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वाहन खरीदने में पूर्णिया के लोग अव्वल, टॉप फाइव में भी जगह नहीं बना पा रहे भागलपुर के लोग, जानें कारण

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यह स्थिति सिर्फ वर्ष 2022 की नहीं है, बल्कि वर्ष 2019 से लेकर अब तक की है. भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ रोड, ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज के आंकड़े से इस बात का खुलासा हुआ है कि बिहार के टॉप फाइव जिले में पिछले पांच वर्षों में जिन जिलों ने जगह बनायी, उसे हटा कर दूसरा कोई भी जिला काबिज नहीं कर सका.

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भागलपुर. वाहनों की खरीद-बिक्री में बिहार के अन्य जिलों की अपेक्षा कोसी, सीमांचल व पूर्वी बिहार में पूर्णिया को छोड़ अन्य कोई भी जिला टॉप फाइव जिलों में शामिल नहीं हो सका है. भागलपुर इस सूची में कहीं नहीं है. यह स्थिति सिर्फ वर्ष 2022 की नहीं है, बल्कि वर्ष 2019 से लेकर अब तक की है. इसका असर न सिर्फ सरकार के खजाने पर पड़ा, बल्कि जिले की बढ़ती-घटती गति को भी यह आंकड़ा दर्शा गया. भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ रोड, ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज के आंकड़े से इस बात का खुलासा हुआ है कि बिहार के टॉप फाइव जिले में पिछले पांच वर्षों में जिन जिलों ने जगह बनायी, उसे हटा कर दूसरा कोई भी जिला काबिज नहीं कर सका.

टॉप फाइव जिले

  • रजिस्ट्रेशन में : पटना, मुजफ्फरपुर, गया, पूर्णिया व मोतीहारी

  • ट्रांजेक्शन में : पटना, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, सीवान व गया

  • रेवेन्यू में : पटना, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, गया व दरभंगा

  • परमिट में : पटना, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, दरभंगा व गया

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पूर्णिया चारों स्थानों पर काबिज कर रखी है जगह

वाहन की खरीद-बिक्री और इससे जुड़े अन्य मामले में मिनिस्ट्री ऑफ रोड, ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज चार स्थानों पर राज्य के टॉप फाइव जिलों को शामिल करता है. इनमें रजिस्ट्रेशन, ट्रांजेक्शन, रेवेन्यू व परमिट शामिल हैं. सिर्फ पूर्णिया की बात करें, तो रजिस्ट्रेशन में चौथे, ट्रांजेक्शन में तीसरे, रेवेन्यू में तीसरे और परमिट में तीसरे स्थान पर खुद को स्थापित किये हुए है.

भागलपुर से पूर्णिया आगे क्यों, क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मिहिर हीरो के जनरल मैनेजर कन्हैया लाल के अनुसार भागलपुर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है कि इसके आसपास के क्षेत्र में जिला मुख्यालय की कमी है. वहीं, फोर व्हीलर का एक्सटेंशन काउंटर है, जबकि पूर्णिया में फोर व्हीलर के डीलरशिप भरे पड़े हैं. पूर्णिया का कम्यूनिकेशन अपेक्षाकृत बहुत बेहतर है. पूर्णिया के शोरूम से अगर बेगूसराय के लोग भी वाहन खरीदना चाहे, तो दो घंटे में पहुंच जायेंगे. वहां ग्रामीण क्षेत्र में वाहनों के खरीदार अपेक्षाकृत अधिक हैं. इन सभी वजहों से पूर्णिया के मुकाबले भागलपुर पीछे रह जाता है.

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इन आंकड़ों से समझें, कहां कितने रजिस्ट्रेशन हुए इस वर्ष

माह : पूर्णिया : भागलपुर

  • जनवरी : 3,392 : 1,421

  • फरवरी : 3,919 : 1,292

  • मार्च : 4,629 : 3,287

  • अप्रैल : 3,791 : 3,261

  • मई : 5,647 : 3,264

  • जून : 5,531 : 2,993

  • जुलाई : 4,206 : 2,419

  • कुल : 31,115 : 17937

बिहार में छह महीने में बिक गये साढ़े छह लाख वाहन

बिहार में पिछले छह माह में रिकॉर्ड संख्या में वाहनों की बिक्री हुई है. इस दौरान बिहार में 6 लाख 50 हजार 685 वाहन बिके. केन्द्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार इसी समान अवधि में गत वर्ष केवल 5 लाख 68 हजार 752 वाहन बिके थे. इस प्रकार छह माह में 81 हजार 933 वाहन अधिक बिके. माना जा रहा है कि साल के अंत तक बिहार में पिछले वर्ष की अपेक्षा दो लाख वाहन अधिक बिक सकते हैं. पूरे देश में पिछले छह माह में एक करोड़ 12 लाख 32 हजार वाहन बिके हैं, जो पिछले साल से लगभग 8.90 लाख अधिक है. ऐसे में पूरे देश का 10 फीसदी अतिरिक्त वाहन बिहार में ही बिका.

कोरोना काल के दौरान वाहनों की खरीद न्यूनतम स्तर पर चली गई थी

बिहार में दो पहिया वाहन जैसे मोटरसाइकिल, स्कूटर को पसंद करने वालों की संख्या अधिक है. इनके खरीददार भी सबसे अधिक हैं. इसके बाद कार, ई-रिक्शा को पसंद करने वाले लोग थे. इसके बाद थ्री-व्हीलर की बिक्री हुई. इसके बाद ट्रैक्टर और मोपेड का स्थान है. इनकी भी ठीक-ठाक बिक्री हुई है. बिहार में पिछले पांच वर्षों में वाहनों की बिक्री की रफ्तार इस साल सबसे तेज है.

वाहनों की खरीद थी न्यूनतम स्तर पर

कोरोना काल के दौरान वाहनों की खरीद न्यूनतम स्तर पर चली गई थी. व्यवसायी परेशान थे. बिहार में वाहनों की बिक्री की संख्या निगेटिव में चली गयी थी. इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई. दो वर्षों वर्ष 2019-20 और 2020-21 तक लगातार वाहनों की बिक्री पिछले साल की अपेक्षा कम होती गई, लेकिन 2021-22 में वाहनों की बिक्री का हिसाब-किताब फिर से दुरुस्त हुआ.

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