कोसी की सहायक नदी तिलावे का मिट रहा अस्तित्व
कोसी की सहायक नदी तिलावे का मिट रहा अस्तित्व
बारिश के मौसम में भी तिलावे नदी में पानी के हैं लाले, तिलावे नदी के खाली पड़े भागों को अतिक्रमण कर रहे हैं स्थानीय लोग सौरबाजार. कोसी के बाद सहरसा जिला से होकर गुजरने वाली सबसे बड़ी नदी तिलावे है. लेकिन यह नदी अपने अस्तित्व को खो रही है, जिसे बचाने की आवश्यकता है. 85 किलोमीटर लंबी यह नदी सुपौल के रास्ते सहरसा होते खगड़िया जिला में कोसी नदी में समा जाती है. 54 किलोमीटर यह सहरसा में बहती है. नदी में गाद जमा हो जाने के कारण इसका मार्ग अवरूद्ध हो गया है और पानी का बहाव कम हो गया है. सिर्फ बरिश के दिनों में ही इस नदी में पानी रहता है. लेकिन इस बार नदी को पानी के लाले पड़े हैं. नदी में कहीं भी पानी नजर नहीं आ रहा है. जबकि सुखाड़ के समय में नदी के किनारे किसान इसमें पंपसेट लगाकर अपनी फसल की पटवन कर लेते थे तो फसल की जान बच जाती थी. लेकिन अब स्थिति यह है कि खुद नदी ही पानी के लिए लालायित है तो वह किसानों या अन्य लोगों को पानी कैसे उपलब्ध करायेगी. स्थानीय लोगों ने सरकार से इस नदी के बहाव को सुचारू रखने के लिए इनके गाद की सफाई करने की मांग की है. नदी का बहाव सुचारू रहने से नदी के किनारे छोटे-छोटे लघु और कुटीर उद्योग स्थापित किया जा सकता है. साथ ही सहरसा शहर के सभी नाले को इस नदी से जोड़कर जल निकासी की जा सकती है और शहर को जल जमाव से मुक्ति दिलायी जा सकती है. कई लोगों ने कहा कि इस नदी का बहाव रहने से स्थानीय लोगों को काफी सहूलियत मिलती थी. साथ ही किसानों और पशुपालकों को भी सुविधा प्रदान होती थी. इसीलिए सरकार को इस नदी के गाद की सफाई कर इसे फिर से अपने पुराने रूप में लाने का प्रयास किया जाना चाहिए. तिलावे उत्तर बिहार की कोसी के बाद सबसे बड़ी नदी मानी जाती है. लेकिन यह अपने अस्तित्व को समाप्त करने की कगार पर है. सौरबाजार, सत्तरकटैया ,सिमरी बख्तियारपुर, बनमा इटहरी, सलखुआ होते हुए यह नदी खगड़िया जिले में कोसी में समा जाती है. गाद के सफाई के नाम पर लाखों हुए खर्च मनरेगा समेत अन्य योजना से तिलावे नदी के गाद सफाई के नाम पर करोड़ों की योजना संचालित की जा चुकी है. लेकिन धरातल पर काम नहीं होने के कारण इसमें कोई परिवर्तन नही हो सका है. नदी की उड़ाही, गाद सफाई और फसल सुरक्षा बांध बनाने के नाम पर करोड़ों की राशि सरकारी खजाने से खाली हो गयी है. लेकिन तिलावे नदी की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. जिले के वरीय पदाधिकारी और सरकार को इस पर संज्ञान लेकर इसके जीर्णोद्धार की दिशा में पहल करने की जरूरत है. लोगों ने कर लिया है अतिक्रमण नदी के सूखे रहने के कारण स्थानीय लोगों द्वारा नदी को अतिक्रमण कर खेत बना लिया गया है और उसमें फसल उगायी जा रही है. कई जगहों पर नदी के किनारे बसे लोगों द्वारा इनमें मिट्टी भरकर घर भी बनाया जा रहा है. जिसके कारण उन्हें देख अगल बगल के लोग भी इसे अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहे हैं. यदि प्रशासन समय रहते इस ओर अपना ध्यान आकर्षित नहीं करती है तो आने वाले समय में लोगों द्वारा इन्हें अतिक्रमण कर अपने कब्जे में लेकर नदी के अस्तित्व को समाप्त कर दिया जायेगा.
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