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बदलीनुमा मौसम व वातावरण में नमी से रबी फसलों को झुलसा का खतरा

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बदलीनमुा मौसम व वातावरण में नमी के कारण रबी फसलों पर झुलसा का खतरा है.

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समस्तीपुर : बदलीनमुा मौसम व वातावरण में नमी के कारण रबी फसलों पर झुलसा का खतरा है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए सत्तार ने कहा कि मौसम की इस स्थिति में यह बीमारी फसलों में काफी तेजी से फैलती है. वर्त्तमान मौसम में गाजर, मटर, टमाटर, धनियां, लहसून, आलू सहित अन्य रबी फसलों में किसान झुलसा रोग की निगरानी करें. इस रोग में फसलों की पत्तियों के किनारे व सिरे से झुलसना प्रारंभ होती है, जिसके कारण पूरा पौधा झुलस जाता है. इस रोग के लक्षण दिखने पर 2.5 ग्राम डाईइथेन एम-45 फफूंदनाशक दवा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर समान रूप से फसल पर 2-3 छिड़काव 10 दिनों के अन्तराल पर करें. किसान मक्का की फसल में तना बेधक कीट की निगरानी करें. इसकी सूडिंया कोमल पत्तियों को खाती है तथा मध्य कलिका की पत्तियों के बीच घुसकर तने में पहुंच जाती है. तने के गुदे को खाती हुई जड़ की तरफ बढ़ती हुई सुरंग बनाती है. जिससे मध्य कलिका मुरझायी नजर आती है, जो बाद में सुख जाती है. एक ही पौधे में कई सूडिंया मिलकर पौधे को खाती है. इस प्रकार फसल को यह काफी नुकसान पहुंचाती है. उपचार के लिये फसल में फोरेट 10 जी या कार्बाेप्यूरान 3 जी का 7-8 दाना प्रति गाभा प्रति पौधा दें. फसल में अधिक नकुसान होने पर डेल्टामिथ्रिन 250-300 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

गेहूं की फसल को खरपतवार से बचायें

बिलंब से बोयी गयी गेहूं की फसल जो 21 से 25 दिनों की हो गयी हो 30 किलो नत्रेजन प्रति हेक्टयेर की दर से उपरिवेशन करें. गेहूं की बोआई के 30 से 35 दिनों के बाद की अवस्था जिसमें (पहली सिंचाई के बाद) गेहूं की फसल में कई प्रकार के खर-पतवार उग आते हैं. इन खरपतवारों का विकास काफी तेजी से होता है और ये गेहूं की बढ़वार को प्रभावित करता है, जिससे उपज प्रभावित होता है. इन सभी प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण के लिये सल्फोसल्फयुरॉन 33 ग्राम प्रति हेक्टेयर एवं मेटसल्फयुरॉन 20 ग्राम प्रति हेक्टर दवा 500 लीटर पानी में मिलाकर खड़ी फसल पर छिड़काव करें.

मटर व बैगन को फली छेदक कीट से बचायें

किसान पिछात मटर में निकाई-गुराई करें. फसल में फली छेदक कीट की निगरानी करें. इस कीट के पिल्लू फलियोंं में जालीनुमा आवरण बनाकर उसके नीचे फलियों में प्रवेश कर अन्दर ही अन्दर मटर के दानों को खाती रहती है. एक पिल्लू एक से अधिक फलियों को नष्ट करता है. अक्रान्त फलियां खाने योग्य नहीं रह जाती, जिससे उपज में अत्यधिक कमी आती है. कीट प्रबन्धन के लिये प्रकाश फंदा का उपयोग करें. 15-20 टी आकार का पंछी बैठका (वर्ड पर्चर) प्रति हेक्टर लगावें. अधिक नुकसान होने पर क्वीनालफॉस 25 ईसी या नोवाल्युरॉन 10 ईसी का 01 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें. सब्जियों में निकाई-गुड़ाई करें. बैगन की फसल को तना एवं फल छेदक कीट की निगरानी करें. फसल में कीट का प्रकोप दिखने पर रोकथाम हेतु सर्वप्रथम ग्रसित तना एवं फलों को इक्कठा कर नष्ट कर दें तथा फसल में स्पिनोसेड 48 ईसी/1.0 मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. कीटनाशक दवा के तैयार घोल में गोंद 1.0 मिली प्रति लीटर पानी की दर से अवश्य मिलायें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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