26.1 C
Ranchi
Monday, February 10, 2025 | 07:31 pm
26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

प्रभात खबर संवाद में बोले जल पुरूष राजेन्द्र सिंह- सतर्क नहीं हुए तो बिहार की भूमि हो जाएगी जलविहीन

Advertisement

प्रभात खबर संवाद में जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि बिहार बहुत खुश किस्मत है, क्योंकि अब भी यहां तुलनात्मक रूप में समुचित पानी है. बिहार के लोगों को बाहर के लोग अभी क्लाइमेटिक रिफ्यूजी नहीं मानते. हम काम के लिए पलायन कर रहे हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

मैग्सेसे अवार्ड विजेता और जल पुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह ने मंगलवार को प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में भाग लिया. सवाल-जवाब की श्रंखला में उन्होंने बिहार के जल संकट, बाढ़्र, सुखाड़, जलवायु परिवर्तन, पानी के प्रबंधन, कृषि पैटर्न और नदियों की जमीन पर कब्जे आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने चेतावनी दी कि पानी उपलब्धता के मामले में ‘भगवान का लाडला’ और ‘पानीदार’ बिहार अगर समय रहते नहीं चेता तो आने वाले कुछ ही सालों में यहां की भूमि बेपानी हो जायेगी. उन्होंने नदियों को जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदा से निबटने का सबसे धारदार हथियार भी बताया. उन्होंने चेताया कि बिहार में भूजल रिचार्ज की तुलना में निकासी ज्यादा हो रही है.

- Advertisement -

प्रभात खबर के सवाल और राजेंद्र सिंह के उत्तर कुछ इस प्रकार रहे
सवाल- पानी को लेकर बिहार क्या जल संकट के मुहाने पर है?

जवाब – निश्चित रूप से बिहार जल संकट झेल रहा है. खासतौर पर बिहार का दक्षिणी इलाका. यहां के 11 जिले भयंकर जल संकट की गिरफ्त में हैं. यह संकट भू जल की शक्ल में है. 10 साल पहले तक यह इलाका सुखाड़ क्षेत्र में दर्ज नहीं था. पानी के अभाव में यहां के लोग राज्य नहीं छोड़ते थे. तब केवल रोजी-रोटी के लिए पलायन होता था. लोगों की घर वापसी होती रहती थी. अब इस क्षेत्र में विस्थापन देखा जा रहा है. यहां के लोग दूसरे राज्यों में स्थायी तौर पर बसना शुरू हो गये हैं. इस इलाके में एक से पांच मीटर तक भू जल नीचे उतर गया है. पूरे बिहार में भी स्थिति संतोषजनक नहीं है. यहां भू जल रीचार्ज की तुलना में भू जल की निकासी अधिक हो रही है.

सवाल: जल संकट से उबरने के लिए बिहार क्या करे? कोई ठोस उपाय?

जवाब- बिहार ताल-पाल और झाल के लिए जाना जाता है. इस परंपरा को जीवित रखने की जरूरत है. यहां पानी के प्रबंधन की सख्त जरूरत है. वर्षा चक्र के हिसाब से खेती का पैटर्न तय करना होगा. खेती के पुराने पैटर्न को त्यागना होगा. बदलते दौर में बिहार में जल संरक्षण के लिए एक अनुशासनात्मक कानून बनाना होगा. रसायनिक खेती तो जल्दी से जल्दी त्यागनी होगी. पानी बचाने के संस्कार भी लोगों को आत्मसात करने होंगे.

सवाल-बिहार में विलुप्त होती नदियों को पुनर्जीवित करने का आपने कोई प्लान बनाया है?

उत्तर- हम बिहार में सकरी और पंचाने नदी को पुनर्जीवित करना चाहते हैं. इन नदियों के क्षेत्र की पंचायतों के लोगों से बात हुई है. कई निर्णय लिये गये हैं. सूखी नदियों को बचाने के लिए हम नदियों के पर्यावरणीय बहाव को सुनिश्चित करेंगे. इसके लिए बैराज बनाना चाहते हैं. इसके अलावा ढांढर- तिलैया प्रोजेक्ट के जरिये नदी में पानी बहाव सुनिश्चित करने की कवायद करेंगे. इस दिशा में हम जल्दी ही पूरी ताकत लगा कर काम करेंगे. नदियों को बचाकर ही बिहार को बचाया जा सकता है.

सवाल- राज्य सरकार ने जल प्रबंधन से जुड़ी तमाम योजनाएं चालू की हैं, आपका कोई आकलन?

उत्तर- राज्य सरकार की कई योजनाएं शानदार हैं. इसमें सबसे अहम योजना गंगा के पानी को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्रों में ले जाने की है, जिसे गंगा उद्ववह और अब गंगाजल आपूर्ति योजना के नाम से जानते हैं. सरकार इससे दो करोड़ लोगों को लाभ दे रही है. गंगा की बाढ़ के पानी का उपयोग अच्छी बात है. यह मेरा ही सुझाव था. मै चाहता हूं कि गंगा के बाढ़ के पानी को जल अभाव वाले दूसरे इलाके में ले जाया जाए. जल जीवन हरियाली योजना भी ठीक है, हालांकि, नल-जल योजना के तहत गहरे पाइपों से भू जल निकासी खतरनाक है. हमारे जल कोष खत्म हो जायेंगे. हमें भू-जल बचाने का प्रयास करना चाहिए.

सवाल- बिहार की नदियों की जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है. उनका अस्तित्व दाव पर लग रहा है?

