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वाणावर की वादियों में मनेगा नववर्ष का जश्न, सतघरवा गुफा देखने के लिए आती है पर्यटकों की भीड़

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पर्यटकों से गुलजार रहने वाला वाणावर पहाड़ी का इलाका नववर्ष पर और भी गुलजार हो जाता है. यहां आने वाले पर्यटक व स्थानीय लोग जश्न मनाने से पूर्व बाबा सिद्धेश्वरनाथ पर जलाभिषेक कर नव वर्ष मंगलमय होने की कामना करते हैं.

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जहानाबाद का ऐतिहासिक पर्यटक स्थल वाणावर की वादियां यूं तो पूरे साल गुलजार रहती हैं. देसी-विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. बोधगया, पावापुरी व नालंदा से आने वाले अधिकांश विदेशी पर्यटक वाणावर की वादियों की सैर करना नहीं भूलते हैं. नववर्ष का जश्न मनाने के लिए जिले के लोगों के साथ ही अन्य जिलों तथा अलग- अलग प्रदेशों से लोग यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. पर्यटकों से गुलजार रहने वाला वाणावर पहाड़ी का इलाका नववर्ष पर और भी गुलजार हो जाता है. यहां आने वाले पर्यटक व स्थानीय लोग जश्न मनाने से पूर्व बाबा सिद्धेश्वरनाथ पर जलाभिषेक कर नव वर्ष मंगलमय होने की कामना करते हैं.

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पर्यटकों का रखा जाता है विशेष खयाल 

जिला प्रशासन द्वारा भी वाणावर आने वाले लोगों की सुविधा के लिए विशेष ख्याल रखा जाता है. सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही पेयजल, शौचालय व पर्यटकों के रहने की भी व्यवस्था करायी जाती है. वाणावर की तलहटी में पर्यटक भवन भी बना हुआ है जहां पर्यटक चैन की नींद सोते हैं. वाणावर की वादियों में कई ऐसी गुफाएं मौजूद हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

वाणावर पहाड़ी प्राचीनतम धरोहरों को संजोये हुए है 

वाणावर पहाड़ी श्रृंखला अनेक प्राचीनतम धरोहरों को संजोये हुए हैं. पहाड़ी श्रृंखला कौआडोल, पातालगंगा, भूतही, धनावा, भैरव आदि नाम से भी जानी जाती हैं. वन्य जीवों की शरणस्थली एवं ऋषि मुनियों की तपोभूमि रहा वाणावर पहाड़ी की चोटी पर भगवान सिद्धेश्वरनाथ का मंदिर स्थापित है. हिंदुओं की आस्था का केंद्र बाबा सिद्धनाथ का मंदिर तथा अशोक सम्राट के समय निर्मित सतघरवा लोगों के लिए दर्शनीय है. वहीं कौआडोल पहाड़ी की तलहटी में स्थित है जो हिंदू, बौद्ध एवं इस्लाम धर्मों का संगम है. उक्त स्थल पर मां दुर्गा, गौरी की प्राचीन मूर्तियां विराजमान हैं तो बीच वाले भाग में पीपल वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध की भूमि स्पर्श मुद्रा में बैठी काली पत्थर की दुर्लभ मूर्ति है.

सतघरवा गुफा देखने पहुंचते हैं बड़ी संख्या में लोग

नववर्ष का जश्न मनाने वाणावर की वादियों में पहुंचने वाले अधिकतर लोग सतघरवा गुफा को देखना नहीं भूलते हैं. गुफा देखने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा बड़ी संख्या में देसी- विदेशी पयर्टकों की भी भीड़ लगी रहती है. इसके अलावा पहाड़ी इलाके में स्थित हथियाबोर, बबन सीढ़िया एवं पातालगंगा इलाके के रास्ते लोग पहाड़ी की चोटी पर चढ़ाई करते है, जहां बाबा सिद्धेश्वरनाथ के दरबार में जलाभिषेक करने के बाद वे पहाड़ी इलाके में ही खाना बनाकर पिकनिक भी मनाते हैं. जिले का एक मात्र ऐतिहासिक पर्यटक स्थल तथा पिकनिक स्पॉट होने के कारण नववर्ष पर यहां लोगों का जमावड़ा लगता है.

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