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सार्वजनिक शौचालय : करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं मिला लोगों को लाभ

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प्रखंड क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. करोड़ों की राशि खर्च कर सार्वजनिक शौचालय के नाम पर मात्र खानापूरी की गई.

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मोरवा : प्रखंड क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. करोड़ों की राशि खर्च कर सार्वजनिक शौचालय के नाम पर मात्र खानापूरी की गई. इसे निजी जमीन में बनाकर खुद के इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया. लोगों द्वारा जब भी इसको लेकर आवाज उठाई गई, अधिकारियों ने उसे दबा दिया. बताया जाता है कि बड़े पैमाने पर सार्वजनिक शौचालय के निर्माण को लेकर प्रस्ताव लिया गया था. लेकिन लोगों के लिए यह अनुपयोगी साबित हुआ. प्रखंड क्षेत्र के किसी भी चौक- चौराहे पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण नहीं हुआ. ग्रामीण क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों के चहेते घर में शौचालय बनाकर उसे सार्वजनिक शौचालय का नाम दे दिया गया. लेकिन, अधिकारियों ने यह जानना भी मुनासिब नहीं समझा कि जिस शौचालय का निर्माण आम लोगों के लिए हुआ है उसका उपयोग आमलोग कर भी रहे या नहीं. कार्यालय सूत्रों की माने तो पूरे प्रखंड क्षेत्र में करीब 68 सार्वजनिक शौचालय का निर्माण विगत दो साल के अंदर हुआ है. इस पर करीब एक करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की गई है. शौचालय निर्माण को लेकर आम प्रस्ताव तो काफी लोक लुभावन लिये गये थे. लेकिन जब स्थल का चयन किया गया, तो यह निजी घरों तक सिमट कर रह गया. न तो प्रखंड मुख्यालय की शौचालय सार्वजनिक रूप से कारगर हुए और न ही पंचायत में बनने वाल शौचालय की लोगों के लिए उपयोगी साबित हुआ. ऐसे में एक बार फिर लोगों के द्वारा अधिकारियों से शौचालय निर्माण को लेकर आवाज उठाई जा रही है. महादलित टोले में आज भी शौचालय नहीं है. सार्वजनिक शौचालय को लेकर जो भी योजना बनी सब समर्थवान लोगों के पास पहुंच गया. जरूरतमंद लोग आज भी लोटा लेकर खेतों में जाने को मजबूर हो रहे हैं. मौके पर प्रमुख सान्या नेहा द्वारा बताया गया कि अधिकारियों को सार्वजनिक शौचालय के निर्माण में पारदर्शिता बरतनी चाहिए. स्थल निरीक्षण के समय ही देखा जाना चाहिए कि इससे कितने लोगों को फायदा होगा.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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