति नहीं हुई. कारण, उनके अधीनस्थ पदाधिकारियों व कर्मियों के साथ आम लोगों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया. थाना क्षेत्र के उगहनी, सदोखर, मल्हीपुर, फुलवरिया, चेनारी, पेवंदी सहित प्रखंड क्षेत्र के अन्य पंचायत के दर्जनों गांवों को पूर्व में प्रशासन स्वच्छता का प्रमाणपत्र दे चुका है. मगर, धरातल पर हकीकत कुछ और बयां कर रही है. अभियान की समाप्ति के बाद गांव की सड़कें शौच से पूर्व की भांति पट गयी हैं और शौचालय निर्माण को लेकर चले जागरूकता का असर ग्रामीणों पर अब नहीं दिख रहा है. खुले में शौच करने वाली वर्षों पुरानी कुप्रथा आज भी उनके जेहन में बरकरार है. जिनके घरों में शौचालय है, उनकी भी बहू, बेटियां व महिलाएं गांव की सड़कों व बधारों में शौच करने के लिए जा रही हैं. ग्रामीण विक्की गुप्ता कन्हैया शर्मा धर्मेंद्र गुप्ता अशोक जायसवाल विकास कुमार ने बताया कि गांवों को साफ-सुथरा किये बगैर स्वच्छता अभियान के लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सकता. अगर अधिकारियों की सक्रियता के साथ आम लोगों में जागरूकता चलाया जाये, तो खुले में शौच करने वाली प्रवृत्ति पर रोक लग सकता है.

प्रोत्साहन राशि लेकर भूल गये घर का शौचालय

खुले में शौच की कुप्रथा को समाज से समाप्त करने की दिशा में लोगों की जन्म से लगी आदत आड़े आ रही है. व्यवहार परिवर्तन को लेकर जागरुकता अभियान के बावजूद जिन लोगों के घरों में शौचालय निर्माण हो चुका है, वे खुले में शौच की अपनी आदत को छोड़ नहीं पा रहे हैं. चेनारी प्रखंड को 30 सितंबर 2016 पूर्व जिला अधिकारी अभिनेश कुमार पाराशर के द्वारा ओडीएफ घोषित हुआ था. इसके बावजूद, यहां की 40 प्रतिशत आबादी खुले में शौच को जाते हैं. इसे लेकर पंचायत के जन प्रतिनिधि भी चिंता जता चुके हैं. कई गांवो के लोग सुबह और शाम लोटा लेकर खुले में शौच को जाते हैं.जानकारों की माने तो 80 प्रतिशत लाभुकों को प्रखंड द्वारा प्रोत्साहन राशि भी उपलब्ध करा दी गई है. चेनारी दक्षिणी के पुर्व जिला पार्षद सदस्य मंगल राम ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों के घरों में शौचालय होने के बावजूद लोग खुले में शौच जाते हैं. शौचालय निर्माण करवाने के लिए पंचायत के लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया. खुले में शौच से होने वाले नुकसान की जानकारियों से भी अवगत कराया गया. लेकिन, लोगो की सोच नही बदल सकी.

चार पंचायतों में कचरा प्रबंधन से आयेगा बदलाव

स्वच्छता अभियान का पहला फेज फ्लॉप होने के बाद अब दूसरा फेज शुरू है. इसके तहत रामगढ़ के पांच पंचायतों में कचरा प्रबंधन चल रहा है. प्रखंड के पेवंदी, मल्हीपुर, फुलवरिया देवडीही में स्वच्छता अभियान फेज दो के तहत रोजाना कूड़े कचरा का उठाव व गलियों की साफ सफाई की जा रही है. अब यह देखने वाली बात होगी कि स्वच्छता की यह दूसरी कड़ी कितना बदलाव लायेगी. बताया जाता है कि इस अभियान के तहत साफ सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। सामग्री की खरीद में भी धांधली सुर्खियों में है.

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला संसाधन सेवी सह प्रखंड समन्वय के विकास कुमार ने बताया कि एलएसबी के तहत फर्स्ट फेस में 12 हजार शौचालय का भुगतान किया गया है द्वितीय फेज में 2300 शौचालय का भुगतान किया गया है. प्रखंड क्षेत्र के लोगों को घरों में बने शौचालय में शौच करने की बात उन्होंने कही है. उनके द्वारा कहा जाता है कि पंचायत के प्रतिनिधियों से इस संबंध में बात भी होती है तथा पंचायत के सम्मानित जनप्रतिनिधियों से कहा जाता है कि खुले में शौच ना करे लोग इसे लेकर वह जागरूक करते रहें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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