25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नीतीश की यात्राएं-1 : न्याय यात्रा में खींचा था बिहार के विकास का खांका

Advertisement

Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. यह उनकी पहली यात्रा थी. यात्रा के दौरान उन्होंने प्रदेश की जो हालत देखी, उसके आधार पर उन्होंने लोगों के समक्ष सरकार बनने के बाद विकास का खांका खीचा था. लोगों ने उन्हें उम्मीदों का नेता बताया. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की पहली कड़ी..

Audio Book

ऑडियो सुनें

Nitish Kumar Yatra: बिहार के राजनीतिक इतिहास में साल 2005 हमेशा चर्चा में रहेगा. इस साल विधानसभा के दो चुनाव हुए. पहली बार फरवरी महीने में चुनाव हुए. इस चुनाव में राजद और कांग्रेस एक साथ चुनाव मैदान में उतरी थी. इनके मुकाबले भाजपा और जदयू के उम्मीदवार थे. लोजपा अलग चुनाव लड़ी थी. चुनाव परिणाम जब घोषित हुआ तो बहुमत किसी भी दल को नहीं मिला. राजद और कांग्रेस को कुल मिला कर 85 सीटें आयीं. जिनमें राजद को 75 और कांग्रेस की झोली में 10 सीटें रही. निश्चित रूप से राजद सबसे बड़ी पार्टी रही. दूसरी ओर जदयू के 138 उम्मीदवारों में 55 चुनाव जीत कर आये. जबकि सहयोगी भाजपा के 103 में मात्र 37 उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाये. एनडीए की झोली में मात्र 92 विधायक ही आ पाये. जबकि, सरकार लिए जादुई आंकड़ा 122 का होना चाहिये था. तीसरी पार्टी रामविलास पासवान की लोजपा थी, जिसके 29 विधायक चुनाव जीत कर आये थे.

- Advertisement -

आधी रात को भंग हुई विधानसभा

लोजपा यदि एनडीए के साथ आती तो नयी सरकार के गठन का रास्ता निकल सकता था. यदि वो राजद गठबंधन के साथ खड़ी होती तो उधर भी सरकार बनने की संभावना थी. लेकिन, रामविलास पासवान ने मुस्लिम मुख्यमंत्री का नारा देकर अपना अगल रास्ता अक्तियार किया था. इसके लिए कोई भी दल राजी नहीं था. ऐसी ही परिस्थितियों में सत्ता को लेकर दोनों ही गठबंधन दलों में खींचतान चल रही थी. दिल्ली की केंद्र सरकार में लालू प्रसाद ताकतवर घटक दल के नेता के तौर पर उभरे थे. यूपीए 1 की कांग्रेसी राज में उनकी बात उठाने की ताकत किसी भी नेता में नहीं थी. आधी रात को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुइ ओर बिहार विधानसभा को भंग करने का फैसला लिया गया.

इन परिस्थतियों में बनी न्याय यात्रा की पृष्ठभूमि

तत्कालीन राष्ट्रपति डा एपीजे अब्दुल कलाम देश के बाहर थे. उनके पास आधी रात को ही केंद्रीय कैबिनेट के फैसले की प्रति उनकी दस्तखत के लिए भिजवायी गयी. जब बिहार के लोगों को, राजनीतिक जमात को विधानसभा भंग करने के केंद्र के फैसले की जानकारी मिली तो सभी सन्न रह गये. अब बिहार में अगले चुनाव के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं रह गया था. सभी दलों में अंदर ही अंदर रोष व निराशा के क्षण दिख रहे थे. चुनाव जीतकर आने वाले विधायक तत्काल दूसरी बार चुनाव में जाने को मन से तैयार नहीं दिख रहे थे. इसी दौरान 29 सदस्यों वाली लोजपा में टृट हो गयी. इधर, सांसद के तौर पर दिल्ली की राजनीति कर रहे नीतीश कुमार ने बिहार की ओर अपना रूख किया. ऐसी ही परिस्थितियों में नीतीश कुमार की न्याय यात्रा की पृष्ठभूमि तैयार हुइ्र थी.

नीतीश के चेहरे में उम्मीदों के नेता की छवि दिखने लगी थी

इन दिनों बिहार की विधि व्यवस्था लुंज पूंज चल रही थी. लालू-राबड़ी शाषण काल के पंद्रह वर्ष पूरे हो रहे थे. लोगों के मन मिजाज में शाषण-प्रशासन में बदलाव की एक संभावना नजर आने लगी थी. मौजूदा शाषण के एक मात्र विकल्प नीतीश कुमार ही दिख रहे थे. यों कहा जाये कि नीतीश कुमार उम्मीदों के नेता के रूप में लोगों के मन मस्तिष्क में बैठने लगे थे, तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी. लोगों को लगा था कि अब कोई बदलाव अवश्यंभावी है. एक ऐसा नेता जो बिना किसी लोभ या जाति-धर्म के समीकरण गढ़ने की बजाय विकास और कानून व्यवस्था की बात कर रहा था. नौजवानों के चेहरे पर खुशियां झलक रही थी, उन्हें रोजी रोजगार के अवसर दिख रहे थे.

और नीतीश बगहा से पूरे राज्य की यात्रा पर निकल पड़े

एक ओर बिहार के लोगों के मन में जहां टूटी सड़क, बदहाल अस्पताल, विधि व्यवस्था को लेकर निराशा के भाव मन में चल रहे थे, वहीं नीतीश कुमार को लेकर एक उम्मीद की किरण भी जगी थी. ऐसे में नीतीश कुमार ने जनता के बीच जाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया. जदयू की बैठक हुई. फैसला हुआ कि नीतीश कुमार पूरे राज्य की यात्रा पर निकलेंगे. उनके साथ जदयू के वरिष्ठ नेता भी होंगे और भाजपा की टीम भी होगी. न्याय यात्रा के रूप में इसकी शुरूआत महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण की धरती से होगी. ऐसा ही हुआ. नीतीश कुमार बगहा से पूरे राज्य की यात्रा पर निकल पड़े. उन्होने लोगों को बताया कि किस प्रकार प्रदेश को एक और चुनाव में धकेल दिया गया है. उन्होंने आम जनता से न्याय की मांग की और अपनी यात्रा में गुड गवर्नेंस का वायदा भी किया. नीतीश कुमार की सभा जिस इलाके में होती, लोगों की भारी भीड़ जमा हो जाती थी. देर रात तक लोग उन्हें सूनने के लिए एकत्र रहते. नीतीश कुमार ने कइ्र जिलों में रोड शो किये.

Also Read: Pragati Yatra: बताइये और क्या करना है… नीतीश कुमार ने जीविका दीदी से मांगा आइडिया

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें