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Patna: लालू यादव के करीबी सुभाष यादव को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका, नहीं लड़ सकेंगे कोडरमा से चुनाव

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Patna: लालू यादव के करीबी और बालू कारोबारी सुभाष यादव के झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में चुनाव लड़ने की उम्मीद को करारा झटका लगा है.

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Patna: झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले लालू यादव की पार्टी को बड़ा झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद बालू कारोबारी सुभाष यादव के चुनाव लड़ने की उम्मीद पर पानी फिर गया है. अब वो झारखंड की कोडरमा सीट से चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. आज पटना हाईकोर्ट ने कोडरमा से नामांकन करने उनकी वाली याचिका खारिज कर दिया है.

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आदेश वापस लिया

पटना हाइकोर्ट ने जेल में बंद बालू कारोबारी सुभाष प्रसाद यादव को कोडरमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए दिये गए आदेश को वापस ले लिया. न्यायमूर्ति अरबिंद सिंह चंदेल की एकलपीठ ने मंगलवार को दिये गए अपने आदेश को वापस लेते हुए इस मामले को मुख्य न्यायाधीश की अनुमति से किसी दूसरे कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.

गौरतलब है कि गत मंगलवार को कोर्ट ने आवेदक को कोडरमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अनुमति देते हुए निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पेश करने का आदेश पुलिस प्रशासन को दिया था. साथ ही बेऊर आदर्श कारा से अधिकारी के पास ले जाने और वापस लाने में हुई पूरा खर्च आवेदक से वसूलने का आदेश दिया था. इस आदेश में बदलाव के लिए सरकार की ओर से एक याचिका दायर की गयी थी. इसका विरोध करते हुए आवेदक की ओर से एक दिन का समय देने की मांग कोर्ट से की गयी जिस पर सरकार की ओर से विरोध किया गया .

कोर्ट ने क्या कहा

कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के लिए दोपहर बाद समय का निर्धारण किया. बाद में मामले पर सुनवाई के दौरान इडी और राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आवेदक इडी केस में गिरफ्तार हैं और इस केस में बगैर इडी को पक्षकार बनाये कोर्ट से आदेश ले लिया गया है. उन्होंने इस आदेश को वापस लेने की गुहार कोर्ट से लगायी. वहीं आवेदक की ओर से इसका विरोध किया गया. कहा गया कि भले ही इडी ने आवेदक को गिरफ्तार किया है , लेकिन मौजूदा समय में वे न्यायिक हिरासत में है.

ऐसे में इडी को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है. सभी पक्षों की ओर से पेश दलील को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि आवेदक को इडी ने मनी लांड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है, ऐसे में इडी एक जरूरी पार्टी हैं और उसे पक्षकार बनाना चाहिए. कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को वापस लेते हुए इडी को प्रतिवादी बनाने का आदेश आवेदक के अधिवक्ता को देते हुए इस केस को सुनवाई के लिए किसी अन्य कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.

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