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अमृत मित्र की जांच रिपोर्ट में कई मुहल्लों का पानी मिला है गंदा

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नगर निगम क्षेत्र के घरों तक शुद्ध पेयजल के साथ बीमारियां भी पहुंचायी जा रही हैं, जिसे लोग स्वच्छ समझकर सीधे पी रहे हैं. वह कई बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं.

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सासाराम नगर. नगर निगम क्षेत्र के घरों तक शुद्ध पेयजल के साथ बीमारियां भी पहुंचायी जा रही हैं, जिसे लोग स्वच्छ समझकर सीधे पी रहे हैं. वह कई बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. अमृत 2.0 अंतर्गत अमृत मित्र वीमेन फॉर वाटर, वाटर फॉर वीमेन के तहत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के माध्यम से पेयजल की गुणवत्ता की जांच निगम के वार्डों में की जा रही है. अभी यह जांच पहले फेज में है. कई मुहल्लों के सप्लाइ वाटर की जांच अमृत मित्र ने की है. अमृत मित्र को एक जांच किट दिया गया है. इसी किट के माध्यम से उन्हें पानी की जांच करनी है. इसके अलावा उन्हें रिपोर्ट में पानी में मिलने वाले तत्वों में से 13 की स्थिति देखनी है और उसे एक फॉर्म पर भरकर जमा करना है, जिसकी रिपोर्ट चौंकाने वाले हैं. पेयजल में पीएच की मात्र कई जगहों पर 10 पायी गयी है, जिसका मानक 6.5 से 8.5 होनी चाहिए. वहीं, टीडीएस भी 800 के पार पहुंच चुका है. हालांकि, इसका मानक 500 व 2000 के बीच रखा गया है. इसमें भी 600 तक का पानी सीधे पीने योग्य रहता है. इससे अधिक टीडीएस पाये जाने पर उसे फिल्टर करना पड़ता है. पानी भी गंदा है, कई जगहों पर यह गंदेपन के मानक से अधिक है. पानी 5 एनटीयू से कम गंदा होना चाहिए, जिसे पीने में परेशानी नहीं है. लेकिन, रिपोर्ट में कई स्थानों का पानी 10 एनटीयू है.

गंदा पानी कई बीमारियों को देता है जन्म

दूषित पानी पीने से कई बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में लेती हैं. पानी से होने वाली बीमारियां वायरस और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीवों के कारण होती हैं. पानी से होनेवाले विकार सबसे आम बीमारियों में से एक हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार टाइफाइड, कॉलेरा, वायरल हेपेटाइटिस और डायरिया जैसी बीमारियां दूषित पानी पीने की वजह से होती हैं.

तय मानकों के अनुसार हो पानी, तो सीधे पीने में कोई दिक्कत नहीं

जिलास्तरीय प्रयोगशाला के केमिस्ट रणविजय कुमार ने कहा कि तय मानकों के अनुसार अगर पेयजल हो, तो उसे सीधे पीने में कोई नुकसान नहीं है. अगर कोई भी घटक में कम और ज्यादा है, तो उसे सीधे पीना बीमारियों को दावत देना है. उन्होंने कहा कि पानी में पीएच की मात्रा 6.5 से 8.5 तक होनी चाहिए. इससे अधिक होने पर वह पीने योग्य नहीं होता है. वहीं टीडीएस की मात्र 600 के करीब रहने पर वह सीधे पिया जा सकता है. लेकिन, इससे अधिक होने पर उसे फिल्टर कर पीना चाहिए. वहीं उन्होंने बताया कि अगर पानी में नाइट्रेट की मात्रा ज्यादा हो, तो वह नवजात बच्चों की जान ले सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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