11.1 C
Ranchi
Tuesday, February 4, 2025 | 05:30 am
11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Gandhi Jayanti 2020 : जहां का कोना-कोना बापू की स्मृतियों में है रचा-बसा, बिहार के इस इंस्टीट्यूट में 40 दिन ठहरे थे गांधी जी

Advertisement

Gandhi Jayanti 2020, Jivan Katha, Jivni, Jankari, Bihar Connection : आजादी के बाद जब महात्मा गांधी से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पूछा कि आप पूरे भारतवासियों को इस अवसर पर क्या कहेंगे? तो उन्होंने कहा- ‘मेरा जीवन ही मेरा संदेश है’. गांधी जी का जुड़ाव बिहार से गहरा रहा. यह उनकी कर्म भूमि भी रही है. पटना के गांधी मैदान के पास स्थित गांधी संग्रहालय की स्थापना सन् 1967 में की गयी थी, जिसमें महात्मा गांधी से जुड़े दस्तावेज, स्मृति चिह्न और पुस्तकालय हैं. अगर आप यहां आते हैं तो यहां की व्यवस्थित चीजों को देख कर आप बिना किसी गाइड के पूरा संग्रहालय घूम सकते हैं. हर एक स्मृति के साथ उनका डिस्क्रिप्शन दिया गया है, जिससे आप इतिहास के उन पन्नों से रू-ब-रू हो सकते हैं. गांधी जयंती पर पेश है जूही स्मिता की रिपोर्ट...

Audio Book

ऑडियो सुनें

Gandhi Jayanti 2020, Jivan Katha, Jivni, Jankari, Bihar Connection : आजादी के बाद जब महात्मा गांधी से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पूछा कि आप पूरे भारतवासियों को इस अवसर पर क्या कहेंगे? तो उन्होंने कहा- ‘मेरा जीवन ही मेरा संदेश है’. गांधी जी का जुड़ाव बिहार से गहरा रहा. यह उनकी कर्म भूमि भी रही है. पटना के गांधी मैदान के पास स्थित गांधी संग्रहालय की स्थापना सन् 1967 में की गयी थी, जिसमें महात्मा गांधी से जुड़े दस्तावेज, स्मृति चिह्न और पुस्तकालय हैं. अगर आप यहां आते हैं तो यहां की व्यवस्थित चीजों को देख कर आप बिना किसी गाइड के पूरा संग्रहालय घूम सकते हैं. हर एक स्मृति के साथ उनका डिस्क्रिप्शन दिया गया है, जिससे आप इतिहास के उन पन्नों से रू-ब-रू हो सकते हैं. गांधी जयंती पर पेश है जूही स्मिता की रिपोर्ट…

- Advertisement -

गांधी संग्रहालय स्वर्ण जयंती एवं चंपारण शताब्दी स्मृति भवन : इस भवन को सत्याग्रह भवन भी कहा जाता है. इसमें गांव का मॉडल, ऑरिजनल ग्रामीण वस्तुओं और लिखित वर्णन देखने को मिलते हैं. दस तरह के चरखे, करघा, चाक, चक्की, धुनकी, तकुली और उन छोटे औजारों को भी यहां प्रदर्शित किया गया है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बुनियाद माने जाते हैं.

देवघर-बैद्यनाथ धाम मंडप : 1934 में जब गांधी जी देवघर पहुंचे तो सनातनी पंडों ने उनके अभियान का विरोध किया और उन पर हमला कर दिया था. उस वक्त वे एक गाड़ी में थे जब उन पर हमला हुआ था. समय बीतने के बाद वह गाड़ी टूट गयी, लेकिन उसका चेसिस और स्टीयरिंग रॉड बचा हुआ है.

संग्रहालय के प्रति युवाओं की रूचि बढ़ी

गांधी संग्रहालय के फाउंडर रजी अहमद बताते हैं कि गांधी के सिद्धांतों को जीवन में अनुसरण करना आसान नहीं है. यहां की हर एक चीज आपको गांधी के जीवन, उनके संघर्ष और बिहार से उनके लगाव दिखाती है. यहां ज्यादा यंग जेनरेशन के लोग अपने आप आते हैं. वे यहां मौजूद स्मृति चिह्नों को संजीदगी से देखते हैं और उसका अनुसरण करने की कोशिश करते हैं. अभी लॉकडाउन है तो विजिटर्स नहीं आ रहे हैं पर आम दिनों में राज्य के अनेक स्कूलों के पांच से छह सौ बच्चे आते हैं.

पुस्तकालय : मूल गांधी साहित्य और अपने 25 हजार पुस्तकों के साथ डॉ बीपी सिन्हा, प्रो सिद्धेश्वर प्रसाद, आचार्य शिवपूजन सहाय, डॉ नवल किशोर नवल, उपेंद्र महारथी, डॉ प्रभाकर सिन्हा, आचार्य रंजन सूर्यदेव सिन्हा, डॉ रामचंद्र, श्रीकांत, चंद्रप्रकाश सिंह, डॉ बीपी सिंह ने बड़ी संख्या में किताबे संग्राहलय को दीं. 1970 के बाद से अब तक के अखबारों के संकलन मौजूद हैं. इस पुस्तकालय में रिसर्च स्कॉलर को काफी लाभ मिलता है. इसके अलावा एक सेक्शन डिबेट का है, जिसमें 70 के दशक से लेकर साल 2000 तक के डिबेट सेक्शन की किताबें मौजूद हैं. आज इसका लाभ लॉ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को मिलता है.

होमेज टू महात्मा कुटीर: इसे 2019 में बनाया गया था. यहां गांधी जी के मरणोपरांत किन- किन लीडर्स ने उनके लिए क्या कहकर श्रद्धांजलि दी थी, इसका कलेक्शन मौजूद है. प्रांगण में गांधी जी की मूर्ति है, जिसका वर्ष 1975 में तत्कालीन राज्यपाल आरडी भंडारे ने उपेंद्र महारथी के मार्गदर्शन में बनी गांधी जी की मूर्ति का अनावरण किया था.

चित्र कक्ष : इसका उद्घाटन 21 मार्च 1976 में लोक सभा अध्यक्ष डॉ बलराम भगत ने किया था. इसमें फोटो, पेंटिंग और प्रतिमाओं के माध्यम से गांधी जी की जीवनी दिखायी गयी है. इसके अलावा गांधी जी से जुड़े प्रतीक चिह्न व बिहार, बंगाल और झारखंड के बंटवारे की तस्वीरें भी यहां पर मौजूद हैं. यहां सभा कक्ष, गांधी साहित्य केंद्र, हिंदुस्तान हमारा मूर्ति, गांधी टैगोर मंडप, सत्याग्रह स्मृति मंडप, सत्य की खोज, एकादश व्रत पार्क आदि आकर्षण के केंद्र हैं.

एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में 40 दिन ठहरे थे गांधी जी

गांधी जी अपने सहयोगी निर्मल कुमार बोस, मनु गांधी, सैयद अहमद, देव प्रकाश नायर के साथ सीधे डॉ सैयद महमूद के तत्कालीन आवास पर 5 मार्च 1947 को पहुंचे थे. उस वक्त गांधी के निर्देश पर बिहार के सुदूर गांवों में शांति स्थापना के लिए प्रयास चल रहे थे. खान अब्दुल गफ्फार खान यहां आये थे और उनके साथ इसी जगह रुके थे. शांति स्थापना करते हुए 40 दिन के बाद 24 मई 1947 को गांधी दिल्ली वापस चले गये. अभी इस भवन में ताला लटका रहता है.

Posted By : Sumit Kumar Verma

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें