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अध्यात्मिक एवं पौराणिक शहर राजगीर में आयोजित मलमास मेला के प्रथम शाही स्नान पर विभिन्न अखाड़ों के साधु संत महात्माओं की शोभायात्रा गाजे बाजे के साथ शनिवार को निकाली गयी. शोभायात्रा में साधु संत महात्माओं के अलावे गृहस्थ नर – नारी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए.
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जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित समय पर सुबह सात बजे से 11 बजे दिन तक शाही स्नान का सिलसिला जारी रहा. बारी बारी से अलग अलग अखाड़ों के साधु-संत महात्मा आते रहे और गर्मजल के कुंडों में स्नान करते रहे. पुरुषोत्तम एकादशी के मौके शाही स्नान साथ कुंडों में स्नान के लिए देश – प्रदेश से श्रद्धालु लाखों की संख्या में राजगीर पहुंचे हैं.
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तीर्थयात्रियों के स्नान के लिए रात्रि 1:00 बजे से ही सप्तधारा और ब्रह्मकुंड का द्वार खोल दिया गया था. उससे श्रद्धालुओं को काफी सहुलियत हुई है. पुरुषोत्तम एकादशी का पहला शाही स्नान सिमरिया काली धाम के पीठाधीश्वर संत शिरोमणि करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदानंद जी महाराज उर्फ फलाहारी बाबा द्वारा किया गया.
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फलाहारी बाबा के बाद प्रयागराज के जगतगुरु विश्वकर्मा शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज जी महाराज और महामंडलेश्वर स्वामी विवेक मुनि जी महाराज द्वारा शाही स्नान किया गया. इसके साथ ही संतों और महंतों के शाही स्नान का दौर शुरू हुआ, जो दोपहर 11 बजे तक आवाधित गति से चलते रहा.
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जिलाधिकारी शशांक शुभंकर स्वयं ब्रह्मकुंड क्षेत्र के मुख्य प्रवेश द्वार पर मौजूद रहे. भीड़ प्रबंधन की मॉनिटरिंग के साथ साधु संतों के अखाड़ों का खुद स्वागत करते रहे. दशरथ किला के महामंडलेश्वर स्वामी अंतर्यामी शरण जी महाराज, नई पोखर ठाकुर बाड़ी के महंत लक्ष्मण दास जी महाराज, हनुमानगढ़ी के महंत स्वामी राम कुमार दास जी महाराज , अयोध्या के दिगंबर निर्वासि निर्मोही अखाड़ा के मंत्री वैष्णव दास, पटना सिटी के महंत दयानन्द मुनि महाराज सहित साधु संत बड़ी संख्या में शाही स्नान के दौरान ब्रह्मकुंड में डुबकी लगायी.
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परंपरा अनुसार नानक शीतल कुंड और सरस्वती नदी में स्नान करने के बाद ही सप्तधारा कुंड और ब्रह्म कुंड में स्नान करना होता रहा है. लेकिन इस बार पुरानी परंपरा भंग होती देखी गई. नानक शीतल कुंड में तो संत महंत, पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वरों द्वारा स्नान किया गया. लेकिन सरस्वती नदी में किन्हीं के द्वारा स्नान नहीं किया गया. इसका कारण सरस्वती नदी में गंदा पानी होना बताया जा रहा है. नानक शीतल कुंड के बाद सीधे सभी साधु संत महंतों द्वारा सप्तधारा और ब्रह्मकुंड में स्नान कर शाही स्नान के रस्म को पूरा किया गया.
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शोभायात्रा के दौरान जगह जगह लोगों द्वारा लाठी एवं तलवारों का करतब भी दिखाया गया. झुनकियां बाबा मंदिर के महंत अंतर्यामी शरण जी महाराज ने शाही स्नान के बारे में बताते हुए कहा कि शाही स्नान यानि राजाओं का स्नान होता है.
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झुनकियां बाबा ने कहा कि पुरुषोत्तम मास में 33 कोटि देवी देवता राजगीर में विराजमान होते हैं. अग्नि पुराण में ऐसी व्याख्या है कि मगध के राजा बसु द्वारा आयोजित वाजपेयी ज्ञग में सभी देवी देवता, ऋषियों, मुनियों और नदियों का आवाहन किया गया था. शाही स्नान और राजगीर में उमड़ रही जन सैलाब को लेकर जिला प्रशासन द्वारा पुख्ता व्यवस्था की गई है.
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मान्यता अनुसार अध्यात्म की इस प्रागैतिहासिक धरती पर मलमास मेला के दौरान 33 कोटि देवी देवताओं का राजगीर में प्रवास हो रहा है. मलमास मेला के पहले शाही स्नान के मौके पर पंच पहाड़ियों से आच्छादित राजगीर में संतों की शाही पेशवाई हर्षोल्लास के साथ आज निकली. रथों की सवारी पर निकली शाही पेशवाई में बैंडबाजों भी शामिल हुए.