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Lok Sabha Elections: बिहार में डॉक्टर भी आजमा रहे हैं चुनाव में अपनी किस्मत, आधा दर्जन उम्मीदवारों में दो महिला

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Lok Sabha Elections: डॉक्टरों का राजनीतिक भागीदारी कोई नयी बात नहीं है. आजादी से पहले भी राजनीति में कई डॉक्टर रहे हैं. आजादी के बाद विधानचंद्र राय जैसे डॉक्टर ने बंगाल में मुख्यमंत्री का पद संभाला. इस बार भी लोकसभा चुनाव में बिहार में करीब आधा दर्जन डॉक्टर उम्मीदवार हैं.

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Lok Sabha Elections: पटना. राजनीति में चिकित्सकों की भागीदारी कोई नयी बात नहीं है. कभी पटना के नामचीन डॉ. विधानचंद्र राय पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने तो, लोकनायक जय प्रकाश नारायण के निजी चिकित्सक रहे डॉ सीपी ठाकुर सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं. 17वीं लोकसभा में भी बिहार के दो चिकित्सक संसद पहुंचे. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व निवर्तमान सांसद डॉ संजय जायसवाल भी पेशे से डॉक्टर हैं. वहीं, गोपालगंज के मौजूदा सांसद डाॅ.आलोक सुमन भी एमबीबीएस डिग्रीधारी है. राज्यसभा की सदस्य डाॅ. मीसा भारती भी एमबीबीएस हैं. 2024 लोकसभा चुनाव में करीब आधा दर्जन उम्मीदवार एमबीबीएस डिग्रीधारक हैं और संसद की चौखट लांघने की तैयारी में दिन रात एक किये हुए हैं. इनमें मुख्य रूप से भाजपा से डॉ.संजय जायवाल और डॉ.राजभूषण चौधरी, जदयू से डॉ. आलोक सुमन, राजद से डॉ. मीसा भारती और उनकी छोटी बहन डॉ. रोहणी आचार्या और वीआइपी से डॉ.राजेश कुशवाहा हैं.

चौका लगाने के लिए डॉ. संजय जायसवाल लड़ रहे चुनाव

तीन चुनाव से लगातार पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से जीतने वाले भाजपा नेता डॉ. संजय जायसवाल ने एमबीबीएस और एमडी जनरल मेडिसिन तक की शिक्षा हासिल की है. डॉक्टर के रूप में समाज को उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं. इस बार वे इस सीट से चुनावी मैदान में चौका मारने चौथी बार भी मैदान में हैं. 2009, 2014 और 2019 में हुए चुनावों में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर भारी जीत हासिल की थी. उल्लेखनीय है कि यहां से इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस के टिकट पर मदन मोहन तिवारी ताल ठोक रहे हैं. इस सीट को वर्तमान सांसद संजय जायसवाल के परिवार की परंपरागत सीट भी कहा जा सकता है. 2008 में हुए परिसीमन से पहले यह बेतिया सीट हुआ करती थी, जहां से लोकसभा चुनाव में डॉ. जायसवाल के पिता मदन जायसवाल भी सांसद रह चुके हैं.

डॉ. राजभूषण चौधरी 2019 से हैं सक्रिय राजनीति में

मुजफ्फरपुर से भाजपा के टिकट पर किस्मत आजमा रहे डॉ. राजभूषण चौधरी एमबीबीएस हैं. डॉ.चौधरी डॉक्टरी की प्रैक्टिस के अलावा निषाद विकास संघ से कई सालों से जुड़े हुए है. 2017 में वे वीआइपी के मुकेश सहनी के संपर्क में आये और उनके पीछे-पीछे ही जातीय संगठन का काम करते रहे. निषाद विकास संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के नाते मल्लाह जाति को एससी-एसटी का दर्जा दिलाने के लिए राजभूषण चौधरी की सक्रियता दिखती है. 2019 लोकसभा चुनाव में वे महागठबंधन की ओर से वीआइपी के टिकट पर भाजपा के अजय निषाद के खिलाफ खड़े थे. हालांकि उन्हें उस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद डॉ.राज भूषण चौधरी ने वीआइपी का दामन छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया. इस बार राज भूषण चौधरी पर भाजपा ने दांव खेला है और मुजफ्फरपुर से अजय निषाद का टिकट काट कर चौधरी को उम्मीदवार बनाया है.

दूसरी बार सांसद बनने के लिए मैदान में हैं डॉ. आलोक सुमन

गोपालगंज के जदयू सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन पर नीतीश कुमार ने एक बार फिर भरोसा जताया है और दूसरी बार उन्हें सुरक्षित गोपालगंज लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरा है. पेशे से चिकित्सक डॉ. सुमन लोकसभा में सर्वाधिक उपस्थिति वाले सांसद के रूप में जाने जाते हैं. उनका बचपन गरीबी में गुजरा और अपनी मेहनत के बल पर डॉक्टर बने. डॉ आलोक कुमार सुमन ने अपनी सियासी सफर की शुरुआत 2014 से की और जदयू से जुड़े. वर्ष 2019 में एनडीए में हुए सीट बंटवारे के बाद गोपालगंज का संसदीय सीट जदयू के खाते में चला गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉ. आलोक कुमार सुमन को 2019 में जदयू के टिकट पर चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में उन्होंने राजद प्रत्याशी सुरेंद्र राम उर्फ महान को करीब तीन लाख मतों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की और पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. 17वीं लोकसभा में उनकी उपस्थिति 97 फीसदी रही है.

मीसा भारती और रोहणी भी हैं एमबीबीएस डिग्रीधारी

राजद के टिकट पर लोकसभा चुनाव में किस्मत आज रही पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो की बेटी डॉ.मीसा भारती और डॉ. रोहणी आचार्या दोनों एमबीबीएस डिग्रीधारी हैं. महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज जमशेदपुर में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया और बाद में पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में स्थानांतरित की गयीं. यहीं से उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री ली. राज्यसभा सदस्य डॉ. मीसा भारती इससे पहले 2014 में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से राजद से बागी होकर भाजपा से गये राम कृपाल यादव खिलाफ चुनाव लड़ी थीं. हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. पुन: 2019 में भी मीसा ने पाटलिपुत्र निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा और एक बार फिर फिर चुनाव हार गयीं. उनकी बहन डॉ. रोहणी आचार्या पहली बार सारण लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में है. 44 साल की रोहिणी ने जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से साल 2002 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है.

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पूर्वी चंपारण से किस्मत आजमा रहे हैं डॉ. राजेश कुशवाहा

पूर्वी चंपारण से लोकसभा सीट से इंडी गठबंधन की तरफ से वीआइपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे डॉ.राजेश कुशवाहा पेशे से डॉक्टर हैं. वे वर्ष 2015 के राजद के टिकट से केसरिया विधानसभा का चुनाव लड़े और विधानसभा पहुंचे. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अपनी उम्मीदवारी पेश की थी, लेकिन मोतिहारी सीट के आरएलएसपी के खाते में चले जाने के बाद उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था. उसके बाद किसी कारण से 2020 के विधानसभा चुनाव में उनका टिकट कट गया. फिर भी वह निर्दलीय चुनाव लड़े और अच्छे खासे वोट मिले, जिसकी वजह से महागठबंधन के उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव 2024 में टिकट की जुगत में वे लगे थे और वीआइपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया.

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