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कैमरे की नजर में स्टार बदलते रहेंगे,स्टारडम बदलता रहेगा

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भारतीय सिनेमा की बात करें तो स्टारडम आरंभ से ही रहा है. भारतीय सिनेमा का पहला स्टारडम देविका रानी, के एल सहगल और अशोक कुमार के नाम था. उस दौर में उनके नाम से ही फिल्में चलती थीं. देविका रानी की बात करें, तो 1935 में आयी उनकी बंपर फिल्म ‘अछूत कन्या’ और ‘अशोक कुमार’ की 1943 में आयी किस्मत ने तहलका मचा दिया था.

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– शुरुआत से ही रहा है भारतीय सिनेमा में स्टारडम

पटना़ भारतीय सिनेमा की बात करें तो स्टारडम आरंभ से ही रहा है. भारतीय सिनेमा का पहला स्टारडम देविका रानी, के एल सहगल और अशोक कुमार के नाम था. उस दौर में उनके नाम से ही फिल्में चलती थीं. देविका रानी की बात करें, तो 1935 में आयी उनकी बंपर फिल्म ‘अछूत कन्या’ और ‘अशोक कुमार’ की 1943 में आयी किस्मत ने तहलका मचा दिया था. इनके बाद कई हीरो आये 40-50 के दशक में, लेकिन अशोक कुमार के बाद जो स्टारडम मिला वह देव आनंद, दिलीप कुमार और राज कपूर को मिला. तीनों हीरो समकालीन थे और इनका स्टारडम काफी लंबा चला. वहीं, उनकी समकालीन अभिनेत्री में नरगिस, मधुबाला और मीना कुमारी के अलावा नूतन का नाम भी स्टारडम की सूची में आता है.

देवानंद की हिट फिल्मों की बात करें, तो ‘सीआइडी’, ‘जाल’, ‘बाजी’, ‘कालापानी’ अविस्मरणीय फिल्में है. वहीं राजकपूर की ‘आवारा’ और ‘श्री 420’ के अलावा संगम जैसी फिल्मों से वे अपने स्टारडम को कायम रखने में सफल रहे. दिलीप कुमार ‘मुगल-ए-आजम’, ‘मधुमती’ और ‘आन’ जैसी सफल फिल्मों के जरिए अपने स्टारडम को कायम रखने में सफल हुए. इसके बाद सुनील दत्त, मनोज कुमार, शम्मी कपूर, राजेंद्र कुमार का दौर चला जब उनके नाम से फिल्में चलती थी. इसके बाद राजेश खन्ना की वर्ष 1969 में आराधना फिल्म आयी तो इनका ऐसा स्टारडम शुरू हुआ जो करीब तीन वर्षों तक एकछत्र स्टार के रूप में कायम रहा. हालांकि 1974 आते-आते इनका क्रेज खत्म होने लगा. इन्होंने ऐसा बेंचमार्क बनाया, जो अब तक रिकॉर्ड है. उनकी लगातार 15 हिट और सुपरहिट फिल्में रहीं. राजेश खन्ना का ये रिकॉर्ड आज तक कायम है. जिनमें ‘अमर प्रेम’, ‘सच्चा झूठा’, ‘हाथी मेरे साथी’ ने तहलका मचा कर रख दिया. अगर बॉलीवुड के इतिहास में पहले सुपरस्टार की बात करें, तो राजेश खन्ना का नाम उसमें सर्वोपरि है. इसी अवधि में धर्मेंद्र, जितेंद्र और संजीव कुमार जैसे हीरो का सफलता दौर भी आया. इसी के साथ-साथ अमिताभ बच्चन भी इसी दौर में आये जिनकी पहले हिट फिल्म ‘जंजीर’ ने अमिताभ बच्चन को रातों रात स्टार बना दिया. अमिताभ की बेनाम, मजबूर जैसी फिल्में आयी, लेकिन 1975 में अमिताभ बच्चन की ‘शोले’ और ‘दीवार’ ने अमिताभ को ऐसा स्थापित किया कि उनके बराबरी करना किसी के बस की बात नहीं रही. इसके बाद कई ब्लॉकबस्टर फिल्में उन्होंने दी जिसमें ‘त्रिशूल’, ‘काला पत्थर’, ‘दोस्ताना’, ‘सुहाग’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी फिल्में शामिल है.

1990 के दशक तक अमिताभ बच्चन की जगह ‘शाहरुख खान’, ‘सलमान खान’ और ‘आमिर खान’ के अलावा ‘गोविंदा’ का शानदार स्टारडम आया. इसमें आमिर खान की ‘कयामत से कयामत तक’, ‘दिल है कि मानता नहीं’ जैसी हिट फिल्में रहीं, जबकि सलमान खान ने ‘मैंने प्यार किया’, ‘हम आपके हैं कौन’ और ‘साजन’ जैसी सुपरहिट फिल्में दिए. शाहरुख खान ‘डर’, ‘बाजीगर’, ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जायेंगे’ और ‘दिल तो पागल है’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा बनवाया. उधर गोविंदा की ‘आंखें’, ‘कुली नंबर वन’ और ‘साजन चले ससुराल’ ने भी उनको स्टारडम का स्वाद चखाया. उन्होंने दो दशक तक हिट फिल्में देने का काम जारी रखा. उसके बाद ‘अजय देवगन’ और ‘अक्षय कुमार’ भी इस काल में शामिल हैं.

अगर वर्तमान दौर की बात करें तो ‘कार्तिक आर्यन’, ‘वरुण धवन’, ‘विकी कौशल’ का दौर अभी फिलहाल चल रहा है. कुल मिलाकर अगर स्टारडम की बात करें, तो स्टारडम किसी न किसी का शुरू से लेकर अब तक चल ही रहा है. यह हमेशा बरकरार रहेगा. फिल्मों के स्टार आते रहेंगे जाते रहेंगे और फिल्म के जो कैमरे हैं वह भी अपने दृष्टिकोण से हमेशा चलते रहेंगे. फर्क इतना होगा कि कैमरे की नजर में स्टार बदलते रहेंगे ,स्टारडम बदलता रहेगा और सिने प्रेमियों को अलग अलग मनोरंज हमेशा मिलता रहेगा.

– राजेश कुमार अग्रवाल, फिल्म समीक्षक, पटना, बिहार

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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