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बाबा कारू को दुग्ध अभिषेक, माता कोसी भी दुग्ध पान से हुई तृप्त

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गौ पालन हीं पारिवारिक भरण पोषण का मुख्य पेशा था

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महिषी क्षेत्र के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र व लोकदेवता बाबा कारू खिरहर के प्रसिद्ध व भव्य मंदिर में शारदीय नवरात्र के सप्तमी तिथि के पारंपरिक विशिष्ट पूजा व भोग में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से एक लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं ने उपस्थिति दर्ज करा व माथा टेक सुख समृद्धि का आशीर्वाद लिया. क्षेत्र के महिषी दक्षिणी पंचायत के लहठा बथान पर किसान परिवार में जन्मे बाबा कारू बचपन से हीं आध्यात्मिक प्रवृत्ति में लीन हुए. ऐसी मान्यता है कि ये भगवान कृष्ण के हीं वंशज थे. जिनके पूर्वज कालांतर में लहठा बथान में अपना डेरा जमा पारिवारिक जीविकोपार्जन करने लगे. बाबा कारू कृष्ण के गो पालन परंपरा के प्रवर्तक के रुप मे भी जाने जाते हैं. गौ पालन हीं पारिवारिक भरण पोषण का मुख्य पेशा था. ऐसी चर्चा है कि ये देवाधिदेव महादेव के अनन्य उपासक थे व गांव से सटे दक्षिण प्रसिद्ध शिव मंदिर नाकुच में वर्षों तप में लीन रहे. महादेव की वर्षों तपस्या के बाद इन्हें सिद्धि मिली व महान संत के रूप में ख्याति मिली. इनके कई चमात्कारिक कारनामों को देख ये अध्यात्म जगत में चर्चा में आये व लब्ध प्रतिष्ठ संत के रूप में उभरे. अपनी योग सिद्धि से जीवन पर्यंत लोक कल्याण करते रहे. ग्रामीणों के मुताबिक शारदीय नवरात्र के सप्तमी तिथि को विशिष्ट पूजा की परंपरा उन्हीं की देन है व आज भी उनके परंपरा का निर्वहन किया जा रहा. नेपाल की तराई क्षेत्र से लेकर कोसी मिथिला व अंग प्रदेश के गोपालक अपने घर से दूध, चावल, गांजा, घी सहित अन्य चढ़ावा लेकर मंदिर पहुंचते हैं व भभूत लेकर वापस जाते हैं. बाबा की ऐसी महानता है कि रास्ते में तीन दिन के सफर में भी इनके भोग को समर्पित दूध फटता नहीं व सुरक्षित मंदिर तक आता है. कोसी की मुख्य धारा से सटे निर्मित विशाल मंदिर पर कभी कोसी भी अपनी कुदृष्टि नहीं देती. सप्तमी तिथि के दिन बाबा को सैकड़ों लीटर से किया जाने वाला दुग्ध अभिषेक की धारा कोसी में बहकर जाती है व माता कोसी भी दुग्ध पान कर तृप्त हो अभय वरदान देती है. बुधवार को अहले सुबह से श्रद्धालुओं का आगमन देर शाम तक लगा रहा. लोगों ने कौशिकी स्नान कर बाबा की पूजा अर्चना व नमन वंदन कर पारिवारिक सुख शांति का आशीर्वाद लिया. मेला की जमघट ऐसी कि पूर्वी कोसी तटबंध व राजनपुर-कर्णपुर रोड के तीन किलोमीटर पूर्व से हीं वाहन प्रवेश पर रोक होने के बाद भी मंदिर परिसर पैदल घुसने में एक घंटा से भी अधिक का समय लगता रहा. भीड़ को नियंत्रित करने व विधि व्यवस्था क़ायम रखने में थानाध्यक्ष अमरनाथ कुमार के नेतृत्व व मंदिर न्यास के संयोजन में सभी पुलिस अधिकारी, पुलिस बल के जवान व स्थानीय स्वयं सेवी युवाओं ने सक्रिय योगदान दे पूजा व प्रसाद वितरण संपन्न कराया. प्रसाद वितरण में मंदिर न्यास के सचिव बैजनाथ खिरहर, कोषाध्यक्ष संजय कुमार, महंथ उपेंद्र खिरहर, स्थानीय मुखिया पंकज कुमार सिंह, नहरवार मुखिया प्रतिनिधि नंदन कुमार, पूर्व मुखिया विजय कुमार सिंह, अखिल भारतीय भगैत महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष देव नारायण यादव उर्फ नुनू सहित दर्जनों समाजसेवी ने सहभागिता दे परमार्थ सिद्धि की कामना की. लहठा बथान पर भगैत संकीर्तन से वातावरण भक्तिमय बना रहा. मेला समिति सदस्यों ने जानकारी देते बताया कि रात्रि में श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए जागरण की व्यवस्था की गयी है. मशहूर गायिका रिया पांडे, उषा यादव व रवि आनंद का सुर सजेगा.

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