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श्याम रजक के आरजेडी छोड़ने से बिहार में बदलेगा राजनीतिक समीकरण, पढ़िए लालू के किला पर क्या पड़ेगा असर

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जीतन राम मांझी और चिराग पासवान पहले ही एनडीए में हैं. श्याम रजक भी अगर जदयू ज्वाइन करते हैं, तो इससे बिहार के तीनों सबसे बड़े दलित चेहरे एनडीए के खेमे में आ आएंगे.

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श्याम रजक ने राजद के राष्ट्रीय महासचिव पद और दल की प्राथमिक सदस्यता से गुरुवार को इस्तीफा दे दिया. शायराना अंदाज में दिये अपने इस्तीफे को श्याम रजक ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को भेज दिया है. त्यागपत्र में उन्होंने अपनी राजनीतिक पीड़ा एक शायरी के रूप में लिखी है. उन्होंने लिखा है कि ‘मैं शतरंज का शौकीन नहीं था, इसीलिए धोखा खा गया’. आप मोहरे चलते रहे थे, मैं रिश्तेदारी निभा रहा था. श्याम रजक के इस्तीफा को राजनीतिक पंडित उनकी महत्वकांक्षा और आरजेडी में उनका राजनीतिक भविष्य से जोड़कर देख रहे हैं.

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श्याम रजक ने लालू प्रसाद को किया टारगेट

‘इस तरह पूर्व मंत्री श्याम रजक ने अपने इस्तीफे में सीधे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को टारगेट पर लिया है. इधर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने श्याम रजक के इस्तीफा पर उनके ही अंदाज में जवाब दिया है. तेजस्वी यादव ने कहा कि श्याम रजक ने इस्तीफा दे दिया है, इस पर मुझे कुछ नहीं कहना है. हां लेकिन मैं ये जरूर कहना चाहता हूं कि वे जहां रहें अच्छे से रहें. उन्होंने कहा, ‘गए हैं तो गए. लेकिन जहां रहें अच्छे से रहें.’ तेजस्वी यादव ने आगे कहा, ‘चुनाव आने वाला है, लोग अपना देखता है. कहीं, जाना है या नहीं जाना है.’

राजद को बड़ा झटका

श्याम रजक का यह इस्तीफा राजद के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. यह संयोग नहीं है कि श्याम रजक का इस्तीफा उस समय आया है जब आरक्षण की बात नये सिरे से जोर पकड़ रही है. श्याम रजक राजद के दलित चेहरे माने जाते थे.उनकी राजनीतिक यात्रा राजद के साथ ही शुरू हुई. आरजेडी में वे विधायक और फिर मंत्री भी बने. एक समय लालू दरबार में राम (रामकृपाल यादव) और श्याम (श्याम रजक) का दबदबा हुआ करता था. लेकिन अब दोनों ने आरजेडी को छोड़ चुके हैं.श्याम रजक आरजेडी छोड़ने के बाद जदयू में शामिल हो गए थे. फिर वे मंत्री भी बने. प्रदेश के पूर्व उद्योग मंत्री के रूप में इनकी अपनी पहचान बनी. लेकिन किसी कारणवश उन्होंने जदयू छोड़कर फिर आरजेडी में शामिल हो गए.

फुलवारी शरीफ सुरक्षित सीट का मिला ऑफर

2020 के विधानसभा चुनाव में श्याम रजक की सीट फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र को राजद ने अपने सहयोगी भाकपा माले के पास चली गई थी और वहां से वाम दल जीतने में सफल भी रहे थे. श्याम रजक को उम्मीद थी कि उन्हें बगल की सीट मसौढ़ी दी जायेगी, लेकिन वहां भी उन्हें निराश होना पड़ा. इसी बीच राजद ने राज्यसभा और विधान परिषद की सीटें भी दूसरों को सौंपी. राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि इससे श्याम रजक नाराज थे. इधर, एनडीए गठबंधन की ओर से उनको फुलवारी शरीफ की सुरक्षित सीट का ऑफर दिया गया. इस आश्वासन पर ही पाला बदल करने को वे तैयार हुए हैं.

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श्याम रजक ने क्यों छोड़ा आरजेडी

ऐसी चर्चा है कि जदयू के साथ वे अपनी नई पारी की शुरूआत कर सकते हैं. श्याम रजक के इस्तीफा के सवाल पर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि आरजेडी में श्याम रजक का अब राजनीतिक कैरियर पर ब्रेक लग चुका था. इंडिया गठबंधन में उनका परंपरागत सीट माले के पास चल गया और मसौढ़ी भी आरजेडी ने दूसरे को दे दिया. विधान परिषद में उनकी एंट्री पर ब्रेक लग हुआ था. ऐसी स्थिति में उनके सामने पार्टी छोड़ने के अतिरिक्त और कोई कोई विकल्प नहीं बचा था. इसी कारण से उन्होंने आरजेडी छोड़ दिया.

बिहार में बदलेगा राजनीतिक समीकरण

बिहार में इस समय दलित राजनीति के तीन सबसे बड़े चेहरे चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और श्याम रजक हैं. जीतन राम मांझी और चिराग पासवान पहले ही एनडीए में हैं. श्याम रजक भी अगर जदयू ज्वाइन करते हैं, तो इससे बिहार के तीनों सबसे बड़े दलित चेहरे एनडीए के खेमे में आ आएंगे. भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को इसके बाद बिहार में विधानसभा सभा चुनाव लड़ना आसान हो जायेगा. राजनीति के जानकार श्याम रजक के इस्तीफा को शुरुआती तौर पर लालू प्रसाद यादव के लिए एक बड़ा झटका भी माना रहे हैं. लेकिन अपने वोट बैंक पर मजबूत पकड़ रखने वाले लालू यादव को श्याम रजक के जाने से कितना नुकसान होगा, यह कह पाना अभी जल्दबाजी होगी.

हाल में इन लोगों ने छोड़ा आरजेडी

हाल के कुछ महीनों में राजद से इस्तीफा देने वाले नेताओं में इनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, पूर्व मंत्री वृशिण पटेल , पूर्व सांसद अशफाक करीम और तमिलनाडु के पूर्व डीजीपी करुणा सागर के नाम हैं.

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