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सारणः रोहिणी युवा और महिला मतदाताओं के बीच होंगी आकर्षण का केंद्र, रूडी को पीएम मोदी पर भरोसा

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Chhapra Lok Sabha लालू प्रसाद के उभार के साथ राजनीतिक गर्दिश का भी छपरा गवाह रहा है. सारण को लालू का अभेद किला माना जाता था. लेकिन, राजीव प्रताप रूडी ने 1996 में इस सीट से जीत हासिल कर लालू प्रसाद की बादशाहत को चुनौती दी थी.

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सारण लोकसभा की सीट पर इस बार देश दुनिया की नजरें होंगी. सिंगापुर में रहने वाली और पिता लालू प्रसाद को किडनी देकर चर्चा में आयी रोहिणी आचार्य महागठबंधन से राजद की उम्मीदवार होंगी. रोहिणी को लेकर युवा और महिला मतदाताओं में चर्चा है. वहीं मौजूदा सांसद राजीव प्रताप रूडी पर भाजपा ने इस बार भी भरोसा जताया है. रूडी केंद्र में मंत्री भी रहे हैं. इस बार के चुनाव में सारण क्षेत्र में जातीय गोलबंदी हावी रहेगी.

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दोनों गठबंधनों में कांटे की टक्कर होती रही है

यहां के मढौरा, छपरा, गरखा, अमनौर, परसा और सोनपुर विधानसभा क्षेत्र का इलाका सारण लोकसभा सीट का हिस्सा है. इनमें छपरा और अमनाैर विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. जबकि, बाकी की चार विधानसभा सीटों पर राजद काबिज है. चुनावी जानकार बताते हैं कि सारण लोकसभा सीट पर दोनों गठबंधनों में कांटे की टक्कर होती रही है. लालू प्रसाद के बाद यहां से उनके परिवार का कोई दूसरा सदस्य चुनाव नहीं जीत पाया है. लालू प्रसाद 1977 के लोकसभा चुनाव में पहली बार सारण सीट से ही जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.

राबड़ी देवी भी यहां से उम्मीदवार बनीं हैं

बाद के दिनों में पूर्व सीएम राबड़ी देवी भी यहां से उम्मीदवार बनीं. 2019 के चुनाव में राजद ने लालू-राबड़ी के समधी चंद्रिका राय को सारण सीट से लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें भी जीत नहीं मिल पायी और एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी चुनाव जीतने में सफल रहे. इस बार लालू-राबड़ी की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य यहां से उम्मीदवार होंगी. यहां पांचवे चरण में 20 मई को वोट होगा. 26 अप्रैल से तीन मई तक नामांकन लिये जायेंगे.

राजपूत या यादव ही सांसद होते रहे हैं

इस सीट पर यादव और राजपूतों के बीच ही मुख्य मुकाबला होता रहा है. मुख्य पार्टियां भी इन्हीं दोनों जातियों के उम्मीदवार को मैदान में उतारती हैं. भाजपा से वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूडी राजपूत जाति से हैं. यहां के पूर्व के सांसद राजपूत या यादव समाज से ही रहे हैं. सारण लोकसभा क्षेत्र में दोनों खेमों में बंटे मतदाता अपने प्रत्याशियों के पक्ष में जमकर वोट करते हैं. यादव और राजपूत मतदाताओं के बाद शहरी इलाकों में कायस्थ और वैश्य मतदाताओं का भी अच्छा खासा वोट है. अल्पसंख्यक और अति पिछड़ी जाति के मतदाता भी निर्णायक स्थिति में हैं.

लालू के चमकते सितारे और गर्दिश का साक्षी रहा है सारण

लालू प्रसाद के उभार के साथ राजनीतिक गर्दिश का भी छपरा गवाह रहा है. चारा घोटाले में सदस्यता छीने जाने के दौरान लालू प्रसाद सारण के ही सांसद थे. तब सारण लालू का अभेद किला माना जाता था. राजीव प्रताप रूडी ने 1996 में इस सीट से जीत हासिल कर लालू प्रसाद की बादशाहत को चुनौती दी थी. 1957 में प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी, और 1962 से 71 तक कांग्रेस ने इस सीट से विजय हासिल की. 1977 में लालू पहली बार यहीं से सांसद हुए. इसके बाद भी लालू 1989, 2004 और 2009 में यहां से चुनाव जीते.

तब छपरा सीट का निर्वाचन कर दिया गया था रद्द

वर्ष 2004 में लालू प्रसाद छपरा और मधेपुरा दो सीटों से चुनाव में उतरे थे. धांधली के आरोप में छपरा का निर्वाचन जांच के बाद चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया था. यहां फिर से मतदान कराया गया. लालू प्रसाद यादव ने मधेपुरा और छपरा दोनों जगहों से जीत दर्ज की. छपरा में राजीव प्रताप रूडी और मधेपुरा में दिग्गज नेता शरद यादव को शिकस्त दी. जीत के बाद लालू ने मधेपुरा सीट छोड़ दी. छपरा से सांसद रहे और केंद्र में रेल मंत्री बनाये गये.

सारण के सांसद

1957 – राजेंद्र सिंह, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी

1962- रामशेखर सिंह, कांग्रेस

1967 -रामशेखर सिंह, कांग्रेस

1971- रामशेखर सिंह, कांग्रेस

1977 – लालू प्रसाद यादव, जनता पार्टी

1980 – सत्यदेव सिंह, जनता पार्टी

1984 – राम बहादुर सिंह, जनता पार्टी

1989 – लालू प्रसाद यादव, जनता दल

1991 – लालबाबू राय, जनता दल

1996 -राजीव प्रताप रूडी, भाजपा

1998 – हीरालाल राय, राजद

1999 -राजीव प्रताप रूडी, भाजपा

2004 -लालू प्रसाद यादव, राजद

2009- लालू प्रसाद यादव- राजद

2014- राजीव प्रताप रूडी- भाजपा

2019- राजीव प्रताप रूडी- भाजपा

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