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सुशांत तो सबमें ऊर्जा भरता था आत्महत्या कभी नहीं कर सकता, पड़ोसियों को भी नहीं हो रहा यकीन

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सुशांत के चचेरे भाई नीरज कुमार ने कहा कि वह तो ऊर्जा भरने वाला लड़का था, दूसरों को हौसला देता था. हमलोगों को अब भी यकीन नहीं है कि वह आत्महत्या कर सकता है.

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पटना : सोमवार को सुबह के सात बजे थे. राजीव नगर रोड नंबर छह में स्थित सुशांत सिंह राजपूत के घर पर मरघटी सन्नाटा पसरा हुआ था. इक्के-दुक्के लोग उनके घर में आ-जा रहे थे. सुशांत के यार-दोस्त भी घर के आसपास मौजूद रहकर इस विकट घड़ी में परिवार के साथ खड़े थे. सोमवार को ही सुशांत के पिता केके सिंह को मुंबई रवाना होना था.

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इस बीच जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह आये, परिवार वालों से मुलाकात करने के बाद मीडिया से कहा कि यह पूरे राज्य की क्षति है, हम सब गमगीन हैं, क्या कहें, क्या न कहें, समझ में नहीं आ रहा है. इसके बाद पूर्व सांसद अरुण सिंह भी पहुंचे और परिजनों कासांत्वना दी. साढ़े नौ बजे सुशांत के चचेरे भाई बीजेपी विधायक नीरज कुमार बबलू पहुंचते हैं. मीडिया से मिलते ही कहते हैं कि वह तो ऊर्जा भरने वाला लड़का था, दूसरों को हौसला देता था. हमलोगों को अब भी यकीन नहीं है कि वह आत्महत्या कर सकता है. इसके बाद मीडिया उनसे सवाल पूछती है कि क्या आप जांच की मांग करेंगे? वे कहते हैं कि अब मुंबई जाकर ही यह फैसला होगा.

बड़ी बहन के संघर्षों से सुशांत के व्यक्तित्व का हुआ था विकास

सुशांत जिस मध्यम वर्ग का प्रतिनिधित्व करते थे, वहां सपने पूरे होनेन के पीछे किसी न किसी के हाथ की आवश्यकता होती है. सुशांत के सपनों को पूरा किया उनकी बड़ी बहन ने. बड़ी बहन दिल्ली में रहती थी, उनके पति आइपीएस थे. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने सुशांत को दिल्ली बुला लिया. इंजीनियरिंग की शिक्षा दिलवायी. डांस से लेकर एक्टिंग की ट्रेनिंग और फिर भाई का उत्साह बढ़ाते हुए मुंबई का सफर तय कराने में उनकी भूमिका बहुत ही बड़ी है. मुहल्ले की महिलाएं इस बाबत बहन के प्रयासों की काफी सराहना करती हैं.

पूर्व पड़ोसी सांत्वना देने बेटी के साथ देवघर से पहुंचे पटना

सुशांत के प्यार का असर यह था कि सोमवार को रोड नंबर छह में ही सुशांत के घर के सामने दस बरस तक किरायेदार रहे और फिलहाल देवघर में निवास कर रहे गौतम पहुंचे थे. गौतम कहते हैं कि हमारी बहुत याद सुशांत के साथ जुड़ी हुई है, सुशांत अपने छत पर क्रिकेट की प्रैक्टिस किया करता था. हम सामने घर में रहते थे तो उसको डांटते थे तो नीचे चला जाता था. उसे बाइक शुरू से अच्छी लगती थी, पापा की बाइक लेकर चलाता रहता था. पढ़ने में समस्या होती थी तो हमसे पूछने भी आता था. उन्होंने भी बताया कि इतना पॉजीटिव लड़का कभी सुसाइड नहीं कर सकता.

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