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ध्यान के बिना ज्ञान भी संभव नहीं : मुनि श्री

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तेरापंथ महिला मंडल ने की प्रेक्षा ध्यान कार्यशाला

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तेरापंथ महिला मंडल ने की प्रेक्षा ध्यान कार्यशाला पूर्णिया. आचार्य श्री महाश्रमणजी के विद्वान सुशिष्य मुनि श्री आनंद कुमार जी कालू के सानिध्य में तेरापंथ सभा भवन गुलाब बाग में स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल ने प्रेक्षा ध्यान कार्यशाला की. अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार हुई कार्यशाला में मुनि श्री ने कहा कि जैन धर्मावलंबियों के लिए प्रेक्षा ध्यान एक पद्धति है. आज से 50 वर्ष पूर्व आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने ध्यान का नवीनीकरण करते हुए प्रेक्षा ध्यान जैसे अवदान को देकर जन जन की आध्यात्मिक चेतना को और अधिक प्राकृतिक करने का प्रयास किया. मन, वचन और काया की प्रस्तुति पर निरोध करते हुए अपनी आत्मा में रमन करना ही प्रेक्षाध्यान है. इसकी वर्तमान में अत्यधिक आवश्यकता है. वर्तमान में व्यक्ति को भावनात्मक मानसिक तनाव आदि से बचाने के लिए प्रेक्षा ध्यान एक सफल समाधान के रूप में सबके सामने आया है. सहनशीलता और धैर्यशीलता की कमी, बात-बात पर गुस्सा आ जाना. इन सब का बस एक ही निवारण है प्रेक्षा ध्यान. मुनि श्री ने प्रेरणा देते हुए कहा कि ध्यान अंदर की यात्रा है. ध्यान के बिना ज्ञान भी संभव नहीं है. वैज्ञानिक बाहर की खोज करते हैं, वहीं साधक भीतर की खोज करते हैं. मुनि श्री ने प्रेक्षाध्यान की कार्यशाला में कायोत्सर्ग, महाप्राण ध्वनि, और दीर्घ श्वास मृदुता की अनुप्रेक्षा श्रावकों को प्रयोग करवाया. मुनिश्री विकास कुमार जी ने चित्त समाधि गीत प्रस्तुत किया. अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की कार्यकारिणी की सदस्य सीमा वैद ने मुनि श्री का भावपूर्ण स्वागत करते हुए प्रेक्षा ध्यान के बारे में जानकारी दी. तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष के साथ पूरी टीम व तेरापंथ समाज के काफी संख्या में श्रावक-श्राविका मौजूद थे. फोटो. 10 पूर्णिया 42- कार्यशाला में उपस्थित महिला मंडल की बहनें व अन्य.

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