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Bihar: बांका की चांदन नदी में बच्चों को दिखी किले की दीवार वाली पत्थर,भदरिया गांव में फिर से हलचल तेज

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Bihar News: बांका के अमरपुर का भदरिया गांव में फिर एकबार हलचल तेज हो गयी है. यहां चांदन नदी के तट पर बच्चों को कुछ अलग तरह के पत्थर दिखे. जब गांव के लोग पहुंचे तो अनुमान लगा कि ये ऋग्वेदकालीन पत्थरों की दीवार है. जानिये पूरा वाक्या...

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Bihar News: बांका जिला के अमरपुर प्रखंड के भदरिया गांव स्थित चांदन नदी का तट एक बार फिर से सुर्खियों में है. चांदन नदी के तट पर ऋग्वेद कालीन पत्थरों की दीवार मिलने से क्षेत्र में चर्चा का बाजार गर्म है. जानकारी के अनुसार, रविवार को कुछ बच्चों ने खेलने के दौरान चांदन नदी में जगह-जगह काला पत्थर को देख गांव में इसकी सूचना दी. सूचना मिलने पर ग्रामीणों ने उत्सुकतावश चांदन नदी में पहुंच कर स्थल की जगह -जगह खुदाई की. काला पत्थर को देखा. अनुमान लगाया जा रहा है कि नदी में मिला पत्थर ऋग्वेदकालीन है.

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नीतीश कुमार आ चुके हैं भदरिया गांव

विदित हो कि छठ पर्व के दौरान भदरिया गांव के चांदन नदी के तट पर मिट्टी की दीवार मिली थी. इसकी जानकारी मिलने पर भागलपुर व पटना पुरातत्व विभाग की टीम समेत विभिन्न साहित्यकारों ने चांदन नदी के तट पर पहुंचकर स्थल का निरीक्षण किया था. गत 12 दिसंबर 2020 को बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भदरिया गांव पहुंचकर चांदन नदी तट पर पहुंच कर नदी में मिले अवशेषों का अवलोकन किया गया था. इस दौरान सीएम ने नदी की धार मोड़ कर स्थल को पर्यटक स्थल घोषित करने का निर्देश दिया था.

एक बार फिर हलचल तेज

मुख्यमंत्री के निर्देश पर करोड़ों रुपये की लागत से नदी की धार को मोड़ कर वाराणसी से आये हुए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने स्थल का बारीकी से निरीक्षण किया था. लेकिन कुछ माह बाद सभी कार्य ठंडा पड़ गया. इसी बीच अचानक रविवार को अवशेष स्थल पर मिले ऋग्वेदकालीन पत्थरों की दीवार ने क्षेत्र में एक बार फिर हलचल पैदा कर दी है. हालांकि जांच के बाद ही इसके रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा. पत्थर की दीवार की ही काल-गणना हो सकेगी.

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कहते हैं इतिहासकार

इस मामले में इतिहासकार सतीश कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया ये पत्थर ऋग्वेदकालीन प्रतीत होते हैं. जिस तरीके से ये कटा हुए हैं, ये किसी अभेद्य किले की दीवार-से लग रहे हैं. इस तरह के पत्थर से ऋग्वेद काल के राजाओं द्वारा अपना किला बनवाया जाता था.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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