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पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ: बिहार की सियासी नर्सरी पटना विश्वविद्यालय, लालू-नीतीश ने भी यहीं सीखी राजनीति

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पीयू में वर्ष 1970 में पहली बार चुनाव हुआ था, तब लालू प्रसाद महासचिव बने थे. फिर 1971 में चुनाव हुआ. इसमें अध्यक्ष पद के लिए राम जतन सिन्हा और लालू प्रसाद आमने-सामने थे. इसमें लालू प्रसाद की हार हुई.

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पटना यूनिवर्सिटी शिक्षा का केंद्र होने के साथ साथ बिहार के राजनीति की नर्सरी भी है. एक बार फिर से कैंपस में छात्र संघ की घोषणा होने के साथ ही चुनावी माहौल शुरू हो गया है. छात्र राजनीति से निकले नेता आज बिहार की राजनीति को दिशा दे रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी हों या केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, अश्विनी चौबे व राम विलास पासवान, पटना विवि छात्र संघ की ही उपज हैं. 1970 में यहाँ पहली बार प्रत्यक्ष चुनाव के आधार पर मतदान हुआ था, जिसमें राजनीति की धुरी लालू प्रसाद यादव महासचिव बने थे.

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1956 में हुई थी पीयू छात्र संघ की स्थापना

पीयू छात्र संघ की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी. तब से 1968 तक छात्र संघ के समस्त प्रतिनिधियों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता था. 1968 में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने प्रत्यक्ष चुनाव की मांग को लेकर तत्कालीन कुलपति डॉ कलिकिंकर दत्त से मुलाकात की. इसके बाद लोकमत कराया गया जिसके बाद तय हुआ कि अब प्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा छात्र संघ के प्रतिनिधि चुने जायेंगे. नौ मार्च 1970 को पहली बार प्रत्यक्ष चुनाव के आधार पर मतदान हुआ था.

पहले चुनाव में लालू बने महासचिव

पीयू में वर्ष 1970 में पहली बार चुनाव हुआ था, तब लालू प्रसाद महासचिव बने थे. फिर 1971 में चुनाव हुआ. इसमें अध्यक्ष पद के लिए राम जतन सिन्हा और लालू प्रसाद आमने-सामने थे. इसमें लालू प्रसाद की हार हुई. रामजतन सिन्हा अध्यक्ष बने तो नरेंद्र सिंह महासचिव बने. 1973 में हुए चुनाव में लालू प्रसाद अध्यक्ष बने, सुशील कुमार मोदी महासचिव एवं रवि शंकर प्रसाद सहायक महासचिव बने. इसके बाद 1977 में हुए चुनाव में अश्विनी चौबे पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बने. 1980 में अनिल शर्मा एवं 1984 में रणवीर नंदन महासचिव बने. वर्ष 1984 तक आते-आते छात्र संघ चुनाव में हिंसा चरम पर आ गयी. स्थिति यह हो गई थी कि उम्मीदवार हथियार लेकर प्रचार करने लगे. उम्र सीमा तय न होने के कारण नेतागिरी चमकाने के लिए लोग छात्र बनकर राजनीति करते रहे. नतीजा, छात्र संघ चुनाव पर अघोषित रोक लग गयी थी.

2012 में आशीष सिन्हा बने अध्यक्ष

रोक के बाद 28 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद वर्ष 11 दिसंबर 2012 में पीयू में छात्र संघ चुनाव हुआ. इसमें अखिल भारतीय विद्यालय परिषद के आशीष सिन्हा और ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ की उम्मीदवार दिव्या गौतम के बीच अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला. इसमें आशीष ने अध्यक्ष में बाजी मार लिया. उपाध्यक्ष में आइसा समर्थित अंशुमान ने जीत दर्ज की. एआइएसएफ की अंशु कुमारी महासचिव जबकि छात्र जदयू की अनुप्रिया सचिव बनी थी.

2018 के चुनाव में दिव्यांशु बने थे अध्यक्ष

इसके बाद 17 फरवरी 2018 को छात्र संघ चुनाव हुआ था, जिसमे निर्दलीय उम्मीदवार दिव्यांशु भारद्वाज पीयू छात्र संघ के अध्यक्ष बने. वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की उम्मीदवार योषिता पटवर्धन उपाध्यक्ष बनी. सुधांशु भूषण झा उपाध्यक्ष, मो अशजद संयुक्त सचिव तथा नीतीश कुमार कोषाध्यक्ष निर्वाचित घोषित किये गये थे.

2018 के चुनाव में मोहित बने थे अध्यक्ष

पांच दिसंबर 2018 के छात्र संघ चुनाव में छात्र जेडीयू के मोहित प्रकाश अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष के रूप में छात्र जेडीयू के कुमार सत्यम, एबीवीपी की अंजना सिंह उपाध्यक्ष, मणिकांत मणि महासचिव व संयुक्त सचिव एबीवीपी के राजा रवि बने.

2019 के चुनाव में मनीष बने थे अध्यक्ष

सात दिसंबर 2019 छात्र संघ चुनाव में छात्र जाप और एआइएसएफ गठबंधन का दबदबा रहा था. अध्यक्ष पद पर गठबंधन के उम्मीदवार मनीष यादव विजयी थे. उपाध्यक्ष पद पर छात्र राजद के निशांत विजयी रहे थे. महासचिव पद पर एबीवीपी की प्रियंका श्रीवास्तव और संयुक्त सचिव पद पर छात्र जाप और एआईएसएफ के गठबंधन के आमिर राजा जीते थे. कोषाध्यक्ष पद पर आइसा की कोमल कुमारी विजय हुईं थी.

पीयू में छात्र संघ चुनाव

  • 1917 में हुई थी पटना यूनिवर्सिटी की स्थापना

  • 1956 में पीयू छात्रसंघ की हुई स्थापना

  • 1968 में तक अप्रत्यक्ष पद्धति से होता था चुनाव

  • 1970 में पहली बार छात्र संघ का प्रत्यक्ष निर्वाचन

  • 1984 में हिंसा के बाद छात्र संघ चुनाव हो गया बंद

  • 2012 में 28 साल के बाद वापस शुरू हुआ चुनाव

  • 2018 में 17 फरवरी को हुआ चुनाव

  • 2018 में पांच दिसंबर को हुआ छात्र संघ चुनाव

  • 2019 में सात दिसंबर को हुआ छात्र संघ चुनाव

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