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निमोनिया से बच्चों को बचाने की कवायद, दी गयी ट्रेनिंग

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sasaram news. निमोनिया के कारण शिशु मृत्यु दर में कमी कैसे लाया जाये, इसको लेकर जिले के स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया. शनिवार को सदर अस्पताल स्थित पैरामेडिकल भवन के सभागार में जिलास्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

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सासाराम नगर. निमोनिया के कारण शिशु मृत्यु दर में कमी कैसे लाया जाये, इसको लेकर जिले के स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया. शनिवार को सदर अस्पताल स्थित पैरामेडिकल भवन के सभागार में जिलास्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें विभिन्न प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल प्रबंधक, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक को प्रशिक्षण प्रदान किया गया. कार्यशाला में निमोनिया से बच्चों को कैसे बचाया जाये और मृत्यु दर में कैसे कमी लाया जाये? इसको लेकर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किये. प्रशिक्षण शिविर में मौजूद सिविल सर्जन डॉ मणिराज रंजन ने बताया कि निमोनिया से प्रतिवर्ष कई नवजात शिशु अपनी जान गंवा देते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य केंद्रों पर बेहतर देखभाल के साथ-साथ मृत्यु दर में कमी लाना हम सब का दायित्व बनता है. इस प्रशिक्षण का मुख्य मकसद बच्चों को निमोनिया से बचाना है. अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक कुमार ने बताया कि निमोनिया और डायरिया के लिए एकीकृत कार्य योजना के तहत 2025 तक निमोनिया के लिए राष्ट्रीय लक्ष्य रखा गया है, जिसमें निमोनिया से होने वाली मृत्यु को तीन प्रति हजार जीवित जन्म से कम करना है. साथ ही साथ गंभीर निमोनिया के नये केस 2010 की तुलना में 75 प्रतिशत से कम लेकर आना है. एसीएमओ डॉ कुसुम कुमार ने निमोनिया पीड़ित बच्चों की देखभाल व दिये जाने वाली दवा के बारे में विस्तार से जानकारी दी. कार्यक्रम में मौजूद डीआइओ डॉ आरकेपी साहू, जीएनएम नर्सिंग कॉलेज के शिक्षक उदयवीर सिंह ने निमोनिया के लक्षण और बचाव को लेकर जानकारी उपलब्ध कराया. मौके पर जिला अनुश्रवण व मूल्यांकन पदाधिकारी अमित ने प्रतिवर्ष निमोनिया से हो रहे बच्चों की मृत्यु दर को दर्शाते हुए उसे कम करने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति का सहयोग करने के लिए सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम से अपील की.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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