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ट्रांसमिशन की तुलना में ट्रांसफॉर्मर स्तर पर तीन गुना अधिक बिजली का नुकसान

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सूबे को हर दिन मिलने वाली बिजली का औसतन 20 फीसदी हिस्सा नुकसान में चला जाता है. राज्य को यह बिजली मिलती तो है, पर कंपनी को उसका राजस्व नहीं मिल पाता.

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– 11 केवी से कम की बिजली सप्लाइ पर सालाना सात हजार मिलियन यूनिट बिजली का हो रहा नुकसान, यह हिस्सा कुल नुकसान का 70 फीसदी – नुकसान कम करने के लिए घरों के साथ ही डिस्ट्रीब्यूशन और सब स्टेशनों में भी लगाये जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर संवाददाता, पटना सूबे को हर दिन मिलने वाली बिजली का औसतन 20 फीसदी हिस्सा नुकसान में चला जाता है. राज्य को यह बिजली मिलती तो है, पर कंपनी को उसका राजस्व नहीं मिल पाता. बिहार विद्युत विनियामक आयोग के मुताबिक बिजली नुकसान का सबसे बड़ा हिस्सा ट्रांसफॉर्मर स्तर पर नुकसान में जाता है. ट्रांसमिशन से सब स्टेशनों तक 220/132 केवी लाइन के माध्यम से आपूर्ति होने वाली बिजली का 3.32 फीसदी हिस्सा ही नुकसान होता है. लेकिन सब स्टेशन से फीडर, फीडर से डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर और ट्रांसफॉर्मर से घरों तक पहुंचने के बाद 16-17 फीसदी बिजली का हिसाब नहीं मिल पाता. यह बिजली या तो चोरी चली जाती है या फिर इनकी बिलिंग या कलेक्शन नहीं हो पाता. आयोग ने 10 हजार मिलियन यूनिट बिजली के नुकसान का आकलन किया है, जिसमें 7000 मिलियन यूनिट निचले स्तर पर नुकसान में जाती है. साउथ बिहार में सबसे अधिक बिजली का नुकसान आंकड़ों के मुताबिक साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी से जुड़े नौ विद्युत अंचलों में सबसे अधिक 20 फीसदी बिजली का नुकसान होता है. इसमें पटना शहर भी शामिल है. इन क्षेत्रों में 11 केवी लाइन पर दी जाने वाली बिजली का 6.37 फीसदी, जबकि 0.4 केवी लाइन यानी ट्रांसफॉर्मर से घरों को दी जाने वाली कुल बिजली में 7.54 फीसदी बिजली नुकसान हो जाती है. वहीं, नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के 11 विद्युत अंचलों में इस साल करीब 15 फीसदी बिजली के नुकसान का आकलन किया गया है. इन जिलों में 11 केवी लाइन पर 4.23 फीसदी, जबकि उससे नीचे की लाइन पर 4.74 फीसदी बिजली का नुकसान बताया गया है. मालूम हो कि 11 केवी से नीचे की बिजली सप्लाइ घरेलू, गैर-घरेलू, कृषि व औद्योगिक परिसरों को दी जाती है. 33 केवी लाइन सब स्टेशनों को आपस में जोड़ने के लिए बिछाया जाता है. घरों के साथ डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मरों पर लगाये जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर हर साल नुकसान में जा रही इस बिजली को बचाने के लिए बिजली कंपनियों ने केंद्र सरकार के आरडीएसएस स्कीम की मदद ली है. इस स्कीम के तहत सब स्टेशन से लेकर ट्रांसफॉर्मरों को अपग्रेड करने के साथ ही विभिन्न स्तर के बिजली तारों को भी बदला जा रहा है. घरों के साथ ही डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर और फीडरों के पावर ट्रांसफॉर्मरों में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाये जा रहे हैं, ताकि उनके माध्यम से होने वाली वास्तविक बिजली खपत और मिलने वाली आय का मूल्यांकन किया जा सके.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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