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Patna News: हस्तशिल्पों से सजा सरस मेला, गांधी मैदान के इस गेट से होगा नि:शुल्क एंट्री

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Patna News पुस्तक मेला के साथ-साथ अब गांधी मैदान में बड़े पैमाने पर ‘सरस मेला’ का आयोजन किया गया है. गुरुवार को सरस मेला का उद्घाटन ग्रामीण विकास विभाग मंत्री श्रवण कुमार ने किया. 15 दिनों तक (26 दिसंबर ) चलने वाले सरस मेले में जूट, लकड़ी, डिजाइनर बैंगल्स, कारपेट, कालीन, सिल्क, लाह और चमड़े से बने आकर्षक हस्तशिल्प से लेकर सिक्की कला, मधुबनी पेंटिंग, क्रोशिया, लेदर पपेट जैसे सैकड़ों उत्पाद मौजूद हैं.

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लाइफ रिपोर्टर@पटना
Patna News देश भर के हस्तशिल्प एवं हुनर को प्रोत्साहन, सम्मान और बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गुरुवार को गांधी मैदान में ‘बिहार सरस मेला’ आगाज हुआ. सरस मेला का आयोजन ग्रामीण शिल्प, उद्यमिता एवं लोक कला को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) ग्रामीण विकास विभाग की ओर से हर वर्ष किया जाता है. ‘बिहार सरस मेला’ का उद्घाटन ग्रामीण विकास विभाग मंत्री श्रवण कुमार ने मुख्य द्वार पर फीता काटकर किया.

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मौके पर उन्होंने कहा कि बिहार की ग्रामीण महिलाएं अब आर्थिक, मानसिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है पटना के गांधी मैदान में लगे सरस मेले में. अब शहरी के साथ-साथ ग्रामीण महिलाएं अपनी कला को निखार व कुशल उद्यमी बनकर न केवल लोकल से वोकल हुईं हैं, बल्कि ग्लोबली भी अपनी पहचान बना रही हैं. गांधी मैदान के गेट नंबर चार से लोग मेले में सुबह 10 से रात 8 बजे तक नि:शुल्क एंट्री पा सकते हैं.

बिहार के विभिन्न जिलों व 25 राज्यों से आये हैं उद्यमी


इस वर्ष सरस मेले में बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आसाम, ओड़िसा,पुंडुचेरी, गुजरात, छत्तीसगढ़ एवं जम्मू-कश्मीर से स्वयं सहायता समूह से जुडी महिला उद्यमी और स्वरोजगारी अपने-अपने प्रदेश के शिल्प, लोक कला, परिधान, सजावट के सामान और देशी व्यंजन आदि को लेकर उपस्थित हुए हैं. मेले में 25 राज्यों से 500 से अधिक स्टॉल हस्तशिल्प और देशी व्यंजनों के लगाये गये हैं.

ग्रामीण शिल्प, उद्यमिता व लोक कला को मिला प्रोत्साहन


मेला परिसर में ग्रामीण उद्यमिता को समर्पित कई स्टॉल लगाये गये हैं. जिसका अवलोकन ग्रामीण विकास विभाग मंत्री श्रवण कुमार ने किया. कई स्टॉल्स पर जाकर उन्होंने महिलाओं से बातचीत की और उनके हस्तशिल्प एवं हुनर को देखा. अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जीविका की अभिलाषा शर्मा ने कहा कि सरस मेला के माध्यम से ग्रामीण शिल्पकारों को आर्थिक मदद मिलती है.

जीविका जीवंत संस्थान के तौर पर कार्यरत है


मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जीविका के हिमांशु शर्मा ने सरस मेला के आयोजन की रूपरेखा बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में जीविका जीवंत संस्थान के तौर पर कार्यरत है. ‘लखपति दीदी’ बनाने को लेकर राज्य आजीविका मिशन के तौर पर जीविका ने पूरे देश में अव्वल स्थान प्राप्त किया है. उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प के इस बड़े प्लेटफार्म से ग्रामीण हुनर एवं शिल्प को सम्मान मिलता है साथ ही गांव की महिलाओं के आत्मनिर्भरता एवं स्वावलंबन के विविध रंगों का समावेशन देखने को मिलता है. जीविका गांव से लेकर शहर तक महिला स्वावलंबन और सशक्तिकरण के लिए कार्यरत है .

महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण है यह मेला


मेयर सीता साहू, मेयर ने कहा कि सरस मेला का आयोजन महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है उन्होंने कहा कि सरस मेला का आयोजन ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक पहल है.एक ही जगह पर अलग-अलग राज्यों का सामागन देखना गर्व की बात है.

