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संभल जाइये, कही आपके खाने में तो नहीं हो रही मिलावट, घर का खाना है सेफ व स्वास्थ्यवर्धक

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संभल जाइये, कही आपके खाने में तो नहीं हो रही मिलावट

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वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे आज सिमरी बख्तियारपुर . लोगों को सुरक्षित व पौष्टिक भोजन के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल सात जून को वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने साल 2018 में की थी. इसकी जरूरत इसलिए पड़ी की पैसा देने के बाद भी लोगों को बाजार में शुद्ध सामान नहीं मिल पा रहा है. आजकल जिस तरह से लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं. वे इस बात पर भी निर्भर करती हैं कि आप क्या खा रहे हैं. खाने-पीने की जिन चीजों का उपयोग कर रहे हैं, वे शुद्ध हैं या मिलावटी. खाद्य पदार्थों में मिलावट हमारे लिए चुनौती बन गयी है. अब जरूरी है कि अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित भोजन का चयन करें व इसके प्रति जागरूक बनें. जुर्माना व सजा दोनों का प्रावधान फूड सेफ्टी यह सुनिश्चित करती है कि खाद्य सामग्री के उपभोग से पहले फसल का उत्पादन, भंडारण व वितरण तक खाद्य श्रृंखला का हर स्टेप पूरी तरह से सुरक्षित हो. इसी की वजह से फूड सेफ्टी डे का महत्व बढ़ जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मिलावट व दूषित खाद्य पदार्थों से हर साल 10 में से एक व्यक्ति बीमार होता है. दुनियाभर में विकसित व विकासशील देशों में हर वर्ष भोजन व जलजनित बीमारी से लगभग तीस लाख लोगों की मौत हो जाती हैं. खाद्य पदार्थों में मिलावट, नकली ब्रांड व घटिया गुणवत्ता के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दाल से लेकर दूध, मावा, घी, मसाले, आटा, फल-सब्जियां सहित खाने-पीने की लगभग हर चीज में मिलावट होती है. यही वजह है कि खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी रोकने एवं गुणवत्ता स्तरीय बनाए रखने के लिए देश में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 लागू है. जिसमें जुर्माना एवं सजा दोनों का प्रावधान है. शरीर पर पड़ता है दुष्प्रभाव मिलावटी खाने से कई तरह की गंभीर बीमारियां होती है. मसलन, लीवर व किडनी की समस्या, पेट में गड़बड़ी, डायरिया, कैंसर, उल्टी, दस्त, जोड़ों में दर्द, पाचन तंत्र, रक्तचाप व हृदय संबंधी परेशानियां, फूड पॉइजनिंग, एनीमिया, त्वचा संबंधी बीमारियां आदि. इसके अलावे कई बार मिलावटी खाने से गर्भस्थ शिशु और मस्तिष्क तक को नुकसान पहुंचता है. सोचने की क्षमता भी प्रभावित होती है. इससे एसिडिटी, अल्सर जैसी परेशानियां भी हो जाती है. लीवर में सूजन व हेपेटाइटिस भी हो सकता है. ऐसे होती है मिलावट फलों को जल्दी पकाने के लिए रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. खराब फल एवं सब्जियों को ताजा में मिला दिया जाता है. खाद्य सामग्री को आकर्षक दिखाने के लिए कैमिकल युक्त रंगों का प्रयोग किया जाता है. अनाज, दाल एवं अन्य फसलों में मिट्टी, कंकड पत्थर मिलाया जाता है. सरसों के तेल में आर्जिमोन तेल की मिलावट होती है. अरहर की दाल व बेसन में अन्य दाल की मिलावट होती है. लाल मिर्च में रोडामाइन बी की मिलावट की जाती है. दाल, चावल, ड्राई फ्रूट्स, बेसन, सौंफ, चॉकलेट, पनीर, खोया, आइसक्रीम, कॉफी, सॉस, कैचअप, चायपत्ती, अनाज, मिठाइयां, सब्जियां, आटा सहित अन्य खाद्य पदार्थों में ज्यादा मिलावट होती है. कहते हैं डॉक्टर.. डॉ सुनील कुमार कहते है कि आजकल लोगों के बीच होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट एवं स्ट्रीट फूड स्टॉल्स पर खाने-पीने का चलन काफी बढ़ा है. यही वजह है कि लोगों की इस आदत ने उन्हें बीमार करना भी शुरू कर दिया है. इसका सबसे बड़ा कारण यूज्ड तेल है. विशेष रूप से स्ट्रीट फूड स्टॉल में तलने के लिए कई दिनों तक एक ही तेल चलाया जाता है. कई दिन तक एक ही तेल यूज करने से वह तेल बार-बार ठंडा होता रहता है और उसे अगले दिन फिर से गर्म कर दिया जाता है. तेल जलने के बाद उसमें ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. तेल जितनी बार जलेगा उतना ही ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा उसमें बढ़ेगी, यह पदार्थ हृदय में चर्बी को बढ़ा देता है. जिससे खून प्रवाहित होने वाली मुख्य तीन नलियों में ब्लॉकेज आ सकता है. कहते है जानकार जिले में हजारों स्ट्रीट फूड वेंडर हैं. जबकि फूड सेफ्टी का लाइसेंस बहुत कम के पास है. लाइसेंस रखने वालों में ज्यादातर शहरी इलाके के हैं. कहीं भी खानपान में किसी भी तरह की मिलावट का पता चलता है तो आम लोग भी एफएसएसएआई से इसकी शिकायत सबूत के साथ कर सकते हैं. शिकायत करते ही इसकी सूचना संबंधित फूड सेफ्टी ऑफिसर के पास चली जायेगी. इसके बाद शिकायत की जांच और कार्रवाई होगी. घर का खाना है सेफ डॉ सुनील कुमार ने बताया कि मिलावटी या प्रदूषित खानपान विभिन्न बीमारियों का कारण बनता है. इससे पेट से संबंधित विभिन्न रोग जैसे डायरिया, उल्टी, तेज पेट दर्द आदि हो सकते हैं. बाजार से खरीदी खाद्य सामग्री खरीदकर खाने पर कई बार एसिडिटी की समस्या होती है. जबकि घर में बनी ऐसी खाद्य सामग्रियां खाने पर यह समस्या नहीं होती है. ऐसे में अधिक से अधिक घर में बनी खाद्य सामग्रियों का ही सेवन किया जाना चाहिए. हालांकि घरों पर भी इस तरह के तेल का उपयोग कई बार किया जाता है जो हानिकारक है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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