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सड़कों पर फर्राटे से दौड़ रही जुगाड़ गाड़ी

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कबाड़ से कम खर्च में बन जाती है जुगाड़ गाड़ी

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कबाड़ से कम खर्च में बन जाती है जुगाड़ गाड़ी सहरसा.जिले की सड़कों पर फर्राटे से जुगाड़ गाड़ी दौड़ रही है. जुगाड़ गाड़ी ओवरलोड सामान लाद कर ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहर में भी फर्राटे भरते नजर आती है. जिले के अन्य बाजारों में भी इस तरह के वाहन चलते हैं. गांवों में सामान आदि ढोने के काम में इनका प्रयोग खूब हो रहा है. सामान ढोना हो या ठेला पर पानी पूरी, गन्ना का रस, फास्ट फूड बेचना, लोगों ने ठेला पर पुराना मोटरसाइकिल व पंपिंग सेट लगा कर जुगाड गाड़ी बना लिया है. कबाड़ से बनता है जुगाड़ कबाड़ में जुगाड गाड़ी बनाने का सामान आसानी से मिल जाता है. वहीं कोई ज्यादा खर्चा भी नहीं लगता है. एक साधारण पंप सेट से ही इसका निर्माण कर दिया जाता है. कबाड़ी दुकान से पंपिंग मशीन, पुरानी मोटरसाइकिल, स्कूटर, ऑटो रिक्शा और आटा चक्की के पुराने पुर्जों को खरीद कर जोड़-तोड़ कर जुगाड़ गाड़ी तैयार किया जाता है. इसे बनाने में 15 से 20 हजार रुपए तक खर्च आता है. तिपहिया ठेला गाड़ी में कल-पुर्जा लगा कर जुगाड़ गाड़ी बना ली जाती है. कोई भी मोटरसाइकिल, स्कूटर या ऑटो रिक्शा मैकेनिक उसे आसानी से तैयार कर देता है. जुगाड़ गाड़ी को चलाने वाले बड़े ही खतरनाक तरीके से सामान को ढोते हैं. उस पर लोहे का सरिया, बांस और ईंट को लाद कर बड़ी तेजी से गाड़ी को सड़कों पर दौड़ाते रहते हैं. इससे उसके आसपास चलती गाड़ियों को हमेशा खतरा रहता है. बेखौफ चलते हैं जुगाड़ चालक सबसे अहम बात यह है कि सड़क पर बेधड़क दौड़ती जुगाड़ गाड़ियों के मालिकों को कोई रजिस्ट्रेशन व टैक्स की चिंता नहीं होती है. न तो पकड़े जाने का खौफ रहता है. इतना ही नहीं परिवहन विभाग के लिए भी एक चुनौती है कि इनका रजिस्ट्रेशन किस वाहन के रूप में करें. जुगाड गाड़ी परिवहन विभाग की व्यवस्था पर भारी पड़ रही है. जहां अन्य वाहन चालकों पर चेकिंग का खौफ रहता है. वहीं यह बेखौफ चलते हैं. माल ढुलाई का बन गया है बेहतर साधन जुगाड गाड़ी कम लागत में लोगों के लिए माल ढुलाई का बेहतर साधन बन गया है. प्रशासन की आंखों के सामने सड़कों पर फर्राटा भरता है. लेकिन अभी तक इस पर कोई रोक नहीं लगायी जा रही है. यह लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. गरीबों को जुगाड गाड़ी रोजगार तो दे रही है, लेकिन इसके साथ ही यह ट्रैफिक नियमों को भी तोड़ रही है व सड़कों पर मौत बन कर घुम रही है. इसके चालक के पास न तो कोई लाइसेंस होता है और न ही इस गाड़ी का कोई कागजात बनाया जाता है. बेतरतीब तरीके से माल लादकर करते हैं ढुलाई जो हमेशा बना रहता है खतरा का कारण. फोटो – सहरसा 02 – जुगाड़ पर दौड़ रही भेलपुरी की गाड़ी.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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