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बिहार में दो नाबालिग सहेलियों को आपस में हुआ प्यार, मंदिर में शादी कर पहुंची पुलिस थाने, फिर हुआ कुछ ऐसा…

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रोहतास के एक गांव में आमने सामने रहने वाली दो सहेलियों को आपस में प्यार हो गया. एक मैट्रिक पास छात्रा को दूसरी स्नातक की. बचपन से साथ रह रही दोनों सहेलियों को कब प्यार हुआ उन्हें भी पता नहीं चला. इसके बाद दोनों ने मंदिर में जा कर शादी रचा ली. इस बात का खुलासा उस वक्त हुआ जब दोनों थाना पहुंची.

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रोहतास जिले से दो नाबालिगों के प्रेम प्रसंग का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सको चौंका दिया है. दरअसल, एक साथ रह कर पढ़ाई करने वाली दो लड़कियां पहले पक्की सहेली बनीं, फिर दोनों के बीच इश्क का ऐसा परवान चढ़ा कि उन्होंने एक-दूसरे के साथ शादी कर ली. इसके बाद एक साथ जीने-मरने की कसमें खाकर अब एक ही साथ रहने के लिए अपने माता-पिता से बगावत पर उतर आयी हैं. दोनों नाबालिग सहेलियां सूर्यपुरा थाना क्षेत्र की बलिहार पंचायत के अलीगंज टोले की रहने वाली हैं.

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मंदिर में दोनों ने रचा ली शादी

बीते दिन दोनों सहेलियों ने अपने घर वालों की मर्जी के खिलाफ जाकर सिद्ध शक्तिपीठ भलुनी भवानी धाम में शादी कर ली. घर वालों एवं ग्रामीणों को इस बात की जानकारी तब मिली, जब दोनों सहेलियों ने अपनी शादी की बात गुरुवार को सूर्यपुरा थाना पहुंच कर बतायी. दोनों लड़कियों के नाबालिग होने के कारण थानाध्यक्ष प्रिया कुमारी ने पहले इस बात की जानकारी उनके परिजनों को दी. फिर दोनों सहेलियों को समझा- बुझा कर माता-पिता के साथ घर भेज दिया. इसके बाद भी दोनों सहेलियां एक साथ रहने की जिद पर अड़ी हुई हैं.

एक स्नातक तो दूसरी मैट्रिक की है छात्रा

गौरतलब है कि एक लड़की अलीगंज टोला की रहने वाली बीए पार्ट 2 की छात्रा है और दूसरी ने इसी वर्ष मैट्रिक की परीक्षा पास की है. दोनों में बचपन से ही एक- दूसरे के प्रति काफी लगाव है. वो कब एक दूसरे के प्रति आकर्षित होकर प्रेम बंधन में बंध गयीं, परिजनों के साथ ग्रामीणों को भी इसकी भनक नहीं लगी.

एक लड़की की जून में हुई थी शादी

स्थानीय लोगों ने बताया कि दोनों सहेलियों में से एक लड़की की शादी बीते एक जून को उसके परिजनों ने बड़े ही धूमधाम से काफी रुपये खर्च कर की थी. परंतु, शादी के दो सप्ताह बाद ही वह वहां से भागकर अपने घर चली आयी. दोनों लड़कियों के घर ठीक आमने- सामने हैं. दोनों के परिजनों के बीच भी अच्छा लगाव है. इसी कारण दोनों सहेलियों का एक-दूसरे के साथ खेलना – कूदना, पढ़ना – लिखना, खाना – पीना, सोना – जागना सब साथ ही होता था.

थानाध्यक्ष ने दोनों को समझाने की कोशिश की

दोनों सहेलियां जब थाना पहुंची तो थानाध्यक्ष ने दोनों लड़कियों को समझाया कि दोनों अभी नाबालिग हों और और दो लड़कियों की आपस में शादी को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है. इसलिए तुम दोनों अपने-अपने घर जाओ. परंतु दोनों लड़कियों ने यह तर्क दिया कि हम यदि घर जाते हैं, तो हमारे परिजन मारपीट करेंगे और हमें घर से बाहर नहीं जाने देंगे. हम घर नहीं जाना चाहते. वहीं, दोनों के परिजन ने एक कागज पर लिखित में दूसरे को सुरक्षित रखने की बात लिख कर घर ले गए. जबकि जाते-जाते दोनों लड़कियों ने कहा कि हम दोनों जब बालिग हो जायेंगे, तो एक-दूसरे के साथ ही रहेंगे.

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2018 में अपराध की श्रेणी से हटाई गई थी समलैंगिकता

भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान 1860-62 में आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिकता को अपराध घोषित किया गया था. वर्ष 2000 के बाद से इस धारा को लेकर कई बार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग दायर याचिकायों पर सुनवाई हुई. इस बाद साल 2018 में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने धारा 377 पर समलैंगिकों के हक में फैसला सुनाते हुए कहा समलैंगिता कोई अपराध नहीं है. समलैंगिकों को भी वही मूल अधिकार हैं, जो देश के किसी भी सामान्य नागरिक के हैं. इस देश में सब को सम्मान से जीने का हक है.

उठ रही समलैंगिक विवाह को कानूनी आधार देने की मांग

समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाए जाने के बाद से भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी आधार देने की मांग उठाई जा रही है. इस मामले में देश की कई अदलातों में कई याचिकाएं भी दायर की गई हैं. देश की सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले में सुनवाई हो रही है. दुनिया के 34 देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त है.

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