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पूर्णिया में जूट व केले के फाइबर से बनी राखियों की लगायी प्रदर्शनी

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दो दर्जन से अधिक डिज़ाइनें की राखियां उपलब्ध

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स्टॉल पर सजी हैं दो दर्जन से अधिक डिज़ाइनें की राखियां उपलब्ध

पूर्णिया. भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के अधीन स्फूर्ति परियोजना के तहत चलने वाले उफरैल स्थित जूट एवं बनाना नेचुरल फाइबर क्लस्टर में दो दिवसीय राखी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इसमें प्रख्यात कलाकार गुलू दा की देखरेख में महिला कारीगरों द्वारा जूट एवं केले के रेशे से बनी दो दर्जन से अधिक डिजाइन की राखियां बनायी गयी हैं. इन राखियों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी है. यह स्टॉल पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है. यहां पर पारंपरिक और आधुनिक डिज़ाइन की राखियों की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध है. क्लस्टर के इस पहल का उद्देश्य न केवल पारंपरिक राखी को एक नयी पहचान देना है, बल्कि जूट एवं प्राकृतिक केले के रेशे के शिल्प को भी बढ़ावा देना व महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता भी प्रदान करना है. इस विशेष पहल में जिले के विभिन्न गांवों की करीब 150 महिलाएं जुट की राखी व अन्य प्रकार की सजावट की वस्तुएं बनाकर अपने कला कौशल का परिचय दे रही हैं. इन राखियों में रंग-बिरंगे डिज़ाइन और पारंपरिक तत्वों का सुंदर मेल देखने को मिलता है. स्थानीय बाजार में इन राखियों की बढ़ती मांग ने न केवल कला को प्रोत्साहित किया है, बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित किये हैं. सवेरा के अध्यक्ष विनोद आशीष ने बताया कि महिला कारीगरो द्वारा बनाई गई पूर्णिया क्राफ्ट की ये राखियां पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को भी दर्शाती हैं.पूर्णिया आर्ट और क्राफ्ट के विश्व प्रसिद्द कलाकार किशोर कुमार राय उर्फ गुलू दा ने बताया कि मेरे जीवन का उद्देश्य पूर्णिया की कला और संस्कृति को जीवंत रखना है इसी के लिए मेरा जीवन समर्पित है. गौरतलब है कि भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के अधीन स्फूर्ति स्कीम के तहत स्थापित देश के सबसे बड़ा जुट एवम बनाना नेचुरल फाइबर क्लस्टर जो शहर के उफरैल में स्थित है, में लगातार तीसरे वर्ष दो दिवसीय राखी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.

फोटो. 18 पूर्णिया 18- जूट के फाइवर व संठी से बनी राखी

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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