15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

कौन हैं बाबा कारू खिरहर, जिनके दरबार में बेटे की मुराद होती है पूरी, कोसी के गर्भ में है भव्य मंदिर

Advertisement

लोगों की आस्था ने कारू खिरहर को लोक देवता बना दिया है. सहरसा के महपुरा में कोसी नदी में इनका भव्य मंदिर है. यहां पूरे बिहार से श्रद्धालु दुग्धाभिषेक करने आते हैं. दिन भर खीर का प्रसाद बनता है और बांटा जाता है. मान्यता है कि यहां सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

सहरसा से कुमार आशीष

- Advertisement -

भारत साधु-संत एवं लोकदेवताओं का देश रहा है. सौभाग्य से बिहार के कोसी का इलाका लोकदेवताओं के लिहाज से समृद्ध रहा है. उन्हीं लोकदेवताओं में से 17वीं सदी के एक बाबा कारू खिरहर का नाम भी प्रमुखता से शामिल है. कहते हैं कि पशुओं के प्रति अगाध प्रेम और समर्पण ने इन्हें देवताओं की श्रेणी में खड़ा का दिया. आज ये लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक है. मान्यता है कि कारू बाबा स्थान में मांगी जाने वाली सभी मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूरी होती है. 

कोसी के गर्भ में बना है भव्य मंदिर

सहरसा जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर पश्चिम पूर्वी कोसी तटबंध से सटे नदी के गर्भ में बाबा कारू खिरहर का विशाल व भव्य मंदिर है. मंदिर की विशेषता यह है कि कोसी नदी में हर साल आने वाली बाढ़ आसपास भारी तबाही मचाती है. लेकिन कोसी की मचलती धारा मंदिर से सटकर पूरी तरह शांत हो जाती है. नदी के उतावलेपन ने आज तक मंदिर या मंदिर के भूभाग को  किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया है. यहां प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है. मान्यता है कारू स्थान में बाबा से मांगी जाने वाली हर मुराद पूरी होती है. मनोकामना पूर्ण होने के बाद लोग बाबा का आभार जताने व चढ़ावा चढ़ाने दोबारा जरूर आते हैं.

दिनभर बनता और बंटता रहता है खीर

बाबा कारू खिरहर पशुपालक से पशु चिकित्सक बने थे. आज भी पशुपालकों की मान्यता है कि मवेशियों के किसी भी तरह की परेशानी को दूर करने के लिए बाबा कारू का नाम, उनकी आराधना ही काफी है. इसीलिए पशुपालक अपने मवेशी का पहला दूध बाबा को अर्पण करते हैं. आज भी प्रत्येक दिन बाबा को सैंकड़ों क्विंटल दूध, चावल और चीनी का चढ़ावा चढ़ाने की परंपरा बनी हुई है.

इसी चढ़ावे से कारू खिरहर मंदिर में दिनभर खीर का प्रसाद बनता और बंटता रहता है. आश्विस मास में मनाये जाने वाले दुर्गापूजा की सप्तमी को हजारों की यह भीड़ लाखों में तब्दील हो जाती है. उस दिन बाबा को इतने अधिक लोग दुग्धाभिषेक करते हैं कि बहते हुए दूध से पीछे बह रही कोसी नदी का जल पूरी तरह सफेद हो जाता है और लोग दूध की नदी का साक्षात दर्शन करते हैं.  

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें