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जिले में 10 में पांच कस्टम हायरिंग सेन्टर स्थापित

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कस्टम हायरिंग के लिये 40 प्रतिशत या अधिकतम चार लाख रुपये अनुदान के रूप में दिये जाते हैं.

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समस्तीपुर . जिले में कृषि को आधुनिकीकरण की ओर ले जाने व कृषि यंत्रों की उपलब्धतता सुनिश्चित करने के लिये कई योजनायें धरालत पर उतारी गयी है. इसकी तहत प्रगतिशील कृषक, कृषि उद्यमी व समूह के लिये दस लाख के प्रोजेक्ट कॉस्ट पर कस्टम हायरिंग सेंटर की भी स्थापना की जा रही है. कस्टम हायरिंग के लिये 40 प्रतिशत या अधिकतम चार लाख रुपये अनुदान के रूप में दिये जाते हैं. जिले में दस कस्टम हायरिंग सेंटर के लक्ष्य के एवज में अब तक पांच कस्टम हायरिंग सेन्टर स्थापित हो चुके हैं. शेष की प्रक्रिया चल रही है. दस में सात सामान्य कोटि के लिये तथा तीन अनुसूचित जाति के लिये कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित होने हैं. इसमें से नौ का परमिट निर्गत हाे चुका है. सात सामान्य जाति के लिये तथा दो अनुसूचित जाति के कस्टम हायरिंग केन्द्र का परमिट निर्गत किया गया गया है. इसमें से सामान्य कोटि का पांच कस्टम हायरिंग सेन्टर स्थापित भी हो चुके हैं. कृषि कार्यों में भाग ले रहे जीविका स्वयं सहायता समूहों से जुड़े परिवार को, जीविका स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता दी जाती है. वहीं कस्टम हायरिंग से किसान पहले आओ पहले पाओ के सिद्धांत पर अन्य किसान भी सहायता ले सकते हैं. कस्टम हायरिंग सेंटर से किसानों को सहूलियत से कृषि मशीनरी व उपकरण किराये पर मिलते हैं. इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को को आधुनिक कृषि उपकरण खरीदने में मदद करना है. कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिये अनुदान दिये जाते हैं. कस्टम हायरिंग सेंटर में काम करने वाले कैडर की जिम्मेवारी कृषि यंत्रों के रखरखाव, मरम्मत, किराया और बीमा करवाना है. कैडर को इसके बदले मानदेय भी दिया जाता है. कस्टम हायरिंग सेंटर में रखे गये यंत्रों की मासिक समीक्षा भी होती है.इतना ही नहीं कस्टम हायरिंग सेंटर में रखे गये यंत्रों की पुस्तिका और पंजी भी संधारित की जाती है. कस्टम हायरिंग सेन्टर में इन यंत्रों की होनी है उपलब्धतता कस्टम हायरिंग सेन्टर में आम तौर पर 35 से 45 एचपी का ट्रैक्टर, जुताई एवं मिट्टी पलटने के लिये एमबी व डिस्क प्लाउ, कल्टीवेटर, रोटावेटर, खेत में बीज एवं खाद डालने के लिये सीड कम फर्टीलाइजर, सेल्फ प्रोपेल्ड कम फर्टिलाइजर ड्रील, फसल कटाई के लिये ट्रैक्टर चालित रीपर, सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर, फसल की कटाई व गट्ठर बनाने के लिये सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर कम बाईंडर, पौधे से दाना निकालने के लिये थ्रेसर, दवा छिड़काव के लिये पावर स्प्रेयर, नेपसेक स्प्रेरयर, दानों से नमी की मात्रा निकालने के लिये डीजिटल नमी मापक यंत्र, दानों की सफाई एवं छटाई के लिये एयर क्लीनर कम ग्रेडर, मक्का की बाली से दाना निकालने के लिये मक्का डिहस्कर कम सेलर, आलू रोपाई यंत्र, बिना जुताई के खेत में बीज एवं खाद डालने के लिये मल्टीक्रॉप जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रील, छोटे आकार के खेत में खेती के लिये पावर ट्रिलर, धान की खेत की तैयारी के समय ट्रैक्टर के चक्के के साथ लगाने के लिये केज व्हील, बड़े फसल अवशेषों वाले खेत में बीज एवं खाद डालने के लिये हैप्पी सीडर, मेड़ बनाने के लिये रीजर बड़े क्षेत्र या फलदार वृक्षों में दवा का छिड़काव करने के लिये मिस्ट ब्लोअर कम डस्टर तथा सिंचाई के लिये पंप सेट जैसे उपकरण रखे जाते हैं. क्या हैं फायदे जिले में 80 प्रतिशत परिवार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिये खेती से जुड़े हैं.ऐसी स्थिति में कृषि की उन्नत तकनीकी को अपना जरूरी है.कृषि में गरीब परिवार की महिलाओं की भूमिका भी एक मजदूर की तरह होती है.महिलाओं को भी कृषि से संबंधित कार्य सौंपे जाते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें भी कृषि के कठिन कार्यों को करना पड़ता है. उन्हें भी कड़ी धूप में खेतों में परिश्रम करना पड़ता है, लेकिन कृषि की आधुनिक पद्धति को अपनाकर और कृषि यंत्रों का अधिकाधिक उपयोग कर कठित परिश्रम व लागत को कम किया जा सकता है. ऐसे में कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिये उचित किराये पर कृषि यंत्र मिलने से कृषि कार्य में सहुलियत होती है. लागत भी कम होता है,लिहाजा बचत भी अधिक होती है.प्राय: छोटे किसानों के पास कृषि यंत्र उपलब्ध नहीं होते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें कस्टम हायरिंग सेन्टर के जरिये कृषि यंत्र उपलब्ध हो जाते हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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