उत्तर- निश्चित तौर पर बिहार में नदियों के निरंतर बहाव वाली जमीन ( ब्लू लैंड ) पर अतिक्रमण शुरू हो गये हैं. इसके अलावा ऐसी जमीन (ग्रीन लैंड) जहां सामान्य तौर पर बाढ़ का पानी पहुंचता रहा है, उनपर बेजा कब्जे हो चुके हैं. सौ साल में सर्वाधिक दूरी पर पहुंची बाढ़ की भूमि तो पहले ही कब्जे में ली जा चुकी है. जाहिर है कि इन सब कवायदों से नदियों के पर्यावरण प्रभावित होंगे. इसके लिए जरूरी है कि सरकार नदियों को चिन्हित करे. साथ ही नदियों की जमीन का सीमांकन और उसका राजपत्रीकरण कराये. इससे नदियों की जमीन को बचाने में मदद मिलेगी. अब किसी भी तरह के अतिक्रमण पर सरकार को पूरी तरह रोक लगा देनी चाहिए. जल प्रबंधन इंजीनियर्स के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है.

सवाल- गंगा क्षेत्र में तमाम विकास योजनाओं के मॉडल और नमामि गंगे इस पर आपकी राय?

उत्तर- नमामि गंगे योजना के तहत गंगा के किनारे बनाये जा रहे स्ट्रक्चर सही मायने में नदियों की जमीन पर कब्जे का प्रयास है. नमामि के पास गंगा की समस्या का इलाज नहीं है. यह गंगा की जमीन पर कब्जा करने की रणनीति है. दरअसल स्थायी स्ट्रक्चर से नदियों का प्राकृतिक व्यवहार बदल जायेगा. नदियों का पानी इन स्ट्रक्चर की तरफ और तेजी से आयेगा. आपदाएं खड़ी हो जायेंगी. अंत में बाढ़ और सुखाड़ जैसी समस्याएं और तेजी से बढ़ेंगी. हम नदियों को कमाई का जरिया नहीं बना सकते हैं. गंगा नदी के संदर्भ में पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह का नजरिया काफी प्रशंसनीय रहा.

सवाल- बिहार में बाढ़ और सुखाड़ को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर- बिहार को बाढ़-सुखाड़ और जलवायु परिवर्तन की तमाम दिक्कतों से बचाना है, तो हमें अपनी नदियों को बचाना होगा. नदी बच जायेंगी तो यह सभी आपदाएं बिहार के लोगों का कुछ नहीं बिगाड़ पायेंगी. दरअसल, नदियां पर्यावरण को व्यापक स्तर पर संरक्षित रखती हैं. प्रदेश में नदियों के उद्गम से लेकर संगत तक सामुदायिक और विकेंद्रित जल प्रबंधन करना होगा. अगर ऐसा कर लिया तो अगले 10 साल में बिहार बाढ़ और सुखाड़ जैसी समस्याओं मुक्त हो जायेगा. सोशल साइंटिस्ट की मदद लेनी की जरूरत है. बिहार में बाढ़ अब आपदा बन चुकी है. शुरुआती दौर में बिहार के लिए बाढ़ आपदा नहीं थी. पुराने समय में बिहार की केवल चार फीसदी जमीन बाढ़ की चपेट में रहती थी. अब उत्तरी बिहार में गाद जमाव नयी आपदा बन गयी है.

सवाल- नदियों से बालू खनन को विकास से जोड़ कर देख जा रहा है? आप इसे उचित मानते हैं?

उत्तर- अव्वल तो यह है कि बालू नदियों के फेंफड़े की तरह काम करता है .पानी की सफाई में इसकी बड़ी भूमिका है. खनन को हर हाल में रोकना होगा. यह घातक है. नदियों के बालू की जगह स्टोन क्रशर के जरिये रेत बनायी जा सकती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि नदियों की मैपिंग करा कर एक स्तर के बाद रेत निकालने की अनुमति दी जा सकती है. सच्चाई तो यह है कि माइनिंग रोके बिना नदियों में पानी बचाया नहीं जा सकता है. मैंने अपने कार्य क्षेत्र में शुरुआती दौर में 28 हजार माइंसें बचायी थीं. मुझे खुशी है कि जमुई में कुछ युवा इस दिशा में काम कर रहे हैं. माफिया से डरने की जरूरत नहीं है. नदियों को बचाने के लिए समाज को भी आगे आना होगा.

सवाल- पर्यावरण विशेषकर जल संरक्षण जैसे विषयों में सामाजिक भागीदारी कुछ कम हो रही है?

उत्तर- निश्चित तौर पर इस संदर्भ में समाज जागरूक नहीं है. समाज का जुड़ाव घटा है. दरअसल इसके पीछे स्वार्थ है. आज के राजनीतिक लोगों के सोचने का स्तर काफी गिरा है. इन लोगों ने सामाजिक अलगाव पैदा कर दिया है. सामाजिक मुद्दों की बात तो छोड़ दीजिए,, अब निजी स्वाभिमान के लिए लोग एकजुट नहीं हो पा रहे हैं. सच तो यह है कि इस दौर में क्रांति के बीज फूटने चाहिए. इसके लिए प्रयास किये जाते रहने की जरूरत है.

जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने बिहार के लिए कही बड़ी बात

बिहार बहुत खुश किस्मत है, क्योंकि अब भी यहां तुलनात्मक रूप में समुचित पानी है. बिहार के लोगों को बाहर के लोग अभी क्लाइमेटिक रिफ्यूजी नहीं मानते. हम काम के लिए पलायन कर रहे हैं. जलवायुयिक कठिनाइयों से पलायन करने वालों को बेहद हिकारत से देखा जा सकता है. हमें अपनी खुश किस्मती बनाये रखनी होगी.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें