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बिहार में अब जमीन मापी के लिए नहीं लगाना पड़ेगा दफ्तरों का चक्कर, राजस्व विभाग ने लॉन्च किया ई-मापी पोर्टल

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बिहार में अब जमीन की मापी के लिए अंचल कार्यालय जाने की जरूरत नहीं है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसके लिए एक पोर्टल लॉन्च किया है. इस पोर्टल के माध्यम से आप घर बैठे आवेदन कर अपने जमीन की मापी करा सकते हैं.

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बिहार के लोगों को अब अपनी जमीन की मापी के लिए अंचल कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे. अब विभाग के ई-मापी पोर्टल www.emapi.bihar.gov.in पर जाकर आप इसके लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके बाद आवेदन और उचित फीस देकर अधिकतम 30 दिनों में जमीन की मापी और इसके कागजात अंचल कार्यालय से ऑनलाइन ले सकते हैं. यह नई व्यवस्था बुधवार को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता ने मुख्य सचिवालय स्थित अपने विभागीय कार्यालय में ई-मापी पोर्टल लॉन्च कर शुरू की है.

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तत्काल मापी के लिए देना होगा दोगुना शुल्क

आलोक मेहता ने बताया कि इसके तहत दाेगुना फीस देकर तत्काल मापी की भी व्यवस्था की गई है. इसमें अंचल अधिकारी अधिकतम 10 कार्य दिवस के भीतर मापी की प्रक्रिया पूर्ण करना सुनिश्चित करेंगे. इससे विभागीय कामकाज में पारदर्शिता आयेगी और लोगों को सहूलियत होगी. सुयोग्य श्रेणी के वास भूमिहीन परिवारों या व्यक्तियों को बंदोबस्त या आवंटित किसी जमीन की मापी निःशुल्क की जाएगी.

ऐसे कर सकते हैं आवेदन

मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि अब जमीन की मापी के लिए अंचल कार्यालय जाना जरूरी नहीं है. विभाग के वेबसाइट www.emapi.bihar.gov.in पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके बाद ऑनलाइन आवेदन दिया जा सकता है. आवेदन के समय जमाबंदी से प्लॉट या खेसरा का चयन करना है. फिर उसमें अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जमीन का विस्तृत विवरण, चौहद्दी दारों का विवरण और मापी कराने का कारण बताते हुए अपने अंचल अधिकारी को आवेदन देना है.

दो दिन के अंदर अमीन निष्पादित करेंगे कार्य

मापी के लिए आवेदन ग्रामीण क्षेत्र में राजस्व मौजा के अनुसार और शहरी क्षेत्र में वार्ड के अनुसार दिया जाएगा. ऑनलाइन मापी आवेदन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद एक महीने तक इसकी निगरानी विभाग द्वारा की जाएगी. उसके बाद ई-मापी में भी फीफो व्यवस्था लागू करने पर विभाग विचार करेगा. अमीन द्वारा मापी की कार्रवाई अधिकतम दो कार्य दिवस के भीतर निष्पादित किया जाएगा.

राजस्व कर्मचारी करेंगे आवेदन की जांच

ऑनलाइन प्राप्त आवेदन की जांच अंचल अधिकारी द्वारा संबंधित हल्का के राजस्व कर्मचारी से कराई जायेगी. इसमें जमीन के विवादित या विवादरहित होने की जानकारी जुटाई जायेगी. राजस्व कर्मचारी द्वारा मापी के लिए अनुशंसा करने के बाद अंचल कार्यालय द्वारा अमीन फीस का भुगतान करने की सूचना आवेदक को ऑनलाइन दी जायेगी. आवेदक को मापी के लिए तीन संभावित तिथि का चयन करके पुनः आवेदन को अंचलाधिकारी के लॉगिन में भेजना हाेगा. इसके बाद आवेदक को कम्प्यूटर से ऑटोमेटिक केस नंबर प्राप्त होगा.

अंचलाधिकारी निर्धारित करेंगे तिथि

अंचलाधिकारी उस केस नंबर के लिए आवेदक द्वारा चयनित तिथि एवं अमीन की उपलब्धता के अनुसार मापी की तिथि निर्धारित करेंगे और चौहद्दीदारों समेत सभी पक्षों को मापी का नोटिस देंगे. मापी की तिथि को अमीन, आवेदक और चौहद्दीदारों की मौजूदगी में संबंधित जमीन की मापी होगी और मापी रिपोर्ट अंचल अधिकारी को सौंपी जायेगी. अंचल अधिकारी से मापी रिपोर्ट की स्वीकृति मिलते ही यह रिपोर्ट सभी के लिए उपलब्ध होगी. आवेदक को अपने लॉगिन में ही मापी की रिपोर्ट मिल जायेगी.

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कितना देना होगा शुल्क

मापी के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति प्लॉट 500 रुपया और शहरी क्षेत्र में प्रति प्लॉट 1000 रुपया मापी शुल्क निर्धारित किया गया है. एक बार में अधिकतम चार प्लॉट के लिए आवेदन दिया जा सकता है. मापी शुल्क जमा किए जाने के बाद अधिकतम 30 कार्य दिवस के अंदर जमीन की मापी हो जायेगी.

वहीं तत्काल मापी के लिए मापी शुल्क दोगुना रखा गया है यानि ग्रामीण क्षेत्र में प्रति खेसरा 1000 रुपये और शहरी क्षेत्र में प्रति खेसरा 2000 रुपये मापी शुल्क निर्धारित किया गया है. इसमें अंचल अधिकारी अधिकतम 10 कार्य दिवस के भीतर मापी की प्रक्रिया पूर्ण करना सुनिश्चित करेंगे. इसके साथ ही बिहार के सभी अंचलों के लिए मापी शुल्क एक समान हो गई है. पहले अमीन के पारिश्रमिक के मुताबिक हरेक अंचल में मापी फीस अलग-अलग थी.

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