मंत्री बोले- सरस मेला अब ऐतिहासिक बनता जा रहा है  


मुख्य अतिथि श्रवण कुमार ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग बिहार में गांवों के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. जिनमें जीविका सबसे महत्वपूर्ण परियोजना है. जीविका के माध्यम से स्वयं सहायता समूह से गरीब महिलाएं जुड़कर आर्थिक और सामाजिक तौर पर सशक्त हो रही हैं. सरस मेला अब ऐतिहासिक बनता जा रहा है. इस अवसर पर आर नटराजन महाप्रबंधक नार्थ बिहार और रविन्द्र श्रीवास्तव महा प्रबंधक साउथ बिहार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने विचारों को रखा. कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन राजेश कुमार विशेष कार्य पदाधिकारी जीविका ने किया. मंच संचालन श्रीमती शोमा चक्रवर्ती ने किया.

बिहारी बोली व लोक भाषा के नाम पर बना है पवेलियन


मेले में सरस मेला 2024 सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है. पेविलियन के बाहर लाह की चुडियों का उद्यमियों ने लोगों के सामने लाइव डेमो दिया. साथ ही उद्यमियों के स्टॉल के लिए मगही, भोजपुरी, अंगिका और मैथिली के नाम पर पवेलियन बनाया गया है. मेला परिसर में सेमिनार हॉल, पालना घर और सहायता केंद्र भी बनाये गये हैं. जीविका दीदीयों के बनाये व्यंजन बिहार सरस रसोई में मिल रहे हैं. बच्चों के खेलने के लिए झूले, बाइस्कोप आदि आकर्षण का केंद्र है. मेले में बच्चों का ख्याल रखा गया है. यहां फन जोन भी लगाया गया है.

अपनी कला को निखारकर कुशल उद्यमी बनीं ये महिलाएं

1. केरल की साड़ी और सूट लोगों को रहे आकर्षित
केरल से आयी महालक्ष्मी पिछले पांच सालों से यहां पर आ रही है. इनके स्टॉल में कॉटन की साड़ी, सूट पीस और लुंगी है. इसमें हाथ से काम किया गया है और एक साड़ी बनाने में 15 दिन का वक्त लगता है. इनके पास मौजूद उत्पाद की कीमत 250 रुपये से लेकर 2500 रुपये तक है. मेले के पहले दिन कई लोगों ने यहां पर आकर खरीदारी की.

2. लेदर से बनीं लैंप और पपेट अपने आप में है खास
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर से आयी ए पुष्पतावती पहली बार यहां आकर अपना स्टॉल लगा रही है. इनके पास गोट लेदर के लैंप और लेदर पपेट है. इन्हें बनी पेंटिंग्स आपको भगवान के कई अवतार देखने को मिलेंगे. हर लैंप में एक कहानी छिपी हुई है. इसमें पेंटिंग बनाने का कार्य वह और उनके पति करते है जिसमें कैमलिन कलर होते है जो 20 सालों तक अपनी चमक बरकरार रखता है. इनकी कीमत 500 रुपये से लेकर 25000 रुपये तक है.

3. बजट फ्रेंडली है हैंडमेड जूलरी
पश्चिम बंगाल वर्धमान से आयी आशिया बेगम पिछले 6 साले से जीविका से जुड़ी हुई है. इनके स्टॉल में इनके द्वारा बनायी गयी हैडमेड जूलरी जिसमें कौड़ी, मोती, कपड़े, जूट, बीड्स और ऑक्सीडाइज्ड मेटल शामिल है. एक नेकलेस बनाने में आधे घंटे का समय लगता है. इनके पास जूलरी सेट, कान की बालिया, बैंगल मौजूद हैं.वह पिछले 14 सालों से यह कार्य कर रही है और इनके सभी उत्पाद बजट में है. इनकी कीमत 150 रुपये से 500 रुपये तक है.

4. आज के लोगों को भाता है सिक्की से बने उत्पाद
मधुबनी से आयी मीरा देवी बताती हैं कि वह इस मेले में पिछले 20 सालों से आ रही है. लोगों में आज भी सिक्की कला को लेकर रुझान है. जब आती है हाथो हाथ इनके उत्पाद बिक जाते हैं. इस बार उन्होंने छोटे बॉक्स को ज्यादा बनाया है जिसे लोग गिफ्ट के तौर देते हैं. वहीं फूल, वॉस और बड़े बॉक्स की कीमत 500 रुपये से शुरू होकर 1000 रुपये तक जाती है.

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