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सीयूएसबी को शोध के लिए मिले 2.72 करोड़ रुपये

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यह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से सीयूएसबी के किसी भी विभाग को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा अवसंरचना अनुदान है

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-डीएसटी-एफआइएसटी से मिला अनुदान

संवाददाता, पटना

दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) गया को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अवसंरचना सुधार निधि (एफआइएसटी) योजना के तहत सीयूएसबी के रसायन विज्ञान विभाग को 2.72 करोड़ दिया है. गौरतलब है कि यह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से सीयूएसबी के किसी भी विभाग को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा अवसंरचना अनुदान है. सीयूएसबी के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के साथ कुलसचिव प्रो नरेंद्र कुमार राणा और पूरे विश्वविद्यालय परिवार ने रसायन विज्ञान विभाग को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है. जनसंपर्क पदाधिकारी मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि भारत सरकार की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआइपी) पहल के अनुरूप रसायन विज्ञान विभाग ने ‘सेंसर, कैटेलिसिस और थेरानोस्टिक्स में अनुप्रयोगों के लिए काइरोप्टिकली सक्रिय अणु और सामग्री’ शीर्षक से एक शोध प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसे सरकारी एजेंसी द्वारा सराहा गया और अनुमोदित किया गया.

स्थापित की जायेगी रिसर्च फैसिलिटी

विस्तृत विवरण प्रदान करते हुए, रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो अमिय प्रियम ने बताया कि इस परियोजना के तहत, संकाय सदस्यों और वैज्ञानिकों की एक समर्पित टीम नैनोमेटेरियल और अणुओं के काइरोप्टिकल गुणों पर अध्ययन करेगी, जिससे विभिन्न रोगों के लिए बायोसेंसर और लागत प्रभावी उपचार विकसित करने का प्रयास किया जायेगा. इसमें पर्यावरण और जैव चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए नये, लागत प्रभावी उपकरणों और तकनीकों को विकसित करने के लिए अंतःविषय सहयोग भी शामिल होगा. उन्होंने बताया कि डीएसटी-एफआइएसटी के तहत विश्वविद्यालय में एक अत्याधुनिक, काइरोप्टिकल रिसर्च फैसिलिटी (सीआरएफ) स्थापित की जायेगी. सीआरएफ में कई अत्याधुनिक उपकरण रखे जायेंगे, जिनमें सर्कुलरली पोलराइज्ड ल्यूमिनेसेंस (सीपीएल) स्पेक्ट्रोमीटर, सर्कुलर डाइक्रोइज्म (सीडी) स्पेक्ट्रोमीटर और कई अन्य उपकरण शामिल हैं. प्रो अतुल प्रताप सिंह (संकाय सदस्य, रसायन विज्ञान विभाग) ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक लंबे समय से संजोये गये सपने का साकार होना है. पहले, परिष्कृत उपकरणों की अनुपलब्धता एक बड़ी चिंता का विषय थी और इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार संस्कृति की एक निराशाजनक तस्वीर पेश करती थी. डॉ गिरीश चंद्र (संकाय सदस्य, रसायन विज्ञान विभाग) ने कहा कि यह सभी संकाय सदस्यों का सामूहिक प्रयास था और अब हमें इस कठिन कार्य को कुशल और समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए मिलकर काम करना होगा और हम शोध के उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त करने के लिए आश्वस्त हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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