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दरभंगा डबल इंजीनियर मर्डर: मुकेश पाठक समेत सभी आरोपी दोष मुक्त, गुनहगार कौन?

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दरभंगा डबल इंजीनियर मर्डर पटना हाइकोर्ट में अपील की थी. इसकी सुनवाई न्यायालय के जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस राजेश कुमार वर्मा की खंडपीठ ने की थी.  सुनवाई पूरी होने के बाद अंतिम निर्णय  सुरक्षित रखा गया था.

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दरभंगा के बहेड़ी थाने के शिवराम गांव के पास रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी के दो इंजीनियरों की हत्या मामले में पटना हाइकोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है. दो जजों की पीठ ने इस मामले में दरभंगा जिला एवं सत्र न्यायालय से उम्रकैद की सजा पाये गैंगस्टर विकास झा उर्फ कालिया, मुकेश पाठक, संतोष झा समेत सभी 10 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है. इसमें गैगस्टर संतोष झा एवं अभिषेक झा की मृत्यु हो चुकी है. जिन व्यक्तियों को हाइकोर्ट ने बरी किया है उनमें, विकास झा उर्फ कालिया के अलावा मुकेश पाठक, संतोष झा, निकेश दुबे, पिंटू झा, मुन्नी देवी, पिंटू लाल देव, संजय लाल देव, पिंटू तिवारी एवं अभिषेक झा शामिल हैं.

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तिरहुत प्रक्षेत्र मुजफ्फरपुर के तत्कालीन आइजी शिवदीप वामनराव लांडे समेत कई वरीय पुलिस अधिकारियों ने अनुसंधान किया था. उसके आधार पर दरभंगा जिला एवं सत्र न्यायालय ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनायी थी. सजा के दौरान ही संतोष झा व अभिषेक झा की न्यायालय परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी.

इस निर्णय के खिलाफ सभी अभियुक्तों ने पटना हाइकोर्ट में अपील की थी. इसकी सुनवाई न्यायालय के जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस राजेश कुमार वर्मा की खंडपीठ ने की थी.  सुनवाई पूरी होने के बाद अंतिम निर्णय  सुरक्षित रखा गया था. इस मामले में मुख्य अभियुक्त विकास झा उर्फ कालिया का पक्ष अधिवक्ता अशहर मुस्तफा, प्रतीक मिश्रा एवं विकास कुमार झा ने रखा.


 साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त


देश के सबसे सुरक्षित दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद गैंगस्टर विकास झा उर्फ कालिया के अलावा अन्य आरोपियों के दोषमुक्त का मुख्य कारण पुलिस के त्रुटिपूर्ण अनुसंधान व साक्ष्य का अभाव माना गया है. गैंगस्टर विकास झा उर्फ कालिया के अधिवक्ता विकास कुमार झा ने बताया कि मुख्य चार बिंदुओं पर हाइकोर्ट की खंडपीठ ने इन सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है.

 इन बिंदुओं पर आरोपियों को मिला लाभ

1.  केस के सूचक धीरज सिंह एकमात्र कथित प्रत्यक्षदर्शी गवाह थे. उनके न्यायालय में दिए गए बयान से स्पष्ट झूठ प्रतीत हुआ कि घटनास्थल पर सूचक उपस्थित नहीं था.
2.  एफआइआर को दो दिनों बाद न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया गया.
3. मोबाइल का सीडीआर, टॉवर लोकेशन एवं कैफे का सर्टिफिकेट न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया.
4. विश्वसनीय दर्जनों गवाह, जिनकी न्यायालय में गवाही होनी आवश्यक थी, उसको न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया.

क्या है पूरा मामला


26 दिसंबर 2915 को दरभंगा जिले के बहेड़ी थाने के शिवराम में रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियर ब्रजेश कुमार सिंह एवं मुकेश कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इस डबल मर्डर केस ने पूरे बिहार को हिला कर रख दिया था. आरोप था कि गैंगस्टर संतोष झा गैंग ने दोनों इंजीनियर से रंगदारी मांगी थी.

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