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जदयू और उपेंद्र कुशवाहा के बीच कोल्ड वॉर खत्म! आखिर कुशवाहा को फिर से क्यों पड़ी नई पार्टी बनाने की जरूरत?

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बिहार में सोमवार को राजनीतिक सरगर्मी तेज रही. उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू की प्राथमिक और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ-साथ नयी पार्टी बनाने का एलान कर दिया. कुशवाहा लंबे वक्त से नाराज चल रहे थे. हम आपको बता रहें है कि आखिर कुशवाहा पार्टी से नाराज क्यों थे.

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पिछले कई दिनों से उपेंद्र कुशवाहा और जदयू नेतृत्व के बीच चल रही तनातनी पर सोमवार को विराम लग गया. उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू की प्राथमिक और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ-साथ नयी पार्टी बनाने का एलान किया. उपेन्द्र कुशवाहा की नाराजगी की खबर तब से आ रही थी, जब से नीतीश कुमार ने एनडीए से गठबंधन तोड़कर महगठबंधन के साथ सरकार बनाई. लेकिन, इस नयी सरकार में उपेन्द्र को कई भी मंत्री पद नहीं मिला. लेकिन ऐसा माना जा रहा था कि कैबिनेट विस्तार में उपेन्द्र कुशवाहा डिप्टी डीएम के पद की आस लगाए बैठे थे. लेकिन नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि कोई दूसरा डिप्टी सीएम नहीं होगा.

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महागठबंधन सरकार बनने के बाद शुरू हुआ शीत युद्ध 

राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने के कुछ वक्त बाद से ही उपेन्द्र कुशवाहा और जदयू नेतृत्व के बीच एक तरह का शीत युद्ध शुरू हो गया था. उपेन्द्र कभी शराबबंदी पर बोलते दिखे तो उन्होंने कभी पार्टी नेतृत्व पर साजिश के तहत उनकी उपेक्षा करने का आरोप लगाया. कुशवाहा की नाराजगी उस वक्त से और बढ़ने लगी जब नीतीश कुमार ने 2025 का चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ने की बात कही. कुशवाहा चाहते थे कि जदयू से ही कोई सीएम नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी बने, वो तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव में नहीं उतरने की बात भी कहते दिखें.

मंत्री पद नहीं मिलने से थे नाराज 

महागठबंधन की सरकार में उपेन्द्र कुशवाहा को मंत्री पद नहीं मिलने के बाद उनकी नाराजगी की खबर सामने आने लागि थी. हालांकि, कुशवाहा ने इस बात का खंडन करते हुए कहा था कि उनके लिए पड़ नहीं, मिशन और आइडियोलॉजी बड़ी है. उन्होंने उस दौरान कहा था कि उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है. उनके लिए सबसे बड़ा धर्म पार्टी संगठन के लिए काम करना है.

भाजपा में शामिल होने के कयासों के बाद बढ़ी तनातनी

उपेन्द्र कुशवाहा और जदयू में उस वक्त तनातनी और बढ़ गयी जब वो दिल्ली अपना मेडिकल चेकअप कराने गए थे. जहां एम्स अस्पताल में बिहार भाजपा के तीन वरीय नेताओं ने उपेन्द्र कुशवाहा से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद कुशवाहा के भाजपा में शामिल होने के कयासों को हवा मिल थी. हालांकि इस मुलाकात को उन्होंने एक सामान्य भेंट बताई थी. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि जदयू में जो जितना बड़ा नेता है, वो उतना ही ज्यादा भाजपा के संपर्क में है. वहीं इस बात सीएम नीतीश कुमार ने उपेन्द्र कुशवाहा पर तंज कसते हुए कहा था कि वो पार्टी में आते जाते रहते हैं. जिसके बाद कुशवाहा ने फिर से जवाब देते हुए कहा था कि मैं कहीं नहीं जाऊंगा, मैं जदयू में हूं और जदयू को ठीक करूंगा.

नीतीश कुमार के साथ मजबूती से खड़ा रहने का हमेशा करते थे दावा 

उपेन्द्र कुशवाहा जदयू में रहने के दौरान अकसर यह भी कहते दिखें की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू को कमजोर करने की साजिश चल रही है. लेकिन, वो नीतीश कुमार के साथ मजबूती से खड़े हैं. लेकिन आज उनका यह दावा कहीं से भी सच होता नहीं दिख रहा. कुशवाहा ने कहा था कि मेरी बातों के अर्थ का अनर्थ निकाला जा रहा है. उन्होंने सीएम को लव-कुश का जनक भी बताया था.

पार्टी द्वारा साजिश के तहत उपेक्षा का लगाया आरोप 

उपेन्द्र कुशवाहा की नाराजगी उस वक्त और बढ़ गयी जब महाराणा प्रताप स्मृति समारोह और कर्पूरी जयंती समारोह में नहीं बुलाया गया. इस बात से नाराज कुशवाहा ने जदयू को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि साजिश के तहत मेरी उपेक्षा की जा रही. उन्होंने कहा था कि जब भी कोई विपक्षी पार्टी सीएम नीतीश कुमार पर अटैक करती है तो सिर्फ मैं ही उनके साथ खड़ा रहता हूं. कभी कोई दूसरा नेता सामने नहीं आया लेकिन इसके बावजूद मुझे उपेक्षित किया जा रह है.

ललन सिंह का कुशवाहा पर पलटवार 

वहीं उपेन्द्र कुशवाहा की नाराजगी और बयानों पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष लगातार पलटवार करते देखे जाते रहे. उन्होंने हमेशा कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा स्वयं बताएं कि जदयू पार्टी में उन्होंने क्या योगदान दिया, पार्टी की मजबूती के लिए उन्होंने क्या कार्य किया. ललन सिंह ने उपेन्द्र कुशवाहा के पार्टी को मजबूत करने के दावे को खोखला बताते हुए कहा कि उनके कुनबे के साथी कहते हैं वो अपने स्वभाव के कारण कही नहीं टिकते. बीते दिनों ललन सिंह ने फुले महात्मा फुले समता परिषद के कार्यक्रम को रोकते हुए कहा था कि कुशवाहा किसी दूसरे सामाजिक संगठन के नाम पर समारोह आयोजित नहीं कर सकते.

उपेन्द्र कुशवाहा नयी पार्टी का करेंगे गठन 

जदयू और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच चली आ रही यह अनबन सोमवार को उस वक्त लगभग समाप्त हो गयी जब उपेन्द्र कुशवाह ने जदयू की प्राथमिक और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने के साथ-साथ नयी पार्टी बनाने का एलान किया. उनकी इस नयी पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनता दल होगा. उन्होंने इस दौरान कहा कि हमें नयी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है. उन्होंने एक नयी राजनीतिक पारी की शुरुआत की घोषणा की. उपेंद्र कुशवाहा तीसरी बार जदयू से अलग हुए हैं. इसके पहले वे मार्च 2021 में अपनी पार्टी रालोसपा का जदयू में विलय कर शामिल हुए थे. इस्तीफा की घोषणा से पहले उन्होंने कहा कि मैं जमीर बेचकर अमीर नहीं बन सकता. समाज के सभी वर्गों को अति पिछड़ा, लव-कुश, दलित, अल्पसंख्यक और प्रगतिशील सवर्ण को भी मैं अपनी पार्टी में उचित स्थान दूंगा.

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