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सत्संग के प्रभाव से मनुष्य में सत्कर्मों को अपनाने की प्रवृति होती है जागृत

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सत्संग के प्रभाव से मनुष्य में सत्कर्मों को अपनाने की प्रवृति होती है जागृत

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पतरघट. संत सदगुरू महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के परम प्रिय शिष्य ब्रम्हलीन पूज्यपाद स्वामी रामबालक जी महाराज के स्मृतिशेष पर किशनपुर संतमत सत्संग आश्रम में रविवार से दो दिवसीय सत्संग ज्ञान यज्ञ का विराट आयोजन किया गया. प्रातः छह बजे से एवं अपराह्न दो बजे से भजन कीर्तन के साथ सत्संग प्रारंभ किया गया. मौके पर पुज्यपाद स्वामी शंभू चेतन देव जी महाराज ने कहा कि सत्संग का मतलब ज्ञान प्राप्त करना है. सत्संग में जाने का मतलब मन को शुद्ध करना, व्यक्तित्व का विकास, ईश्वर की संगति पाना, आत्मिक विकास को बढ़ावा देना होता है. अच्छे लोगों की संगति ही सत्संग है. सतसंग का मुख्य उद्देश्य ही जीवन को सतमार्ग पर चलने के लिए सुधारना होता है. सत्संग में रहनेवाले सभी को कलयुग की तकलीफें नहीं होती है. सत्संग सुनने मात्र से मनुष्य चिंतन करना शुरू कर देता है. उसे भगवान नाम की महिमा समझ आने लगती है. उन्होंने कहा कि सत्संग का सबसे बड़ा लाभ ईश्वर की प्राप्ति व गुरु को पहचानना है जो हमें आध्यात्मिकता सिखाते हैं. गुरु एक ढाल है जो हमें गलत समझ से बचाता है. सत्संग सुनने से मानव का कल्याण होता है. सत्संग के प्रभाव से मनुष्य में सत्कर्मों को अपनाने की प्रवृति जागृत होती है. उन्होंने कहा अच्छे कर्मों से अच्छा तथा बुरे कर्मों से बुरा फल प्राप्त होता है. इसलिये हर मनुष्य को बुरे कर्मों का त्याग कर अच्छे कर्म करना चाहिये. प्रवचन के दौरान स्वामी उपेंद्र बाबा ने कहा ने कहा कि ज्ञान दो प्रकार का होता है. शरीर के साथ आत्मा जो वास करती है वही भौतिक ज्ञान होता है. उन्होंने ध्यान योग की चर्चा करते कहा कि मन काफी चंचल होता है. मन विषय की तरफ भागता है. जिसे नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए. दो दिवसीय संतमत सत्संग को लेकर पूरे इलाके में भक्तिमय माहौल बना हुआ है. वही सत्संग की सफलता को लेकर दरोगा उमेश प्रसाद यादव, ललिता देवी, सौरभ संगम, अमरेंद्र यादव सहित सत्संग प्रेमियों का अमूल्य सहयोग मिल रहा है.

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