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Raid in Bihar : कैमरे की निगरानी में रेड, बिहार में बदल गया छापेमारी का पुराना अंदाज

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Raid in Bihar : डिजिटल साक्ष्यों को जमा करने के लिए अब जांच एजेंसी जें की टीम जिन ठिकानों पर छापेमारी करने जाती है, वहां एक सिपाही या किसी अन्य पुलिस कर्मी की ड्यूटी बकायदा पूरी प्रक्रिया को कैमरे में कैद करने की होती है.

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Raid in Bihar : पटना. देश में नया कानून लागू होने के बाद आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले मे अभियुक्तों के ठिकानों पर होने वाली छापेमारी समेत अन्य सभी प्रक्रिया की अब वीडियो रिकॉर्डिंग की जा रही है. कैमरे की निगरानी में अभियुक्तों के ठिकानों पर छापेमारी हो रही है. बरामदगी और इसे सील करने से लेकर इस दौरान पूछताछ तक की पूरी प्रक्रिया कैमरे में कैद की जा रही है. साथ ही इसे डिजिटल साक्ष्य के तौर पर बतौर सबूत न्यायालय में पेश भी किया जाएगा. स्पेशल विजिलेंसलें , ईओयू समेत अन्य एजेंसिजें यों पर भी यह लागू होगा. जांच एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि इसके कई फायदे भी होंगे जिसके आधार पर कोर्ट त्वरित फैसला दे सकती है.

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डिजिटल साक्ष्य एकत्र करने पर जोर

देश में आईपीसी और सीआरपीसी समेत अन्य कानून के स्थान पर नया कानून भारतीय न्याय संहिता(बीएनएस), 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता(बीएनएसएस) को लागू किया गया है. इसके बाद निगरानी, ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई), विशेष निगरानी इकाई समेत ऐसी अन्य सभी एजेंसिजें यों के स्तर से डीए समेत भ्रष्टाचार निवारण निरोध अधिनियम के तहत होने वाली सभी कार्रवाई का अब डिजिटल साक्ष्य एकत्र करना आरंभ हो गया है. चार्जशीट के साथ इस डिजिटल साक्ष्य को कोर्ट में जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है.

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कैमरे में कैद करने की जिम्मेदारी

मिली जानकारी के अनुसार डिजिटल साक्ष्यों को जमा करने के लिए अब जांच एजेंसी जें की टीम जिन ठिकानों पर छापेमारी करने जाती है, वहां एक सिपाही या किसी अन्य पुलिस कर्मी की ड्यूटी बकायदा पूरी प्रक्रिया को कैमरे में कैद करने की होती है. कुछ दिनों पहले निगरानी ब्यूरो के स्तर से बांका जिला के शंभूगंज थाना के प्रभारी ब्रजेश कुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में मामला दर्ज करते हुए उनके ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी. राज्य में डीए केस के अंतर्गत कार्रवाई का यह पहला मामला है, जो नया कानून लागू
होने के बाद किया गया हैं.

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