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याचिकाकर्ताओं के वकील शानू ने कोर्ट को बताया कि बिहार न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली 1955 में निहित नियमों की अनदेखी की गयी है. आयोग ने वैसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया, जिनका मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में न्यूनतम कट ऑफ अंक से 12 फीसदी अंक कम था.

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पटना हाइकोर्ट ने बीपीएससी द्वारा संचालित 31वीं न्यायिक पदाधिकारी नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. जस्टिस पीवी बजंत्री और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ऋषभ रंजन और कुणाल कौशल सहित 17 अभ्यार्थियों की तरफ से दायर रिट याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया .

नियमों के उल्लंघन का आरोप 

31वीं न्यायिक पदाधिकारी नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा में राज्य में 214 सिविल जज (जूनियर डिवीजन) न्यायिक दंडाधिकारी सफल हुए हैं. कोर्ट ने स्पष्ट किया की न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्तियां , इस मामले में पारित अंतिम फैसले के फलाफल पर निर्भर करेगा. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि चयन करने वाली बिहार लोक सेवा आयोग ने भर्ती नियमावली और इस परीक्षा हेतु प्रकाशित विज्ञापन की कंडिकाओं का उल्लंघन किया है. आयोग ने मनमाने तरीके से मुख्य परीक्षा में प्रथम दृष्टया अयोग्य अभ्यर्थियों को भी इंटरव्यू में बुला कर पूरे भर्ती प्रक्रिया को अनियमित और अवैध बना दिया है.

मनमाने तरीके से इंटरव्यू में बुलाने का लगा है आरोप 

याचिकाकर्ताओं के वकील शानू ने कोर्ट को बताया कि बिहार न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली 1955 में निहित नियमों की अनदेखी की गयी है. आयोग ने वैसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया, जिनका मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में न्यूनतम कट ऑफ अंक से 12 फीसदी अंक कम था. एक ओर भर्ती नियमावली का नियम 15, आयोग को न्यूनतम कटऑफ अंक में पांच फीसदी की रियायत देने की इजाजत देता है ,लेकिन आयोग ने कई आरक्षित कोटि के अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से न्यूनतम अंक में 12% की रियायत देकर इंटरव्यू में बुलाया.

कम अंक वालों को भी घोषित किया गया योग्य

शानू ने दूसरा आरोप यह लगाया की इंटरव्यू में वैसे अभ्यार्थी ,जिन्हें मुख्य परीक्षा में कटऑफ से 12 फीसदी कम मिले, उन्हें साक्षात्कार का अंक 80 से 85 फीसदी देते हुए उन्हें पूरी परीक्षा में योग्य घोषित किया गया.

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साक्षात्कार प्रक्रिया पर उठाए गए सवाल 

वहीं दूसरी तरफ यह रिट याचिकाकर्ता, जिन्हें औसतन मुख्य परीक्षा में न्यूनतम कटऑफ से 80 फीसदी अधिक आया था, उन्हें इंटरव्यू में महज 10 से 30 फीसदी अंक देकर अयोग्य घोषित किया गया. पूरे साक्षात्कार की प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील ने पूरे रिजल्ट को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट से अनुरोध किया की कि मुख्य परीक्षा के अंकों के गुण- दोष के आधार पर नये सिरे से योग्यता सूची तैयार कर फिर से साक्षात्कार करायी जाये. हाइकोर्ट ने इस मामले में बीपीएससी से भी जवाब तलब किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जायेगी.

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