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Chhath Puja: महापर्व छठ में जानें लालाजी के खेतों के अरवा चावल का क्या है कनेक्शन

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Chhath Puja लाला सुदामा प्रसाद वर्ष 1970 से दर्जनों बीघा में खेती कर रहे हैं. हर साल एक जून को खेतों में बिचड़ा गिरा देना, जुलाई के प्रथम सप्ताह में रोपनी शुरू कर अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में धान की फ़सल काट लेना लालाजी की पहचान है.

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Chhath Puja महापर्व छठ आते ही प्रखंड क्षेत्र के लोगों को किसान लालाजी के खेतों का अरवा चावल याद आने लगता है. आमस के महुआवां गांव निवासी लाला सुदामा प्रसाद के खेतों का अरवा चावल प्रत्येक वर्ष बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा अलग-अलग राज्यों और विदेशों में भी जाता है. दीपावली के बाद अरवा चावल के लिए लालाजी के मिल में कई दिनों तक प्रखंडवासियों की लंबी कतार लगती है.

लालाजी के पुत्र राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि छठ को ध्यान में रखते हुए अक्तूबर के पहले सप्ताह में ही धनकटनी कर खलिहान से थ्रेसिंग (पिटवन) करके धान को अपने राइस मिल में चावल तैयार करने के लिए पहुंचा दिया गया है. दो तीन दिनों में चावल तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी ताकि छठ में लोगों को चावल उपलब्ध कराया जा सके.

ये भी पढ़ें.. दीपावली, कालीपूजा और छठ पर्व पर बिहार में पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द, PHQ ने जारी किया आदेश

गौरतलब है कि किसान लाला सुदामा प्रसाद वर्ष 1970 से दर्जनों बीघा में खेती कर रहे हैं. हर साल एक जून को खेतों में बिचड़ा गिरा देना, जुलाई के प्रथम सप्ताह में रोपनी शुरू कर अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में धान की फ़सल काट लेना लालाजी की पहचान है. लाला जी कहते हैं कि महापर्व छठ को ध्यान में रख कर धान की रोपनी और कटनी समय पर करनी पड़ता है, ताकि लोगों को छठ में निराशा न हो.

लालाजी के पुत्र राजीव कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि खेत का अरवा चावल छठ के अवसर पर गया,औरंगाबाद और झारखंड के विभिन्न गांव, शहरों के अलावा विदेशों में भी जाता है जिससे खीर बनायी जाती है. लोग यहां से दूसरे देशों और प्रदेशों में रह रहे अपने परिजन को छठ करने के लिए अरवा चावल भेजते हैं,क्योंकि पूरे इलाके में इतना जल्दी कहीं चावल तैयार नहीं होता है.

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