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हाईकोर्ट बेंच को लेकर लंबे अर्से के बाद पहली दफे जगी उम्मीद

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हाईकोर्ट बेंच को लेकर

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सांसद पप्पू यादव की मांग पर विधि विभाग ने लिखा अनुरोध पत्र

आश्वासनों के बीच दशकों से झूल रही है हाईकोर्ट बेंच स्थापना की मांग

पूर्णिया. लंबे अर्से के बाद पहली दफे पूर्णिया में हाईकोर्ट बेंच को लेकर उम्मीद बंधी है. यह माना जा रहा है कि नये साल में पूर्णिया की सरजमीन पर हाईकोर्ट बेंच स्थापित किए जाने की पहल हो सकती है. जानकारी के अनुसार विधि विभाग के संयुक्त सचिव-सह-अपर विधि अनुस्मारक-सह-प्रथम अपीलीय प्राधिकार उमेश कुमार शर्मा ने निबंधक (प्रशासन), उच्च न्यायालय पटना को पत्र लिखकर इस विषय पर यथोचित कार्रवाई का अनुरोध किया है. यह पूर्णिया की दशकों पुरानी मांग है और इस मांग को लेकर कई-कई चरणों में अभियान भी चलाए जा चुके हैं. दरअसल, सांसद पप्पू यादव ने पूर्णिया में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना के संबंध में हाल में ही बिहार के राज्यपाल से मुलाकात कर न केवल ज्ञापन सौंपा बल्कि लोकसभा में भी यह मुद्दा जोरदार तरीके से रखा. विधि विभाग द्वारा जारी पत्र में यह उल्लेख किया गया कि राज्यपाल सचिवालय से प्राप्त सांसद पप्पू यादव का पत्र यथोचित कार्रवाई के लिए संलग्न किया गया है. पत्र में पूर्णिया में खंडपीठ की स्थापना की आवश्यकता और क्षेत्र की भौगोलिक और आर्थिक स्थितियों पर ध्यान देने की अपील की गयी है. विधि विभाग ने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय की खंडपीठों की स्थापना के लिए संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति और राज्य सरकार की ओर से आवश्यक बुनियादी ढांचे और वित्तीय प्रावधानों की आवश्यकता होती है. अपने मांग पत्र में सांसद श्री यादव ने कोशी और पूर्णिया समेत आसपास इलाकों में रहने वाले गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों की परेशानियों का जिक्र किया था जिसमें कहा कि यहां हाईकोर्ट बेंच हो जाने से लोगों को त्वरित और सुलभ न्याय मिल सकेगा.

नब्बे के दशक में दायर हुई थी रिट याचिका

गौरतलब है कि हाई कोर्ट का बेंच पूर्णिया की जरूरत है और इसके लिए सबसे पहले पूर्णिया के जाने माने अधिवक्ता स्व. के पी वर्मा ने नब्बे के दशक में इस मुतल्लिक एक रिट याचिका दायर की थी. वे जीवन भर इसकी लड़ाई लड़ते रहे. बाद में यहां के विद्वान अधिवक्ताओं ने भी मुद्दा बनाया और इस मुद्दे को लेकर सामाजिक और राजनीतिक सहमति भी बना कर अभियान भी तीन वर्ष पहले चलाया. अहम यह है कि इस मसले पर अकेले अधिवक्ता ही नहीं, पूर्णिया का प्रबुद्ध जनमानस भी अमूमन एक मंच पर आए और अलग-अलग माध्यमों से पत्राचार अभियान चलाया.

पूर्व सीएम ने मांग को ठहराया था जायज

जीतन राम मांझी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में हाई कोर्ट बेंच की मांग को न केवल जायज ठहराया था बल्कि यह आश्वासन भी दिया था कि अगर वे सीएम रह गए तो यह मांग पूरी हो जाएगी. उस समय वे पूर्णिया दौरे में आए थे और बनमनखी में एक सभा को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे. इससे पहले पूर्णिया के प्रबुद्ध लोगों के एक शिष्टमंडल ने मुलाकात कर उनसे यह मांग की थी और इसके पक्ष में तर्क भी प्रस्तुत किया था. मगर उनके सीएम पद से हटते ही बात खत्म हो गई.

नेशनल कांफ्रेंस में भी हुई थी चर्चा

पूर्णिया के जाने माने अधिवक्ता स्व के पी वर्मा की पहल पर इस मुद्दे की चर्चा 1981 में हुए आल इंडिया बार एंड बेंच यूनिटी कान्फ्रेंस में जबरदस्त रूप से हुई थी. इस कान्फ्रेंस में भाग लेने आए बाहर के अधिवक्ताओं ने भी पूर्णिया में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की वकालत की थी. इस मुतल्लिक नब्बे के दशक में स्व वर्मा ने पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका भी दायर कर पूर्णिया की इस मांग को वैधानिक आवाज देने की कोशिश की थी.

हाई कोर्ट के जस्टिस ने दिया था भरोसा

उपलब्ध जानकारी के अनुसार 1986 में पटना हाई कोर्ट के जस्टिस ए पी सिन्हा पूर्णिया आए थे और उनके समक्ष तर्क के साथ इस मांग को प्रस्तुत किया गया था. उन्होंने इस मांग को उचित ठहराते हुए चीफ जस्टिस को रिपोर्ट करने का भरोसा दिलाया था. जानकारों ने बताया कि 1992 में पूर्णिया आए पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बी सी बसाक के सामने भी यह मांग रखी गई थी. उन्होंने यह आश्वस्त किया था कि जसवंत कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इस पर विचार किया जाएगा ।

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आंकड़ों का आइना

1981 में आल इंडिया बार एंड बेंच यूनिटी कान्फ्रेंस में उठा था मामला1986 में पटना हाई कोर्ट के जस्टिस के सामने रखी गई थी मांग1992 में पूर्णिया आए पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दिया गया था ज्ञापन90 के दशक में इस मांग को लेकर हाई कोर्ट में दायर हुई थी रिट याचिका2018-19 में पूर्णिया के अधिवक्ताओं ने चलाया था अभियान

——————-फोटो- 28 पूर्णिया 2- व्यवहार न्यायालय भवन

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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